कर्नाटक में कांग्रेस के वो 5 वादे, जिनपर ‘एक्शन’ लेते ही मच जाएगा बवाल?

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कर्नाटक में कांग्रेस को मिली शानदार जीत के बाद कांग्रेस के करता-धर्ता राहुल गांधी भी गदगद हैं. उन्होंने जीत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि कर्नाटक में लोगों से किए गए चुनावी वादों को जल्द पूरा करेंगे. नई दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के बाहर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमने कर्नाटक के लोगों से पांच चीजों का वादा किया था. पहली कैबिनेट बैठक में हम इन वादों को हकीकत में बदल देंगे.”

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उन्होंने इस शानदार जीत के लिए कर्नाटक के लोगों, कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं का आभार प्रकट करते हुए उन्हें बधाई दी है. राहुल गांधी ने कहा, “कर्नाटक चुनाव में एक तरफ क्रोनी कैपिटलिज्म था और दूसरी तरफ कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता . आज कर्नाटक के लोगों की जीत हुई है. नफरत की दुकानें बंद हो गईं और प्यार की दुकानें खुल गईं.”

राहुल गांधी ने जोर देकर कहा है कि कांग्रेस ने प्रेम के संदेश के साथ चुनाव जीता है. उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने यह लड़ाई प्यार से लड़ी है न कि नफरत से. कांग्रेस नेताओं ने प्रचार में नफरत भरे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया.”

कांग्रेस के पांच 5 बड़े वादे

भारत जोड़ो सोशल कमिटी का गठन

कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा का सञ्चालन किया था क्योंकि राहुल गांधी को ऐसा लग रहा था कि भारत जुदा नहीं है. इस यात्रा का परिणाम भी कांग्रेस को हिमाचल और अब कर्नाटक में और कांग्रेस को अब लगता है कि कर्नाटक जुदा हुआ नहीं है जिसके लिए अब वो भारत जोड़ो के लिए सोशल हारमनी कमिटी बनाने जा रही है. जिसके बाद देश में बवाल मचने के चान्सेस ज्यादा है.

ओल्ड पेंशन स्कीम(OPS) लागू करना

कांग्रेस शासित हर राज्य में कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर चुकी है जिसपर सरकार पहले ही रोक लगा चुकी है क्योंकि इससे राज्य के राजस्व पर बोझ पड़ता है. अब ये देखना ये लाजमी होगा कि क्या कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में जो बात कही है वो सच में पूरी होगी या नहीं?

बीजेपी के जन विरोधी कानूनों का वापस लेना

बीजेपी की तरफ से पास किए गए सभी जन विरोधी कानून को एक साल के अंदर वापस लिया जाएगा यानि की भाजपा ने कर्नाटक के विकास में अभी तक जो भी कानून लागू किया है उसे कांग्रेस सरकार वापस ले लेगी. हालांकि ये कहने में बुराई नहीं है कि कर्नाटक को आगे बढ़ने और विकास करने में भाजपा का काफी योगदान रहा है ऐसे में अब ये बवाल का मुद्दा बन सकता है.

विशेष समुदाय के आरक्षण में बढ़ोतरी

एससी/एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक/लिंगायत और वोक्कालिगा के आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 75% करने का वादा किया है सरकार इन आरक्षणों को बढाकर क्या पिछड़े समुदाय के लोगों को लकवाग्रस्त करना चाहती है? कि उनकी कोई वैल्यू ही नहीं है. ऐसे में 75 प्रतिशत आरक्षण कर देना और जेनरल केटेगरी के लिए कुछ भी न करना कहीं न कहीं राज्य में विद्रोह का मुद्दा बन सकता है.

बजरंग दल पर बैन लगाना

बजरंग दल, पीएफआई जैसे किसी भी संगठन पर प्रतिबंध लगाने सहित कानून के अनुसार निर्णायक कार्रवाई करेंगे चुनाव से पहले अपने जारी मैनिफेस्टो में कांग्रेस ने PFI से तुलना कर बजरंग दल पर बैन लगाने की बात की थी जिसका मतलब कांग्रेस के किया 5 वादों में एक वादा ये भी था कि वो बंजरंग दल जैसे उग्रवादी संगठन पर बैन लगा देंगे.

जिसके बाद ही देश भर में जगह जगह पर कांग्रेस का विरोध हुआ था. हाल ही में बजरंग दल पर बैन लगाने को लेकर कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को समन भी भेज दिया. अब देखन ये दिलचस्प होगा कि आखिर क्या कांग्रेस अपने वादों पर खरा उतरती है कि नहीं क्योंकि राहुल गांधी ने पहले ही कहा है कि हम अपनी पहली बैठक में ही उन 5 वादों को पूरा कर देंगे.

हार पर क्या बोले बी एस येदुरप्पा?

बीएस येदियुरप्पा बोले- हार-जीत भाजपा के लिए बड़ी बात नहीं है. 2 सीट से शुरुआत कर भाजपा आज सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. कार्यकर्ताओं को दुखी होने की जरूरत नहीं है. हम अपनी हार पर पुनर्विचार करेंगे. हम जनता के फैसले का सम्मान करते हैं और हमें वोट करने के लिए हम जनता का धन्यवाद करते हैं.

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