आज में समय में बहुत सारे सिख परिवारों में यह पता नही होता है कि जब उनके घर किसी बच्चे का जन्म होने वाल अहोता है तो क्या करते है? जब उनको यह खबर मिलती है कि उनके घर में कोई बच्चा आने वाला है तो क्या करना चाहिए ? पहले समय में बूढ़े बुजुर्ग होते थे जो हमे सारी रीति रिवाजों से वाखिफ करवाते थे. लेकिन आज के समय में सिखों की वो रीति रिवाजें लोगो को पता नही नहीं होती. लेकिन पंजाबी समुदाय के लिए यह रीति रिवाजे बहुत जरूरी होती है. जिससे आप आपने बच्चे में अच्छे संस्कार ला सकते है. उन्हें गुरुओं के आशीर्वाद दिला सकते है. इस लेख से हम आपको बताएंगे की गर्भावस्था और प्रारंभिक माता-पिता बनने के बाद सिख मार्गदर्शन ने अनुसार क्या करना चाहिए.
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सिख महिलाओं में गर्भावस्था का मार्गदर्शन
सिख महिलाओं को गर्भावस्था का पता लगते ही सहज पाठ करना चाहिए. सहज पाठ गुरु ग्रन्थ साहिब का एक पाठ है, जो आपकी मन की शन्ति के लिए होता है. जैसे अखंड पाठ 48 घंटे बिना रुके किया जाता है लेकिन सहज पाठ को करते समय आप रुक भी सकते है, बाद में फिर से शुरू कर सकते है जिसके बाद सिख महिलाओं को गर्भावस्था में पूरे 9 महीने में इस पाठ को पूरा करना चाहिए. बच्चे के जन्म से पहले इस पाठ को पूरा करने से आपके बच्चे को गुरुओं को आशीर्वाद मिलता है. इस पाठ को माता या पिता दोनों में से कोई भी या दोनों कर सकते है. और ऐसे अलग अगर आपको गुरुमुखी पढनी नहीं आती है आप सहज पाठ नहीं पढ़ पाते तो आप गुरुद्वारा जाकर भी इस पाठ को करवा सकते है. इस पाठ को करते समय आप अकेले इस पाठ को नहीं सुनते है साथ में आपका बच्चा भी सुनता है जिसके लिए यह पाठ काफी अच्छा है.
प्रारंभिक माता-पिता बनने के बाद सिख मार्गदर्शन
- सिख परिवार में बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहले जन्म संस्कार करवाना चाहिए.
- जन्म संस्कार में बच्चे को गुर्थी देनी चाहिए, जो अमृत है जिससे पानी में पतासे मिला कर बनाया जाता है. जिसको कृपान से बच्चे में मूह में 5 बूंद डाली जाती है और बची हुई गुर्थी बच्चे की माँ को दी जाती है. इसक साथ ही जबजीत साहिब का पाठ भी किया जाता है.
- जन्म संस्कार के बाद अरदास की जाती है, जिसक एबाद बच्चे क नामकरण होता है जिसमे हुज़ुर्माना भी होता है, हुज़ुर्नमा के पहले अक्षर से आप अपने बच्चे का नाम रख सकते है.
- सिख बच्चे का नाम बिना मतलब या बिना अर्थ का नाम नहीं होना चाहिए. बच्चे के नाम में गुरुओं की विशेषता के ऊपर होनी चाहिए जैसे प्रीत, अमृत, गीत आदि.
- बच्चे को जन्म के पहले 40 दिन तक परमात्मा के आस पास रखना चाहिए, उसके आस पास भजन, कीरतन , शब्द आदि होने चाहिए. जिससे बच्चा सिखी के साथ फमिलिएर हो जाता है.
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