गिर के जंगल में बनता है एक ऐसा पोलिंग बूथ है जहां पर सिर्फ एक ही वोटर देता है वोट
भारत के चुनाव (Election) में 18 साल से ज्यादा उम्र लोगों को वोट डालने का अधिकार दिया गया है. वहीं सभी लोग चुनाव में हिस्सा ले और वोट दें इसके लिए भारत का चुनाव आयोग द्वारा पूरी तैयारी की जाती है. जहाँ चुनाव आयोग द्वारा बनाए गये पोलिंग बूथ (polling booth) कई हज़ार लोग वोट डालने आते हैं तो वहीं गुजरात (Gujrat) में एक ऐसा पोलिंग बूथ जहाँ सिर्फ एक शख्स वोट डालने के लिए आता है।
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शेरों के घर में बनेगा पोलिंग बूथ
देश में जब भी लोकसभा (loksabha)चुनाव या गुजरात में विधानसभा चुनाव होते हैं तब गिर के जंगली इलाके में एक पोलिंग बूथ बनाया जाता है और हर बार की तरह इस बार 15 चुनाव कर्मियों की टीम यहाँ पहुंचेगी. यह पोलिंग बूथ है जूनागढ़ (Junagadh) के गिर फॉरेस्ट (Gir Forest) में हैं
हर चुनाव में सिर्फ 1 वोटर देता है वोट
चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा जूनागढ़ के गिर फॉरेस्ट में बनाए जाने वाला मतदान केंद्र पहले भरतदास दर्शनदास के बनाता था . हालांकि 1 नवंबर 2019 को ही महंत का निधन हो गया.
वहीं अब ये पोलिंग बूथ महंत भरतदास के बाद मंदिर के नए पुजारी महंत हरिदास के लिए बनेगा.
महाभारत कालीन मंदिर की कहानी
जिस मंदिर के नए पुजारी महंत हरिदास के लिए यह यह खास बूथ बनेगा. उस मंदिर को महाभारत (Mahabharata) काल का मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने वहां तीर मारकर जमीन में छेद किया और उसके बाद यहां से पानी निकला था। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। चूंकि यह मंदिर घने जंगल के बीच है, इसलिए यहां पर शाम को सूरज ढलने के साथ ही सारे श्रद्धालुओं को जाना होता है। यहां रुकने की इजाजत किसी को नहीं है।
शेरों की वजह से है इस जंगल की पहचान
गिर के जंगलों की पहचान देश और दुनिया में शेरों की वजह से रहती है। देश में शेरों की आधिकारिक गणना हर पांच साल पर होती है। 2020 की गणना, शेर-शेरनियों की तादाद 674 तक पहुंच गई। वन विभाग का अनुमान है कि गिर वाइल्डलाइफ सैन्चुअरी में अब शेरों की आबादी 700 के आंकड़े को पार कर चुकी है.