DK Shivkumar vs Siddaramaiah Hindi – कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को प्रचंड बहुतमत मिला है. कांग्रेस को 135 सीटों पर जीत मिली है. जीत के असली शिल्पकार डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया हैं. 10 मई को कांग्रेस ने कर्नाटक में कमाल तो किया लेकिन राज्य के लिए सीएम चुनने में कांग्रेस आलाकमान के पसीने छूट रहे हैं. अब सभी के मन में सवाल है कि दक्षिण के इस प्रमुख राज्य का मुख्यमंत्री कौन बनेगा.
Let Party decide who should be the CM.
But,giving baseless arguments like DK Sivakumar is not a PAN Karnataka face like Siddaramaiah is disgustful.
Remember, Yogi Adityanath was too only a face of certain region and now he is PAN India face after becoming CM. pic.twitter.com/G1EMUyQsip
— Classic Mojito (@classic_mojito) May 17, 2023
मुख्यमंत्री पद की रेस में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार सबसे आगे हैं और दोनों नेताओं ने दक्षिणी राज्य का नेतृत्व करने की अपनी महत्वाकांक्षा को छिपाया भी नहीं है. कांग्रेस विधायक दल ने नेता चुनने के लिए सर्वसम्मति से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अधिकृत किया है, जिसे नेता चुना जाएगा वही राज्य का अगला मुख्यमंत्री होगा. हालांकि अब खबरे सामने आ रही हैं कि 99% सिद्धारमैया (DK Shivkumar vs Siddaramaiah) को कर्नाटक की गद्दी मिलेगी लेकिन इस बात पर मुहर लगनी अभी बाकी है. ऐसे में दोनों में से कोई एक तो कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने जा रहा है तो उनकी कुछ खूबियों और कमियों के बारे में आज हम जान लेते हैं.
DK Shivkumar vs Siddaramaiah
क्या है डी के शिवकुमार की ताकत?
- मजबूत सांगठनिक क्षमता और चुनावों में पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका.
- पार्टी के प्रति वफादारी के लिए जाने जाते हैं.
- मुश्किल समय में उन्हें कांग्रेस का प्रमुख संकटमोचक माना जाता है.
- साधन संपन्न नेता.
- प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय, उसके प्रभावशाली संतों और नेताओं का समर्थन.
- गांधी परिवार से नजदीकियां.
- आयु उनके पक्ष में, कोई कारक नहीं.
- लंबा राजनीतिक अनुभव. उन्होंने विभिन्न विभागों को संभाला भी है.
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क्या हैं डीके शिवकुमार की कमजोरियां?
- आईटी, ईडी और सीबीआई में उनके खिलाफ मामले.
- तिहाड़ जेल में सजा.
- सिद्धारमैया की तुलना में कम जन अपील और अनुभव.
- कुल मिलाकर प्रभाव पुराने मैसुरू क्षेत्र तक सीमित है.
- अन्य समुदायों से ज्यादा समर्थन नहीं.
डीके शिवकुमार के पास कितने अवसर?
- पुराने मैसुरू क्षेत्र में कांग्रेस के वर्चस्व की मुख्य वजह उनका वोक्कालिगा समुदाय से होना है.
- कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री पद की स्वाभाविक पसंद.
- एसएम कृष्णा और वीरेंद्र पाटिल के मामले में भी ऐसा ही हुआ था.
- पार्टी के पुराने नेताओं का उन्हें समर्थन मिलने की संभावना.
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क्या हैं डीके शिवकुमार की राजनीति में जोखिम?
- सिद्धारमैया का अनुभव, वरिष्ठता और जन अपील.
- बड़ी संख्या में विधायकों के सिद्धारमैया का समर्थन करने की संभावना.
- केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दायर मामलों के कारण कानूनी बाधाएं.
- दलित या लिंगायत मुख्यमंत्री की मांग.
- राहुल गांधी का सिद्धारमैया को स्पष्ट समर्थन.
I (ಸಿದ್ದರಾಮಯ್ಯ) want to become a chief minister of Karnataka #CM_ಸಿದ್ದರಾಮಯ್ಯ #KarnatakaCM #MyCmSiddaramaiah pic.twitter.com/O7tOKZo0mc
— ಶ್ರೀಕಾಂತ ಮೌರ್ಯ(Shreekantha Maurya) (@Maurya1891) May 17, 2023
DK Shivkumar vs Siddaramaiah
सिद्धारमैया की क्या है ताकत?
- राज्य भर में व्यापक प्रभाव
- कांग्रेस विधायकों के एक बड़े वर्ग के बीच लोकप्रिय
- साल 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री. लंबा राजनीतिक अनुभव.
- 13 बजट प्रस्तुत करने के अनुभव के साथ सक्षम प्रशासक.
- अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों पर मजबूत पकड़.
- मुद्दों पर BJP और JDS को घेरने की ताकत.
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार का मुकाबला करने की मजबूत क्षमता
- राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं. जाहिर तौर पर उन्हें उनका समर्थन प्राप्त है.
क्या है सिद्धारमैया की कमजोरी?
- सांगठनिक रूप में पार्टी के साथ इतना जुड़ाव नहीं है.
- उनके नेतृत्व में 2018 में कांग्रेस की सरकार की सत्ता में वापसी कराने में विफलता.
- अभी भी कांग्रेस के पुराने नेताओं के एक वर्ग द्वारा उन्हें बाहरी माना जाता है.
- वह पहले JDS में थे
- सिद्धारमैया 75 वर्ष के हैं. उम्र बड़ी कमजोरी है.
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क्या हैं सिद्धारमैया के पास अवसर?
- निर्णायक जनादेश के साथ सरकार चलाने के लिए हर किसी को साथ लेकर चलने की क्षमता.
- 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस को मजबूत करने की स्वीकार्यता, अपील और अनुभव.
- मुख्यमंत्री पद पर नजर गड़ाए बैठे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शिवकुमार के खिलाफ IT, ED, CBI के केस.
- आखिरी चुनाव और मुख्यमंत्री बनने का आखिरी मौका.
क्या हैं सिद्धारमैया के जोखिम?
- मल्लिकार्जुन खरगे, जी परमेश्वर जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को एकजुट करना, जो सिद्धारमैया के कारण मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे.
- बी के हरिप्रसाद, केएच मुनियप्पा भी उनके विरोधी माने जाते हैं.
- दलित मुख्यमंत्री की मांग.
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