कांग्रेस की राजनीती में अचानक भूचाल सा आ गया है ऐसा इसलिए क्योंकि कोर्ट ने उनकी संसदीय सदस्यता रद्द कर दी है. जिसका मतलब सीधे और साफ़ तौर पर ये हुआ की अब वो न तो 2024 और न ही 2029 दोनों ही लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकते. दरअसल बात ये है की साल 2019 में राहुल गांधी ने एक भाषण दिया था जिसमे उन्होंने देश सभी फ्रॉड लोगों का नाम लेते हुए लिस्ट में प्रधानमंत्री मोदी का नाम भी ले लिया थे जिसके चलते इनके ऊपर मानहानि का केस दर्ज हुआ था. और राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने की वजह इनका ये भाषण बन गया. लोकसभा सचिवालय ने सूचना जारी कर संविधान के अनुछेद (102)(1)(e) और जनप्रतिनिधि कानून के तहत कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अयोग्य घोषित कर दिया. हालांकि किसी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने का मामला कोई नया नहीं है. साल 2014 से लेकर अब तक 9 जनप्रतिनिधयों को अयोग्य घोषित किया जा चुका है. जिसमे से विपक्षी दल के कुल 7 और भाजपा के 2 नेता शामिल हैं. आइए आज जानते हैं उन नेताओं के बारे में जिनकी सदस्यता राहुल गांधी से पहले रद्द की जा चुकी है.
क्या होता है अनुच्छेद (102)(1)(e)
102(1): कोई व्यक्ति संसद् के किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए निरर्हित होगा
1(क) यदि वह भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन, ऐसे पद को छोड़कर, जिसको धारण करने वाले का निरर्हित न होना संसद् ने विधि द्वारा घोषित किया है, कोई लाभ का पद धारण करता है;
(ख) यदि वह विकृतचित्त है और सक्षम न्यायालय की ऐसी घोषणा विद्यमान है;
(ग) यदि वह अनुन्मोचित दिवालिया है:
(घ) यदि वह भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली है या वह किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुषक्ति को अभिस्वीकार किए हुए है;
(ङ) यदि वह संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार निरर्हित कर दिया जाता है.
स्पष्टीकरण:- 2इस खंड के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का या ऐसे राज्य का मंत्री है .
102(2): 3कोई व्यक्ति संसद् के किसी सदन का सदस्य होने के लिए निरर्हित होगा यदि वह दसवीं अनुसूची के अधीन इस प्रकार निरर्हित जाता है.
42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 की धारा 19 द्वारा खंड (1) के उपखंड (क) को (तारीख अधिसूचित नहीं की गई) से प्रतिस्थापित किया गया. इस संशोधन का संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 45 द्वारा (20-6-1979 से) लोप कर दिया गया .
52वां संविधान (बावनवां संशोधन) अधिनियम, 1985 की धारा 3 द्वारा (1-3-1985 से) “(2) इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए” के स्थान पर प्रतिस्थापित.
52वां संविधान (बावनवां संशोधन) अधिनियम,1985 की धारा 3 द्वारा (1-3-1985 से) अंतःस्थापित.
कौन हैं वो 7 विपक्षी नेता?
जयललिता (Jaylalita)
इसमें पहला नाम अन्नाद्रमुक की तत्कालीन प्रमुख जयललिता का है. आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में जयललिता को चार साल के कारावास की सजा हुई थी, जिसके बाद सितंबर. 2014 में तमिलनाडु विधानसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी. कानून उन्हें अयोग्य करार दिया गया था.
आजम खान (Ajam Khan)
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान को 2019 के नफरत भरे भाषण के एक मामले में एक अदालत ने तीन साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें अक्टूबर 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य करार दिया गया था. वह रामपुर सदर विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
अनिल कुमार साहनी (Anil Kumar Sahni)
राजद विधायक अनिल कुमार सहनी को धोखाधड़ी के एक मामले में तीन साल कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद अक्टूबर 2022 में बिहार विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया था.
पीपी मोहम्मद फैज़ल (P P Muhammad Faizal)
इस सूचि में अगला नाम पीपी मोहम्मद फैजल का है. लक्षद्वीप के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सांसद पीपी मोहम्मद फैजल को जनवरी 2023 में हत्या के प्रयास के एक मामले में 10 साल के कारावास की सजा सुनाई गयी थी, जिसके बाद उन्हें भी अयोग्य घोषित कर दिया गया था. हालांकि, केरल उच्च न्यायालय ने बाद में फैजल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया. सांसद के अनुसार लोकसभा सचिवालय ने अब तक उनकी अयोग्यता को वापस लेने के संबंध में अधिसूचना जारी नहीं की है.
प्रदीप चौधरी (Pradeep Choudhary)
कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को जनवरी 2021 में हरियाणा विधानसभा से अयोग्य करार दिया गया था. उन्हें हमले के एक मामले में तीन साल जेल की सजा सुनाई गयी थी. वह कालका से विधायक थे.
अब्दुल्ला आजम खान (Abdulla Ajam Khan)
सपा विधायक अब्दुल्ला आजम खां को फरवरी 2023 में उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य करार दिया गया था. कुछ दिन पहले ही एक अदालत ने 15 साल पुराने एक मामले में उन्हें दो साल कारावास की सजा सुनाई थी. आजम खां के बेटे अब्दुल्ला रामपुर की स्वार विधानसभा से सदस्य थे.
अनंत सिंह (Anant Singh)
राजद विधायक अनंत सिंह को जुलाई 2022 में बिहार विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. उन्हें उनके आवास से हथियार और गोला-बारूद जब्त होने से जुड़े मामले में दोषी करार दिया गया था. सिंह पटना जिले की मोकामा सीट से विधायक थे.
ALSO READ: राहुल गांधी ने 2013 में जो अध्यादेश फाड़ा था, उसी के पीछे चली गई सदस्यता!
भाजपा के किन नेताओं की गई सदस्यता ?
विक्रम सिंह सैनी (Vikram Singh Saini)
भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अक्टूबर 2022 में अयोग्य करार दिया गया था. उन्हें 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के एक मामले में दो साल के कारावास की सजा सुनाई गयी थी. सैनी खतौली सीट से विधायक थे.
कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar)
भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार के एक मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद फरवरी 2020 में उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. सेंगर उन्नाव से विधायक थे.
आखिर क्यों चीन गयी राहुल की सदस्यता?
दरअसल राहुल गांधी की सांसदी मानहानि के एक मामले में सजा मिलने के बाद गई है. दरअसल 23 मार्च को सूरत (गुजरात) की अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि के चार साल पुराने मामले में दोषी पाया था. कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी. हालांकि, उन्हें तुरंत जमानत भी मिल गई. बता दें कि ‘मोदी सरनेम’ पर विवादित टिप्पणी के मामले राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज हुआ था .