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क्या आप जानते हैं फेफड़ों की इस जानलेवा बीमारी के लक्षण और बचाव, हर साल होती है लगभग ...

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CPOD se kaise Bachen – आज के समय में व्यक्ति को कब, कौन सी बीमारी अपना शिकार बना ले कुछ कहा नहीं जा सकता, ऐसे में सबसे जरूरी होगा कि हमें हर तरह की बीमारियों और उनसे बचने के उपायों के बारे में जानकारी जरूर रखनी चाहिए. इसलिए आज हम आपको फेफड़ों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे अभी बचाव नहीं किया तो बाद में पछताना पड़ सकता है, क्योंकि ये जानलेवा बीमारी दुनियाभर में तेजी से फैल रही है और इससे हर साल करीब 15 लाख लोगों की मौत भी हो जाती हैं, तो आइए आपको इसके बारे में बताते हैं…

दुनियाभर में फैल रही इस बीमारी को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) कहा जाता है, जोकि फेफड़ों की बीमारी है. इसके लक्षण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से मिलते-जुलते हैं. ये सीओपीडी है जिसमें व्यक्ति की एनर्जी कम होने लगती है और वो कुछ कदम चलकर ही थकने लगता है. इसके अलावा सांस नली में नाक से फेफड़े के बीच सूजन की वजह ऑक्सीजन की सप्लाई घटती है. जिसका प्रभाव दूसरे अंगों पर भी पड़ता है.

सीओपीडी के लक्षण

अगर बात करें सीओपीडी के लक्षण की तो इसका सबसे पहला लक्षण ये होता है कि व्यक्ति को 2 महीने तक लगातार बलगम की तकलीफ रहती है और उसे खांसी के सामान्य सिरप और दवाईयां भी असर नहीं करती हैं. ज्यादा बलगम वाली खांसी की समस्या होना, सांस लेने में घरघराहट, सीने में जकड़न होना, खासकर शारीरिक श्रम करने पर और सांस की तकलीफ आदि इसके लक्षण हैं.

प्रमुख कारण

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) की मुख्य वजह धूम्रपान है. इसके अलावा फैक्ट्रियों और चूल्हे से निकलने वाला धुआं भी इसका कारण बनता है. इतना ही नहीं पेंट में प्रयोग होने वाले रसायन, सांस के साथ अंदर जाने वाले कीटनाशक और टीबी की पुरानी बीमारी भी खास कराण हैं.

जांचे

जहां जांच के दौरान फेफड़ों की ताकत की जांच करने के लिए स्पाइरोमेट्री का इस्तेमाल किया जाता है, तो वहीं एक्स-रे की मदद से रक्त या बलगम टैस्ट करने के साथ ही छाती में संक्रमण का पता लगाया जाता है. बहुत बार जांच में सीटी स्कैन या एमआरआई भी कराते हैं.

क्या है सीओपीडी का इलाज

सीओपीडी के इलाज के दौरान ज्यादातर मरीजों को इंहेलर दिया जाता है, जोकि बहुत कारगर होता है. सांस लेने में ज्यादा समस्या होने पर मरीजों को ऑक्सीजन थैरेपी भी दी जाती है. इतना ही नहीं मरिज के लक्षणों को देखते हुए उन्हें विभन्न दवाइयां भी दी जाती हैं. मानसिक और शारीरिक लक्षणों के आधार पर होम्योपैथी पद्धति में दवाई दी जाती हैं. जबकि आयुर्वेद में गोदंती भस्म और श्वांस कुठार रस भी दी जाती है.

प्राणायाम और योग ज्यादा असरदार

फेफड़ों की इस बीमारी में प्राणायाम और योग करने से काफी लाभ होता है. अगर कोई व्यक्ति इसे नियमित रूप से रोजाना करता है तो सीओपीडी की आशंका खत्म हो जाती है. कहा जाता है कि प्राणायाम इसके शुरूआती चरण को कम कर इसके बढ़ने के खतरे को भी खत्म कर देता है. इसके अलावा आप चाहें तो अनुलोम-विलोम,कपालभाति, सिंहासन, सर्वांगासन, भुजंगासन और ओम के उच्चारण के साथ सूर्यनमस्कार कर सकते हैं, लेकिन ध्यान ऐसा करने से पहले आपको किसी विशेषज्ञ की राय जरूर लेनी चाहिए.

देसी नुस्खे – CPOD se kaise Bachen

  • सीओपीडी के मरीजों को रोजाना गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इससे कफ हल्का होता है और फेफड़ों को भी राहत मिलती है.
  • रोजाना दिन में दो से तीन बार दालचीनी और गुड़ या शहद का सेवन करने से भी मरीज को इस बीमारी में राहत मिलती है.
  • मरीजों को दूध में शहद,हल्दी, तुलसी की पत्तियां और अदरक का रस मिलाकर सेवन करने से काफी लाभ होता है और कफ बनना भी रुक जाता है.
  • रोजाना रात के समय सोने से पहले एक गिलास दूध में लहसुन की चार से 5 कली का पेस्ट बनाकर उसमें डाले और फिर अच्छे उबाल लें. इसके बाद उसे ठंडा करके पी लें. ऐसा करने से संक्रमण कम होगा.

सावधानी

आपको इसका खास ध्यान देना है कि अगर सीओपीडी के कोई भी लक्षण आपमें है तो अपने वजन को बढ़ने से रोकें, वायु प्रदूषण वाले स्थानों पर न जाएं और गलती से भी धूम्रपान न करें. अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो दवाई नियमित रूप से वक्त पर लें और बिना डॉक्टर की सलाह के कोई एक्सरसाइज या योग न करें.

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केवल 80 घंटों तक फडणवीस ने संभाला महाराष्ट्र में सीएम पद, जानिए किन मुख्यमंत्रियों का...

राजनीति गलियारो में एक पद को पाने के लिए राजनेता कई तरह की नीतियों को अपनाते रहते हैं, ऐसे में जब बात आती सत्ता हासिल करने की तो कई उम्मीदवार खड़े हो जाते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री का पद हासिल करना भी कोई आम बात नहीं है, बहुमत के साथ जनता का विश्वास जीतना भी बेहद जरूरी होता है. वहीं, महाराष्ट्र में कई दिनों से मुख्यमंत्री के पद को लेकर राजनीतिक उठापटक चलने और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद से एक बार फिर ये चर्चा का विशेष बन गया कि किसकी सरकार कौन से राज्य में बहुत कम समय तक रही? इसके अलावा किन राजनीतिक परिस्थितियों के कारण मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा.

आपको बता दें कि विभन्न प्रदेशों के करीब एक दर्जन नेता ऐसे रह चुके हैं जो कुछ दिन या फिर कुछ घंटे तक ही अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री रह पाए और फिर उनको इस्तीफा देना पड़ा, तो आइए आपको बताते हैं.

इन मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल बेहद छोटा

मुख्यमंत्री का नाम   साल   राज्य समय (कितने दिन तक रहे मुख्यमंत्री)
सतीश प्रसाद सिंह 1968 बिहार 5 दिन
बी पी मंडल 1968 बिहार 31 दिन
सी एच मोहम्मद कोया 1979 केरल 45 दिन
जानकी रामचंद्रन 1988 तमिलनाडु 23 दिन
जगदंबिका पाल  1998 उत्तर प्रदेश 1 दिन
एस सी मराक  1998  मेघालय 3 दिन
ओम प्रकाश चौटाला 1990 हरियाणा 5 दिन
ओम प्रकाश चौटाला 1991 हरियाणा 4 दिन
शिबू सोरेन 2005 झारखंड 9 दिन
बीएस येदियुरप्पा 2007 कर्नाटक 8 दिन
बीएस येदियुरप्पा 2018 कर्नाटक 3 दिन

 

देवेंद्र फडणवीस का नाम भी हुआ शामिल

वहीं, सीएम पद की शपथ लेकर इस्तीफा देने वालों की 11 राजनेताओं की लिस्ट में 12वां नबंर देवेंद्र फडणवीस का भी जुड़ गया है. देवेंद्र का मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का कार्यक्रम भी काफी हैरान करने वाला था, क्योंकि किसी को भी ये उम्मीद नहीं थी कि देवेंद्र यूं अचानक से शपथ ले लेंगे. जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया था, यहां तक कि विपक्षी पार्टियों ने कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने का निर्णय सुनाया. जिसके बाद पहले डिप्टी सीएम ने इस्तीफा दिया और फिर सीएम ने भी अपने पद से इस्तीफा दे डाला. इसके चलते अब उनका नाम भी सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री रहने वालों की सूची में दर्ज हो गया. बता दें कि देवेंद्र फडणवीस दूसरी पारी में लगभग 80 घंटों के लिए ही मुख्यमंत्री के पद पर रह पाए और उन्होंने 26 नवंबर, मंगलवार की शाम को इस्तीफा दे दिया.

केवल एक हफ्ते में बनाएं अपनी फटी एड़ियों को नरम, जानिए ये 4 बेहतरीन नुस्खें!

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Home remedies for Torn Heels – सर्दियों के मौसम की शुरूआत होती नहीं है कि उसे पहले ही हमारे स्कीन ड्राय होनी शुरू हो जाती हैं और इस मौसम में पैरों में रूखापन आना या एड़ियों का फटना तो एक आम बात है. बहुत बार तो एड़ियां इस तरह से फट जाती हैं कि इनमें दर्द होने के साथ-साथ खून तक निकलना शुरू हो जाता है. वहीं, क्या आप भी इस समस्या से परेशान हैं?, तो बस हम आपकी इस समस्यां को दूर करने के लिए नुस्खे बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आपकी  फटी एड़ियां एकदम सही होने के साथ मुलायम हो जाएंगी, आइए आपको बताते हैं…

तेल की मालिश करें

अगर आपकी भी एड़ियां फट रही हैं तो इन पर नारियल के तेल से मालिश करें. इसके लिए नारियल का तेल लें और उसे गर्म करके अपने पैरों पर लगा लें. ऐसा करने से आपके पैर मुलायम बनने के साथ ही रुखेपन से मुक्त होते हैं.

पेट्रोलियम जेली लगाएं

यूं तो सर्दी के मौसम में पेट्रोलियम जेली लगाने से त्वाचा के रूखेपन में नमी आती है, वहीं जिन लोगों की एड़ियां बुरी तरह से फटी हुई हैं उन्हें रोजाना रात को सोने से पहले अपने ए़ड़ियों पर पेट्रोलियम जेली लगाकर मौजे पहन लें. इस तरह से रोजाना करने पर सिर्फ एक हफ्ते में आपकी एड़िया सही हो जाएंगी.

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हल्दी

अगर आपकी एड़ियां फट रही है और उसमें से खून भी निकल रहा है तो इसके लिए आप सबसे पहले पानी को गर्म कर लें और उसमें हल्दी और नारियल का तेल डाल दें. इसके बाद इस पानी में अपने पैरों को लगभग 10 मिनट तक रखें. इस तरह से करने पर आपके पैरों से खून निकलना बंद हो जाएगा. इसके अलावा आप चाहे तो हल्दी का लेप बनाकर भी इनपर लगा सकते हैं. इसके लिए आपको हल्दी में नारियल का तेल मिलाकर इस लेप को अपने पैरों पर लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें. उसके बाद गुनगुने पानी से इसे साफ कर लें.

शहद – Home remedies for Torn Heels

रोजाना नहाने के बाद अपने पैरों पर शहद लगाएं, ऐसा करने से आपके पैरों का रुखापन दूर हो जाएगा और आपके पैरों की नमी बरकरार रहेगी. इसके लिए आप सबसे पहले आधे कप पानी लें और उसमें एक चम्मच शहद डाल दें. इसके बाद इससे अपना पैर धो लें.

लगातार एक हफ्ते तक खा लें ये एक चीज, शरीर के दुबलेपन से लेकर बवासीर की बड़ी समस्या भी...

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काले चने के फायदे – आज के समय में शरीर का दुबलापन कई लोगों के लिए बड़ी समस्या बनकर रह गया है. इससे छुटाकारा पाने के लिए अक्सर लोग तरह-तरह के नुस्खें या दवाईयों को भी अपनाते हैं. जिसके बाद भी शरीर पर खासा असर नहीं होता है. कई बार तो दुबलेपन को कम करने वाली दवाईयों का सेवन करने से शरीर फुल जाता है, जिसे न तो आप ताकतवर शरीर कह सकते है और न ही मोटापा. बस एक फुलता हुआ खोखला शरीर जरूर कह सकते हैं.

ऐसे में बेहतर होगा कि आप ताकतवर चीजों का सेवन कर अपने दुबलेपन को दूर कर लें और अपने आपको तुंदरूस्त बना लें. वहीं, आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका सेवन करने से ताकतवर होने के साथ-साथ आप स्वास्थ रहेंगे, तो आइए आपको बताते हैं…

काले चने के फ़ायदे 

हम आपको जिस ताकतवर चीज के बारे में बताने जा रहे हैं वो है “चना”. इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन होता है जो पुरुषो के लिए काफी अच्छा भी साबित होता है. वहीं, अगर आप रात के समय चने को भिगो दें और फिर अगले दिन सुबह खाली पेट इसका सेवन करेंगे तो कुछ ही दिनों में आपकों अपने शरीर में बदलाव दिखने लगेंगे और आपकी दुबलेपन की समस्या दूर हो जाएगी, तो आइए आपको रोजाना खाली पेट भीगे हुए चने खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं वो आपको बताते हैं…

कब्ज और सर्दी-जुकाम से राहत

अगर आप रोजाना भिगोए हुए चने का सेवन करते हैं तो आपको पेट संबंधित परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि इसमें कई सारे फाइबर्स होते हैं जो कब्ज़ियत दूर करने में मददगार साबित है. इसके अलावा ये खाने को पचाने में भी काफी मददगार साबित होता है और तो और चना का सेवन करने से इम्युनिटी भी बढ़ाती है, जो सर्दी-जुकाम से राहत पाने में मददगार है.

यूरिन प्रॉब्लम – काले चने के फायदे

जिन लोगों को यूरिन से जुड़ी परेशान है उन्हें रोजाना सुबह खाली पेट भीगे हुए चने का सेवन करना चाहिए. वो चाहे तो चना और गुड़ भी साथ में खा सकते हैं. ऐसे करने से उन्हें जल्द इस परेशानी से राहत मिलेगी और बवासीर की समस्या से भी राहत मिलेगी.

शुगर कंट्रोल

जिन लोगों को मधुमेह है उनके लिए भी भीगे हुए चना खाना काफी लाभदायक साबित होता है. क्योंकि इसका रोजाना सेवन करने से शुगर की समस्या से परेशान लोगों का शुगर लेवल नार्मल रहता है. जिसके चलते आपका शुगर हमेशा कंट्रोल में ही रहेगा.

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अगर आपके घर में भी उग रहा है पीपल का पेड़, तो बन सकते है आपके बिगड़े हुए काम, जानें क...

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हिन्दु मान्यताओं के अनुसार पीपल का पेड़ काफी शुभकारी माना जाता है। इसे न सिर्फ धर्म संसार से जोड़ा गया है बल्कि विज्ञान और आयुर्वेद के अनुसार भी ये स्वास्थ्य ठीक करने के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। साथ ही इसके कई ज्योतिषीय गुण भी माने गए हैं। हमारे घर के आसपास आपने कई बार पीपल का पेड़ उगता हुआ देखा होगा। वैज्ञानिकों की मानें तो आसपास पीपल का पेड़ रहने से वातावरण में एक नयापन आता है। एक नई ऊर्जा रहती है। अगर आपके भी घर के आसपास कहीं पीपल का पौधा उग जाता है, तो कुछ ज़रूरी बातें है जो आपको दिमाग में ध्यान रखने की ज़रुरत है।

सूर्योदय से पहले कभी नहीं करें पूजा

वैसे पीपल के पेड़ का धार्मिक महत्व तो सभी जानते हैं । शुभ कामों में पीपल के पत्तों से वंदनवार भी बनाये जाते हैं। पीपल में पितरों का वास माना गया है. इसमें सब तीर्थों का निवास भी होता है इसीलिए मुंडन आदि संस्कार पीपल के पेड़ के नीचे करवाने का प्रचलन है. मंदिरों में भी आपने अक्सर पीपल के पेड़ लगे हुए ज़रूर देखें होंगे। सूर्योदय के बाद पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी जी का अधिकार माना गया है। इसलिए अगर आपके आसपास पीपल का पेड़ है तो उसकी सूर्योदय से पहले कभी न पूजा करें। मान्यता है कि इससे घर में दरिद्रता आती है।

पीपल के पेड़ को कभी ना काटे

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो पीपल का पेड़ अगर उग भी आया है तो उसे काटने से परहेज करें। इसको काटना या नष्ट करना ब्रह्महत्या के समान पाप माना गया है। बल्कि पीपल के पेड़ की काटने के बजाय उसी स्थान पर पूजा करनी चाहिए। इससे आपके कार्यों और विचारों में एक स्टेबिलिटी आएगी। आपकी तार्किक क्षमता में वृद्धि आती है। कहते हैं कि इसकी पूजा करने से शादी में आ रही समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। घर में धन का लाभ होता है और आय का प्रवाह आसान बनता है। इससे आपकी बुद्धिमता बढ़ती है।

सेहत के लिए है फायदेमंद

ये बात वैज्ञानिकों ने भी साबित की है कि पीपल का पेड़ हमें चौबीस घंटे ऑक्सीजन देता है। आसपास पीपल का पेड़ रहने से आप दीर्घायु बनते हैं। लेकिन रात के समय इस वृक्ष के नीचे सोना अशुभ माना गया है। लेकिन इसकी छाया ठंडियों में गर्म और सर्दियों में ठंडी रहती है। इसके वृक्ष के पत्ते से लेकर फल तक सभी में औषधीय गुण रहते हैं जिससे आपके किसी भी तरह के रोग ज्यादा दिन तक शरीर में टिक नहीं पाएंगे। जैसे शरीर के किसी हिस्से में घाव हो जाने पर पीपल के पत्तों का गर्म लेप लगाने से घाव सूखने में मदद मिलती है। अगर पीपल के पत्तों को छांव में सुखाकर मिश्री के साथ इसका काढ़ा बनाकर पी लें, तो इससे काफी समय तक रहने वाला जुखाम जल्दी ठीक हो जाता है।

ठहर जाइये पीपल के फायदे सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। इसके अलावा किसी जहरीले जानवर के काट लेने पर रोगी को थोड़ी थोड़ी देर में अगर विष का रस पिलायेंगे, तो उससे जहर का असर कम होने लगता है। आजकल बदलते मौसम में अजीबोगरीब स्किन की समस्याएं भी जन्म ले रही है। इस स्थिति में उस जगह पर पीपल की छाल घिसकर लगा लें। इससे आपको काफी फायदा मिलेगा। अगर ज़िन्दगी में किसी स्ट्रेस से जूझ रहे हैं, या कोई बात आपको बार बार परेशान कर रही है तो भी पीपल का पेड़ आपकी काफी मदद कर सकता है। अपने दिमाग को कूल या विचलित मन शांत करने के लिए इसके कोमल पत्तों को नियमित रूप से चबाये। इससे आप खुद को स्ट्रेस फ्री महसूस करेंगे।

अगर आपके घर में किसी ऐसी जगह पर पीपल का पौधा निकलता है, जहां से उसे हटाना आपकी मजबूरी है। तो घबराने की बात नहीं है। पहले उसी स्थान पर पेड़ की पूजा करें। फिर उसे वहां से निकाल कर किसी गमले में लगा दें। इस बात का ध्यान रखें कि उस पौधे को हटाते समय उसकी जड़ गलती से भी न काटें। घर की पूर्व दिशा में भी पीपल का पेड़ लगाने से बचें, क्योंकि इसे धन का काफी नुकसान होने की संभावनाएं रहती हैं। पीपल की पूजा करने के बाद उसको किसी गमले में लगा दें। ऐसा करने से आपके चारों ओर किसी भी तरह की नेगेटिविटी चाह कर भी नहीं पनपेगी।

क्रिकेट फैन्स के लिए बेहद खास है आज का दिन, ‘हिटमैन’ ने 5 साल पहले खेली थी यादगार पार...

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जब भी रोहित शर्मा का नाम आता है तो सबसे पहले उनकी 264 रनों की शानदार पारी याद आती है. रोहित शर्मा ने आज ही के दिन 5 साल पहले यानि 13 नवंबर 2014 को ये यादगार पारी खेली थी. क्रिकेट के फैन्स रोहित की इस पारी को कभी भुला नहीं पाएंगे. जिस विस्फोटक अंदाज में रोहित ने बल्लेबाजी की थी, तब हर कोई बस उनको ही देखता रह गया. रोहित शर्मा ने 5 साल पहले श्रीलंका के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्ड्न्स में ये इतिहास रचा था.

जब रोहित 4 रन पर थे, श्रीलंका से छूटा था कैच

2014 में भारत और श्रीलंका के बीच नवंबर में पांच मैचों की वनडे सीरीज खेली गई थी. विराट कोहली इस सीरीज में कप्तान थे. इस सीरीज के चौथे मैच में रोहित शर्मा ने ये कारनामा कर दिखाया था. जिसे आजतक कोई भी बल्लेबाज तोड़ नहीं पाया. उस दिन रोहित को किस्मत का भी भरपूर साथ मिला था. सिर्फ 4 रनों पर श्रीलंका ने रोहित का कैच छोड़ दिया था, जिसके बाद रोहित ने ये रिकॉर्ड बना दिया.

33 चौके और 9 छक्के जड़े थे

अपनी इस पारी में रोहित ने 173 गेंदो का सामना किया था. 264 रनों का विशाल स्कोर में रोहित ने 33 चौके और 9 छक्के जड़े थे. इस पारी की शुरूआती 100 गेंदों में रोहित ने 100 रन बनाए थे. इसके बाद 73 रनों पर उन्होनें 164 रन बनाए. ऐसा नहीं है कि रोहित ने वनडे इंटरनेशनल में सिर्फ एक ही बार डबल सेंचुरी बनाई हो. वो तीन बार डबल सेंचुरी बना चुके हैं. रोहित ने पहली डबल सेंचुरी 2 नवंबर 2013 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाई थी. इसके अलावा वो 2017 में भी वनडे में दोहरा शतक जड़ चुके हैं, लेकिन रोहित शर्मा की ये 264 रनों की पारी सबसे खास है, क्योंकि आज तक कोई भी खिलाड़ी इसको तोड़ नहीं पाया है.

इतिहास के पन्नों में दर्ज हुए ये दो खास मामले, जानिए क्या है 9 नवंबर का इतिहास

9 November ka Itihas – “9 नवंबर” ये सिर्फ एक तारीख नहीं बल्कि ये एक ऐसा दिन है, जिसमें होने वाली कई घटनाओं ने इतिहास का रूप लिया. 5 सदियों से चला आ रहा राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद  के मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया. फैसला आ जाने के बाद भारत के इतिहास में इस तारीख में एक और मामला दर्ज हो गया, तो आइए आपको बताते हैं कि 9 नवंबर के दिन इतिहास में क्या-क्या घटनाएं हुई, जिसे आज भी दुनिया याद रखती है.

करतारपुर साहिब कॉरिडोर 

9 नवंबर 2019 को भारत के नागरिकों के लिए करतारपुर साहिब कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया. देश की आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी रोक टोक के बिना भारतीय लोगों करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन कर सकते हैं. बता दें कि भारत-पाकिस्तान की दोनों सरकारों ने 550वां प्रकाश पर्व मनाने के लिए ये मंजूरी दी है. जहां इसका उद्घाटन भारत के पीएम नरेंद्र मोदी भारत में किया तो वहीं इसका उद्घाटन पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने पाकिस्तान में किया. जिसके बाद 9 नवंबर 2019 की ये तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई.

  • रोज बर्लिन की दीवार को गिराया

13 अगस्त 1961 में बनाई गई रोज बर्लिन की दीवार को 9 नवंबर को गिरा दिया गया था.  बर्लिन की दीवार जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य और पश्चिमी बर्लिन के बीच एक अवरोध थी. जिसने बर्लिन शहर को 28 साल तक पश्चिमी और पूर्वी टुकड़ों में बांट रखा था. वहीं, 9 नवंबर 1989 के बाद के हफ्तों में इस दिवार को तोड़ दिया गया था. ये दीवार अंदरूनी जर्मन सीमा का बहुत खास हिस्सा था और शीत युद्ध का खास प्रतीक भी था.

सिक्खों के गुरु नियुक्त – 9 November ka Itihas

9 नवंबर, 1675 को गुरु गोबिंद सिंह जी को सिक्खों के गुरु नियुक्त हुए थे. बता दें, अपने पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु से पहले यानि 11 नवंबर 1675 को गुरु गोबिंद सिंह जी गुरु बने थे. सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ “गुरु ग्रंथ साहिब” को इन्होंने ने ही पूरा किया था.

  • पहली टीवी फिल्म प्रदर्शित

एड्स थीम पर आधारित पहली टीवी फिल्म ‘एन अर्ली फ्रोस्ट’ को 11 नवंबर 1985 में अमेरिका में प्रदर्शित किया गया था. जिसे John Erman ने डायरेक्ट किया था.

  • नई दिल्ली में 9 नवंबर, 1973 में पहली अंतरराष्ट्रीय डाक टिकट प्रदर्शनी शुरू हुई थी.
  • अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साल 1966 में अंतरिक्ष यान ‘जेमिनी-12’ लॉन्च किया था.
  • साल 2000 में ऑस्ट्रिया में सुरंग में जा रही ट्रेन में आग लगी थी, इस दौरान 170 लोगों की मृत्यु हो गई थी. बता दें कि एक सुरंग में ये ट्रेन फंस गई थी और इसमें आग लग गई थी.
  • 16वीं शताब्दी से चले आ रहे संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में आखिरकार 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना ही दिया, जिस वजह से 9 नवंबर 2019 को ये दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही दूसरी जगह बाबरी मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया.

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अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले 5 जजों के बारे में जानें कुछ विशेष बातें…

सदियों से चले रहे अयोध्या विवाद पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. लंबे अरसे से देशवासी जिस फैसले का इंतजार कर रहे था वो राम मंदिर के पक्ष में आया. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने का फैसला दिया, जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग से अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने इस मामले पर 40 दिनों तक सुनवाई की थी. जिसके बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.

40 दिनों तक कोर्ट में चली तीखी बहस के बाद 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की शामिल थे. आइए इन जजों के बारे में कुछ खास बातें जिन्होनें बरसों पुराने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया है.

  1. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व में ही 5 जजों की बेंट अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही थी. उनका जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ था. रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी. 2001 में गोगोई गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बने थे. इसके बाद 2010 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए थे. 2011 में रंजन गोगोई पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी बन गए थे. 23 अप्रैल 2012 में जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे. रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर 3 अक्टूबर को पदभार संभाला था. वो इसी 17 नवंबर को रिटायर भी हो रहे है. बतौर चीफ जस्टिस उन्होनें अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए है.

2. जस्टिस एस.ए बोबड़े

जस्टिस एस.ए बोबड़े इस पीठ के दूसरे जज हैं. रंजन गोगोई के रिटायर होने के बाद वो ही अगले चीफ जस्टिस होंगे. जस्टिस एस.ए बोबड़े ने 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र ज्वाइन की थी. इसके बाद उन्होनें बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की. 1998 में एस.ए बोबड़े वरिष्ठ वकील भी बने थे. 2000 में उन्होनें बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार संभाला था. साथ ही वो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के भी चीफ जस्टिस रह चुके हैं. साल 2013 में उन्होनें सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर कमान संभाली. वो 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर पदभार ग्रहण करेंगे. जस्टिस एस. ए. बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे.

3. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़

13 मई 2016 को जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर पद संभाला था. उनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. इससे पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे. वो बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर जज भी काम कर चुके हैं. जज नियुक्त होने से पहले वो देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता जैसे कई बड़े मामलों पर फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा रह चुके हैं.

4. जस्टिस अशोक भूषण

जस्टिस अशोक भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ है. अशोक भूषण ने 1979 में यूपी बार काउंसिल ज्वाइन की थी. इसके बाद उन्होनें इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस भी की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अशोक भूषण ने कई पदों पर काम किया है. 2001 में जस्टिस अशोक भूषण बतौर जज नियुक्त किए गए थे. साल 2014 में वो केरल हाईकोर्ट के जज बने थे और 2015 में वो वहां के चीफ जस्टिस बने थे. सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उन्होनें 13 मई 2016 को कार्यभार संभाला था.

5. जस्टिस अब्दुल नज़ीर

1983 में जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने वकालत शुरू की थी. उन्होनें कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस भी की है. इसके बाद अब्दुल नज़ीर ने बतौर एडिशनल जज और परमानेंट जज काम किया है. 17 फरवरी 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला था.

रोजाना बादाम और एक किलो घी पीता है 15 करोड़ की कीमत वाला ये भैंसा, जानिए क्या है इसकी...

इन दिनों राजस्थान के पुष्कर में बहुत बड़ा पशु मेला लगा हुआ है, जिसमें दुनियाभर के तमाम पशु शामिल हुए हैं, जिनमें से एक भैंसा जमकर सुर्खियां बटोर रहा है. करोड़ो में बिकने वाली इस भैंसा को देखकर हर कोई दंग है क्योंकि इसकी कई खूबियां इंसानो से बहुत मिलती जुलती है. ये ही कारण है कि इसकी कीमत भी काफी अधिक है.

सूर्खियां बटोर रहे इस भैंसे का नाम भीम बताया जा रहा है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं. हर कोई इसके बारे में जानने के लिए उत्सुक दिखाई दे रहा है. भीम के मालिक ने इसकी खूबियों के बारे में बताने के साथ-साथ उसके मंहगे होने की वजह भी बताई है, तो आइए आपको इस भैंसा की खूबियों के बारे में बताते हैं…

आखिर क्यों है ये भैंसा इतना महंगा?

भीम नाम का ये भैंसा कोई आम भैसा नहीं है, ये अन्य भैंसों से अलग है. इसकी कीमत 1 या 2 करोड़ नहीं बल्कि 15 करोड़ रुपये है. कहा जाता है कि इस भैंसा से जो भी भैंस गर्भवती होती है, वो सदैव अधिक दूध देने वाली भैंस ही पैदा करती है.

इसलिए ये भैंसा 15 करोड़ रुपये की कीमत में बिकेगा और तो और इसे खरीदने के लिए भी काफी लोग उत्साहित हैं. बता दें कि भैंसा का इस्तेमाल भैंस को गर्भवती करने के लिए किया जाता है, ये ही कारण है कि ज्यादा दूध देने वाली भैंस को पैदा करने के लिए इस भैंसा की मांग काफी ज्यादा है.

क्या है भीम का डाइट प्लान?

भीम के मालिक से जब इसके डाइट प्लान की बात की गई तो उसने बताया कि इसका डाइट प्लान बिल्कुल अलग थलग है. ये भैंसा रोजाना एक किलो घी पीने के साथ-साथ बादाम, काजू और छुआरे आदि का भी सेवन करता है. इसके अलावा ये मक्खन और शहद का भी सेवन करता है. जिस वजह से इसके खानपान में कुल खर्च लगभग सवा लाख रुपये का होता है, इसलिए इसकी कीमत काफी ज्यादा है.

केवल 6 साल में बन गया ऐसा

भीम के मालिक ने कहा कि केवल 6 साल की मेहनत में भीम इतना अच्छा बन गया. उन्होंने आगे ये भी कहा कि भीम की देखभाल के लिए चार लोग हैं. इसकी रोजाना एक किलो सरसों के तेल से मालिश होती है, जिससे कि इसकी फिटनेस बरकरार है. भीम के बारे में जानकर तो ये बात साफ है कि ये अन्य घास-पूस खाने वाले भैंसो से काफी अलग है और इसलिए ही ये इतना मंहगा भी है.

जब 15 साल के थे विराट तो खुद को लिखा था एक खास लेटर, बर्थडे पर फैन्स के साथ किया शेयर

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टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली आज अपना 31 साल के हो गए है. विराट कोहली दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक है. ना सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी लोग उनको बहुत पंसद करते हैं. विराट कोहली अपना 31वां जन्मदिन पत्नी अनुष्का के साथ मना रहे है. उनके इस खास दिन पर करोड़ो लोग उन्हें विश कर रहे है. विराट ने अपने जन्मदिन पर फैन्स के लिए एक बेहद ही खास लेटर शेयर किया है. विराट कोहली का ये लेटर 16 साल पुराना है. जब वो 15 साल के थे तो उन्होनें खुद को एक लेटर लिखा था. जिसे उन्होनें आज अपने फैन्स के साथ शेयर किया है.

बर्थडे पर विराट ने 16 साल पुराना लेटर किया शेयर

15 साल के विराट ने इस लेटर में लिखा है- हाय चीकू, सबसे पहले तुम्हें जन्मदिन की बधाई. मुझे पता है कि भविष्य को लेकर तुम्हारे मन में बहुत सारे सवाल चल रहे होंगे जो तुम मुझसे पूछना चाहते हो. लेकिन मुझे माफ करना आज मैं तुम्हारे ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं दे पाऊंगा. क्योंकि जब किसी को ये पता नहीं होता कि भविष्य में आपके लिए क्या छिपा है, तो आपको हर सरप्राइज बेहद ही प्यारा लगता है. हर चुनौती रोमांच पैदा करती है और हर निराशा आपको एक सबक सिखाती है. आज तुम्हें इन सब चीजों का एहसास नहीं होगा, लेकिन मंजिल से ज्यादा खास सफर होता है. ये सफर सुपर है.

लेटर में आगे लिखा है- विराट तुम्हारे लिए जिंदगी ने बहुत कुछ बड़ा सोच रखा है. लेकिन इसके लिए तुम्हें रास्ते में आने वाले हर मौके के लिए तैयार रहना होगा. उस मौके को पकड़ना होगा. आसानी से मिलने वाली चीजों को कभी मत लेना. ऐसा करने पर तुम फेल भी हो जाओगे, जैसे हर कोई होता है. लेकिन खुद से एक वादा करों कि तुम कभी भी उठना नहीं भूलोगे. अगर पहली बार में तुम्हें कोई चीज नहीं मिलती है तो तुम उसके लिए दोबारा कोशिश करोगे. कई लोग तुम्हें प्यार भी करेंगे और कई लोग ऐसे होंगे जो तुम्हें जानते नहीं होंगे. उनकी चिंता कभी मत करना. हमेशा खुद पर भरोसा करना.

15 साल के विराट ने लेटर में आगे लिखा- ‘मैं जानता हूं कि तुम उन जूतों के बारे में सोच रहे हो जो पापा ने तुम्हें गिफ्ट नहीं किए. लेकिन ये पापा की एक झप्पी के आगे कुछ भी नहीं है, जो उन्होनें आज सुबह तुम्हें दी हैं. या फिर जो जोक उन्होनें तुम्हारी हाइट को लेकर सुनाया है. इससे ही मुस्कुराओ. मैं जानता हूं कि वो कई बार सख्त हो जाते हैं. पर ऐसा इसलिए हैं क्योंकि वो तुम्हारे लिए बेस्ट चाहते हैं. तुम ऐसा लगता है कि हमारे पैरेंट्स कई बार हमें नहीं समझते हैं. लेकिन हमेशा ये ध्यान रखना कि एक हमारा परिवार ही है जो हमें बिना शर्त के बहुत प्यार करता है. तुम भी उनको प्यार करो, उनका सम्मान करो और उनके साथ वक्त बिताओ.

पापा को बता दों कि तुम उनसे कितना प्यार करते हो. उन्हें बार-बार ये बताओ. आखिर में बस ये कहूंगा कि अपने दिल की सुनो और अपने सपनों की ओर भागो. दुनिया को ये दिखाओं की कैसे बड़े सपने देखने से बड़ा अंतर होता है. तुम अभी जो हो वही रहना और हां पराठों के बारे में सोचों. आने वाले सालों में ये लग्जरी बन जाएंगे. अपना हर दिन को सुपर बनाओ.