Savarkar Controversial statement on Cow in Hindi – हिंदू गाय को पूजते हैं…हिंदूवादी संगठन भी गाय को पूजते हैं लेकिन हिंदूवादी संगठन कथित वीर, विनायक दामोदर सावरकर को भी पूजते हैं…यहां एक दिक्कत है…सावरकर गाय को पूजते नहीं थे, वह गोहत्या के समर्थक थे…गाय को लेकर सावरकर ने ऐसे ऐसे बयान दिए थे कि आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे…उन्होंने गाय की तुलना कुत्ते और गधे तक से कर दी थी, लेकिन इन सब के बावजूद मनुवादियों के लिए सावरकर हिंदू हृदय सम्राट थे….आइए एक और झूठ का पर्दाफाश करते हैं.
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सावरकर ने कहा था नहीं करनी चाहिए गाय की पूजा
गाय को लेकर सावरकर ने कहा था कि गाय की पूजा नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि गाय की देखभाल करें, पूजा नहीं और ये बातें उन्होंने एक लेख में लिखी थी. सावरकर ने मराठी भाषी एक लेख में गाय को लेकर अपने विचार व्यक्त किए थे. इसमें उन्होंने लिखा कि गोपालन हवे, गोपूजन नव्हे….यानी गाय की देखभार करें लेकिन पूजा नहीं.
गाय को दैवीय मानना है अपमान
सावरकर ने गाय के बारे में लिखा कि गाय एक ऐसा पशु है, जिसके पास मूर्ख से मूर्ख मनुष्य के बराबर भी बुद्धि नहीं होती. गाय को दैवीय कहते हुए…उसे मनुष्य से ऊपर मानना अपमान है. उन्होंने गाय के प्रति खुद को समर्पित भी कहा लेकिन इसके पीछे उन्होंने गाय के उपयोगी होने का तर्क दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर गाय का सर्वोतम उपयोग करना है तो इसकी अच्छी देखभाल करनी होगी.
कुत्तों और गधों से कर गोहत्या का किया समर्थन
इसी के साथ सावरकर ने गाय की तुलना कुत्तों और गधों से करते हुए गोहत्या का समर्थन तक किया था लेकिन यही हिंदूवादी संगठन आज एक ओर सावरकर को पूजते हैं, तो दूसरी ओर गाय के नाम पर विध्वंस मचाते हैं. सावरकर ने गोहत्या पर कहा था कि गोहत्या ही पाप क्यों? भैंस हत्या या गधे की हत्या पाप क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि गधा इतना उपयुक्त, इतना प्रमाणिक और इतना सहनशील है कि उसको पशु न मानकर देवता मानना चाहिए. उन्होंने ये भी लिखा कि क्या किसी ने गधा गीता लिखकर गधा पूजन संप्रदाय निकाला है? यहां पर सावरकर सीधे सीधे हिंदुओं के पावन ग्रंथ श्रीमदभगवद् गीता का अपमान करते हुए भी देखे जा सकते हैं..
गाय को लेकर सावरकर (Savarkar Controversial statement on Cow) के यही विचार थे लेकिन आज के समय में सावरकर को लेकर जो हाइप क्रिएट की गई है, जो बातें बनाई गई है…उन्हें जिनता महत्व दिया गया है….उससे उनकी ये सच्चाई छिप नहीं सकती. माफीनामे के बाद काला पानी की सजा से लौटने वाले सावरकर ने आजादी की लड़ाई में कितना योगदान दिया, यह आज भी रहस्य है. जेल से बाहर आने के बाद वह किसी भी तरह की राजनीति में सक्रिय नहीं थे. 1921 में जेल से निकने के बाद 1947 तक यानी देश की आजादी तक…आजादी की लड़ाई में सावरकर का योगदान शून्य दिखा. दूसरी ओर वह गाय को लेकर जहर उगलते रहे…इसके बावजूद हिंदूवादी संगठनों ने उन्हें सर पर बिठा रखा है.
जानिए कौन थे सावरकर
आपको बता दें, विनायक दामोदर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र में नासिक के पास भागुर गांव में 28 मई 1883 में हुआ था. सावरकर सावरकर महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी नेता भी थे. और उनकी मृत्यु 26 फरवरी 1966 में हो गयी थी.
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