CJI के सामने कम शब्दों में बहुत कुछ कह गए इंडियन एक्सप्रेस के संपादक, चंद्रचूड़ मुस्कुराते रहे

CJI के सामने कम शब्दों में बहुत कुछ कह गए इंडियन एक्सप्रेस के संपादक, चंद्रचूड़ मुस्कुराते रहे

दिल्ली में 22 मार्च को रामनाथ गोएंका अवॉर्ड्स समारोह (Ramnath Goenka Awards Ceremony) हुआ और इस समारोह में भारत के पक्ष विपक्ष के नेता के साथ भारतीय मीडिया के कई दिग्गाझ शामिल हुए तो वहीं देश के चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने भी इस समारोह में शिरकत करी. इसी दौरान इंडियन एक्सप्रेस के प्रधान संपादक राजकमल झा (Rajkamal Jha, editor-in-chief of the Indian Express) एक भाषण दिया और इस समय ये भाषण चर्चा का विषय बना हुआ है. 

Also Read- राहुल गांधी ने 2013 में जो अध्यादेश फाड़ा था, उसी के पीछे चली गई सदस्यता!.

सीलबंद लिफ़ाफ़े का हुआ जिक्र 

दरअसल. देश के चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के समाने इंडियन एक्सप्रेस के प्रधान संपादक राजकमल झा ने स्पीच देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अहमियत की बात की. पत्रकारों की आज़ादी की बात की. और, पत्रकारों की आज़ादी से लोकतंत्र पर क्या असर पड़ता है, उसकी बात की. इसी दौरन उन्होंने कहाः की “ये हमारा सौभाग्य है कि हमारे साथ माननीय चीफ़ जस्टिस मौजूद हैं. और, सीलबंद लिफ़ाफ़े (sealed envelopes) में कुछ भी नहीं है. ये वोट ऑफ़ थैंक्स है, लेकिन हम जिस समय में रह रहे हैं, मैं कहना चाहता हूं कि कोई वोट नहीं होगा. यहां सिर्फ थैंक्स होगा.”

इस वजह से हुआ सीलबंद लिफाफे का जिक्र  

यहां सीलबंद लिफ़ाफ़े वाली टिप्पणी का इशारा CJI के हालिया बयान पर था. हाल ही में CJI चंद्रचूड़ अदालत में दिए जाने वाले सीलबंद लिफ़ाफ़े के इस्तेमाल पर भड़क गए थे. OROP मामले में अटॉर्नी जनरल ने उन्हें सीलबंद लिफ़ाफ़ा दिया, तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया था. ज्सिके बाद से  सीलबंद लिफ़ाफ़े वाला बात खूब चर्चा में रही

राजकमल  ने करी CJI के नज़रिए की तारीफ़

इसी के साथ राजकमल ने आज़ाद मीडिया के लिए CJI के नज़रिए की तारीफ़ की और कहा कि “साल दर साल, केस दर केस, सुप्रीम कोर्ट की रोशनी ने पत्रकारों और पत्रकारिता के लिए राह रोशन की है. इसलिए जब रोशनी कम हो जाती है. जब एक रिपोर्टर को आतंकवादियों के लिए बने क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया जाता है, जब दूसरे पत्रकार को सवाल पूछने के लिए गिरफ़्तार किया जाता है, जब एक विश्वविद्यालय के शिक्षक को कार्टून शेयर करने के लिए उठा लिया जाता है, एक कॉलेज के छात्र को एक भाषण देने के लिए, एक फ़िल्म स्टार को अपनी टिप्पणी के लिए या जब एक स्टोरी के बदले पुलिस FIR आती है- हम इसके रोशनी के लिए वापस इसी नॉर्थ स्टार की ओर मुड़ते हैं.”भाषण के अंत में उन्होंने पत्रकारों को नसीहत दी. कहा कि पत्रकारिता पत्रकारों के बारे में नहीं है, न ही केवल पत्रकारिता की आज़ादी के बारे में है. बल्कि पत्रकारिता हर नागरिक के जानने के अधिकार के बारे में है. हर नागरिक की आज़ादी के बारे में है.

रामनाथ गोयनका के नाम से दिया जाता है अवार्ड 

आपको बता दें, जिस समारोह में देश के चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हुए वो समारोह इंडियन एक्सप्रेस समूह के संस्थापक रामनाथ गोयनका के नाम पर पुरस्कार हर साल दिए जाते हैं और ये पुरस्कार पत्रकारों के हौसले, हिम्मत और काम के प्रति निष्ठा को देखते हुए दिया जाता है. 

Also Read- Rahul Gandhi की संसद सदस्यता रद्द, जारी हुआ नोटिफिकेशन.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here