Congress choose Siddaramaiah – जबसे कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव जीते है तब से उनके नेता फूले नहीं समा रहे हैं कुछ लोग कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार को इस जीत का क्रेडिट दे रहे हैं तो कुछ लोग वहीँ राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा का असर मान रहे हैं हैं.
CM पद के लिए डीके शिवकुमार के आगे सिद्धारमैया को क्यों चुना गया, ये कारण हो सकते हैं…
– भ्रष्टाचार के कोई मामले नहीं
– राज्य में टीपू सुल्तान को हीरो बनाया यानी मुस्लिम वोट बैंक
– प्रशासनिक पकड़ जबरदस्त
– कुरुबा समुदाय से आते हैं (राज्य का तीसरा सबसे बड़ा समुदाय)
– खड़गे के खास— Awanish Tiwari (@awanish_T) May 17, 2023
ऐसे में अपने राजनीतिक शुरुआत से कांग्रेस से जुड़े डी के शिवकुमार के ऊपर सिद्धारमैया को कर्नाटक का मुख्यमंत्री चुने जाने की बीच अटकलों का बाजार गर्म है. मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जा रहा है कि सिद्धारमैया ही कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे और अब पार्टी डी के शिवकुमार को मनाने में लगी हुई है. ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि आखिर कर्नाटक में जमीनी स्तर से जुड़े डी के शिवकुमार के बजाय कांग्रेस ने सिद्धारमैया को सीएम क्यों चुना? आइए जानते हैं इन 5 पॉइंट्स में…
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कर्नाटक में प्रशासनिक पकड़ का मजबूत होना
कांग्रेस की हाइकमान इस बात से भली भांति से परिचित हैं कि सिद्धारमैया की प्रशासनिक पकड़ बहुत मजबूत है. दरअसल, वो कांग्रेस के सबसे पढ़े लिखे नेताओ में से एक हैं साल 2013 से लेकर 2018 तक बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए सिद्धारमैया जब भी किसी फाइल को पास करना या नए प्रोजेक्ट पर काम करना होता तो सबसे पहले उसे बारीक से पढ़ते और उसके बाद फैसले लेते थे.
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ऐसे में कर्नाटक के प्रशासनिक कार्यों में इनकी छवि भी बाकी नेताओं से काफी अच्छी है. इसके अलावा सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के कोई भी आरोप नहीं हैं. जो कि बतौर नेता इनकी छवि को अच्छी बनाता है. वहीं, डी के शिवकुमार पर कई मामले भी दर्ज हैं और वो जेल भी जा चुके हैं.
12 चुनाव में से अब तक 9 में जीत
2008 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले सिद्धारमैया ने अपने जीवन छोटे से बड़े मिलकर कुल 12 चुनाव लडे हैं जिनमे से 9 में से जीत मिली है जो इस बात की सिद्ध करता है कि आखिर कर्नाटक में इनकी पकड़ कितनी मजबूत है जिन्हें जनता ने भी बार बार सत्ता में वापसी करवाई हैं कर्नाटक में सीएम पद की रेस में आगे होने का सबसे कारण कहीं न कहीं ये भी रहा है.
Siddaramaiah has 50 corruption cases against him, DK Shivakumar has only 19.
Thus, Siddaramaiah should be the next#KarnatakaCM 😊🤲 pic.twitter.com/G2UzjOyWWi
— श्रद्धा | Shraddha 🇮🇳 (@immortalsoulin) May 16, 2023
Congress choose Siddaramaiah
दरअसल वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे ने ही इन्हें साल 2008 में कांग्रेस में एंट्री दिलाई और चुनाव लड़वाए चूंकि वो इस वक़्त कांग्रेस पार्टी में सबसे उच्च पद पर हैं और सिद्धारमैया को राजनीती में लाने से उनके बीच की नजदीकियां भी इन वजहों में से एक है जिसमे उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार बनाया गया.
मुस्लिम वोट बैंक में पकड़
कर्नाटक में मुस्लिम वोट बैंक को हर पार्टी अपनी तरफ करना चाहती है और ऐसे में अगर किसी भी पार्टी का कोई भी नेता मुस्लिमों के बीच अच्छी पकड़ रखता है तो उसे हमेशा आगे रखा जाएगा. चूंकि सिद्धारमैया इससे पहले 2013-2018 तक कर्नाटक के सीएम रह चुके हैं जिस दौर में उन्होंने मुस्लिम शासक टीपू सुल्तान की भी उतनी ही अच्छी छवि बनायीं जितना के गुजरात में भाजपा ने अटल बिहारी बाजपेयी की. जिससे सिद्धारमैया के ऊपर मुस्लिम समुदाय शिवकुमार से ज्यादा भरोसा कर सकता है जिससे कांग्रेस का मुस्लिम वोटबैंक भी सलामत रहेगा.
#KarnatakaCM
Action before taking office..! Sivakumar tearing Savarkar subject in textbooks in Karnataka…!👍#Siddaramaiah #DKShivakumar pic.twitter.com/ecRVaATygy— Sheik (@KuthoosSheik) May 17, 2023
कर्नाटक के तीसरे सबसे बड़े समुदाय से संबंध
सिद्धारमैया कर्नाटक में उस कुर्बा समुदाय से संबंध रखते हैं कि जो वहां का तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है. और आपको ये बात नहीं भूलनी चाहिए की इस बार कर्नाटक में बीजेपी की हार की वजह क्या रही थी वो नेता कर्नाटक के सबसे बड़े लिंगायत समुदाय का सबसे बड़ा नेता है जिसे भाजपा ने नजरअंदाज किया और भाजपा चुनाव हार गई.
मतलब ये की कहीं न कहीं कर्नाटक चुनाव में संदाय एक अहम् भूमिका निभाता है ऐसे में सिद्धारमैया का अपने समुदाय में पकड़ रखना भी इस बात की पुष्टि करता है कि वो बतौर सीएम वो डी के शिवकुमार से ज्यादा महत्व रखते हैं.
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