चुनाव चाहे लोकसभा का हो या किसी विधानसभा का, देश भर में अल्पसंख्यकों का वोट हमेशा से किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है। फिलहाल, गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) बेहद नजदीक है। राज्य में पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच द्विपक्षीय चुनाव हुआ करता था पर इस बार आम आदमी पार्टी (आप AAP) के गुजरात विधानसभा चुनाव में उतरने से गुजरात की जनता को एक और ऑप्शन मिल गया है। गुजरात (Gujarat) में इस राजनीतिक घमसान का परिणाम क्या होगा यह 8 दिसंबर को ही पता चलेगा। दूसरी ओर हमेशा की तरह सर्वे एजेंसियां जनता का मूड भांपने में जुटी हुई हैं। गुजरात की अल्पसंख्यक वोटरों की बात करे तो 282 सीटों में से 117 पर 10 फीसदी से अधिक मुस्लिम वोटर्स हैं। ऐसे में मुसलमान वोटर्स चुनावी नतीजों के लिए बेहद अहम हैं।
2017 के गुजरात चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। इस बार गुजरात के चुनावी दंगल में आप और असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के उतरने से इस बार के चुनाव में मुस्लिम वोटर्स का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और इसी कारण 2022 के चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं पर सभी प्रमुख सियासी दलों की नजरें जा टिकी है।
मुस्लिम दिखेंगे निर्णायक भूमिका में
आमतौर पर अभी तक गुजरात में मुसलमानों का वोट कांग्रेस का माना जाता है। इस बार, चुनाव पूर्व हुए सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि गुजरात के ज्यादातर दलित, आदिवासी और मुसलमान यानि की अल्पसंख्यक समाज भाजपा सरकार के काम से संतुष्ट नहीं हैं। सर्वे रिपोर्ट्स के अनुसान लगभग आधे मुसलमानों का मानना है की भाजपा सरकार राज्य में मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा करने में विफल रही है। अगर गुजरात के जातिगत संख्या पर ध्यान दे तो 2011 की जनगणना के अनुसार, गुजरात में हिंदू बहुसंख्यक हैं, जो आबादी का 88.57 फीसदी है। गुजरात में मुस्लिम आबादी कुल 6.04 करोड़ में से 58.47 लाख (9.67%) और ईसाई आबादी कुल 0.52% यानि की 6.04 करोड़ में से 3.16 लाख है।एक दशक बाद अब इस आंकड़े में अंतर हो सकता है।
क्या आप और AIMIM का दिखेगा असर?
इस बार के गुजरात चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM और अरविन्द केजरीवाल की आप पार्टी ने भी अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं, जिस कारण इनसे कांग्रेस की वोट बैंक पर सेंध लग सकती है। बताते चलें कि कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में केवल 6 मुसलमानों को टिकट दिया था, जिनमें से तीन अपने-अपने क्षेत्रों में जीत का परचम लहराया था। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है। ये सभी सीटें ऐसी होंगी, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका निभा रहे होंगे।
जानकारों के अनुसार गुजरात में 20 विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है। इसी कारण गुजरात में कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता उम्मीदवार की जीत और हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिकानिभाते दिखेंगे।
केजरीवाल मुस्लिमों के मुद्दों पर शांत
अब गुजरात चुनावी मैदान में AIMIM और AAP इस चुनावी मुकाबले को और भी दिलचस्प बना देंगे। सियासी गलियारों में इसको लेकर चर्चा तेज़ होते जा रही है। इस बार के गुजरात चुनाव में आप और AIMIM कितनी सीटें जीतेंगी देखना दिलचस्प होगा। मीडिया की सुर्ख़ियों में एक सवाल यह भी है कि क्या इस बार भी गुजरात में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा या फिर AIMIM और AAP मुकाबले को नई दिशा देने में कामयाब हो पायेगी। दूसरी तरफ केजरीवाल बिलकिस बानो मामले में पूरी तरह से खामोश है। बिलकिस बानो के दुष्कर्मियों को राज्य सरकार की सहमति से रिहा कर दिया गया था।