‘त्रिपुरा के महाराज’ नहीं लड़ेंगे चुनाव
त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव (Tripura Assembly Elections) में इस बार एक नयी पार्टी भी हिस्सा ले रही है और ये पार्टी राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ‘त्रिपुरा के महाराज’ (Maharaj of Tripura) प्रद्योत की पार्टी है जो पहली बार विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार बनाने के लिए उतरी है और इस समय ये पार्टी चर्चा का विषय बनी हुई है.
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जानिए कौन है ‘त्रिपुरा के महाराज’ प्रद्योत
‘ग्रेटर तिपरालैंड’ की मांग करने वाली तिपरा मोथा के मुखिया प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा उर्फ ‘त्रिपुरा के महाराज’ राजघराने से ताल्लुक रखते हैं और वो 45 साल के हैं. 1978 में दिल्ली में जन्मे प्रद्योत त्रिपुरा के 185वें राजा किरीट बिक्रम देबबर्मा और महारानी बीहूबी कुमारी के बेटे हैं. उनके पिता तीन बार लोकसभा के सांसद और मां विधायक रह चुकी हैं. वहीं अब प्रद्योत का कहना है कि उनके परिवार का कोई शख्स तिपरा मोथा से चुनाव नहीं लड़ेगा. विधानसभा चुनाव में भी वह खुद उम्मीदवार नहीं हैं.
प्रद्योत ने दिया आखिरी भाषण
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन प्रद्योत माणिक्य चारिलम ने एक रैली में ये ऐलान किया कि ‘आज राजनीतिक मंच पर मेरा आखिरी भाषण है और मैं विधानसभा चुनाव के बाद कभी बुबागरा (राजा) बनकर वोट नहीं मांगूंगा. इससे मुझे पीड़ा हुई लेकिन मैंने आपके लिए एक कठिन लड़ाई लड़ी है.
कांग्रेस छोड़कर बनाई थी अपनी पार्टी
राजनीति शुरू करते समय प्रद्योत कांग्रेस (congress) पार्टी में थे. साल 2019 में वह कांग्रेस से अलग हो गए. वहीं इसके बाद ग्रेटर तिपरालैंड की मांग को लेकर उन्होंने अपनी पार्टी बना ली. उनकी पार्टी की मांग है कि ग्रेटर तिपरालैंड सिर्फ उन लोगों के लिए बने जो विभाजन के दौरान पूर्वी बंगाल से आए बंगालियों की वजह से अपने ही क्षेत्र में अल्पसंख्यक हो गए हैं.
अकेले ही जीता था जिला परिषद का चुनाव
इससे पहले त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के चुनाव में तिपरा मोथा ने अकेले अपने दम पर ही बीजेपी और IPFT गठबंधन को करारी शिकस्त दी थी और 28 में से 18 सीटें जीती थी. त्रिपुरा की 60 में से 20 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. यही वजह कि सभी पार्टियों के लिए तिपरा मोथा बड़ी चुनौती बना हुआ है. आपको बता दें कि त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों के लिए 16 फरवरी को वोटिंग होगी और 2 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे.
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