Ambedkar Thoughts on Education in Hindi – कहते हैं कि जब किसी घर को कोई शख्स पढ़-लिख जाता है तो उस परिवार के आने वाली कई पीढ़ी का भविष्य सुधार जाता है क्योंकि पढाई ही एक ऐसा हथियार है जिसके सहारे हम हर जंग जीत सकते हैं. और ऐसे ही विचार थे बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जिन्हें भारत संविधान को निर्माण करने की जिम्मेदारी मिली क्योंकि बाबा साहेब सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति थे और उनेक पास 32 डिग्री थी. बाबा साहबे ये समझते जानते कि पढ़ना -लिखना कितन जरुरी है और पढाई के जरिए ही मनुष्य संपन्न हो सकता है तो वहीं आज इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे संविधान निर्माता बाबा साहेब के जीवन से विद्यार्थी क्या सीख सकते हैं.
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इस वजह से हर समय पढाई करते थे बाबा साहेब
दरअसल, जब बाबा साहेब लंदन में पढाई कर रहे थे तब उनके साथ एक असनाडेकर नाम का उनका एक मित्र भी रहता था. वहीं उनके मित्र देखते थे कि बाबा साहेब हमेशा पढ़ते रहते हैं और खाना भी बहुत कम समय में खा लेते हैं. वहीं बाबा साहेब अपनी दैनिक दिनचर्या के कामों के अलावा सिर्फ पढ़ाई करते थे. एक बार आधी रात में असनाडेकर की नींद खुली तो उन्होंने देखा कि भीमराव अभी भी पढ़ रहे हैं. वहीं इस दौरान असनाडेकर ने बाबा साहेब से पूछा, ‘भैया भीमराव, कितनी देर और पढ़ोगे? अब तो आधी रात बीत चुकी है. मेरे हिसाब से आपको सो जाना चाहिए.
भीमराव बोले, ‘भैया, मेरे पास दो बातों के लिए समय नहीं है. पहली, नींद और दूसरी है मौज-मस्ती. इसी के साथ बाबा साहबे ने ये भी कहा कि उनेक पास खाने के लिए ज्यादा पैसे नहीं हैं, जो खाने पर अधिक समय दूं. इसलिए मैंने निर्णय लिया है कि विद्यार्थी जीवन में एक-एक पल विद्या अध्ययन को अर्पित कर दूं.’इतना कहकर भीमराव ने फिर से पढ़ना शुरू कर दिया और असनाडेकर सो गए.
बाबा साहेब के जीवन से विद्यार्थी मिलती है ये सीख
ये बात से हमें ये सीख मिली कि विद्यार्थी के लिए सबसे बहुमूल्य है समय है और विद्यार्थी को अपना हर एक-एक पल का उपयोग अध्ययन के लिए इस्तेमला करना मौज-मस्ती से विद्या नहीं आती. कुछ त्यागना पड़ता है, तब हमें विद्या मिलती है. बाबा साहबे की समय को बहुमूल्य समझना पढ़ना को अपना हर एक-एक पल का उपयोग करना ये बातें हर विद्यार्थी को अपने जीवन लागू करनी चाहि और इसी सीख के जरिए विद्यार्थी जीवन में सफल हो सकता है.
Ambedkar Thoughts on Education
- यह जानते हुए की शिक्षा ही जीवन में प्रगति का मार्ग है, छात्रों को कठिन अध्ययन करना चाहिए और समाज के वफादार नेता बनना चाहिए.
- हमें शिक्षा के प्रसार को उतना ही महत्व देना चाहिए जितना कि हम राजनीतिक आंदोलन को महत्व देते हैं.
- तकनीकी और वैज्ञानिक प्रशिक्षण के बिना देश की कोई भी विकास योजना पूरी नहीं होगी.
- शिक्षित बनो, आंदोलन करों, संगठित रहो, आत्मविश्वासी बनो, कभी भी हार मत मानो, यही हमारे जीवन के पांच सिद्धांत हैं.
- किसी भी समाज का उत्थान उस समाज में शिक्षा की प्रगति पर निर्भर करता है.
- आप शिक्षित हो गए इसका मतलब यह नहीं है कि सब कुछ हुआ. शिक्षा के महत्व में कोई संदेह नहीं है, लेकिन शिक्षा के साथ-साथ शील (नैतिकता) भी सुधारी जानी चाहिए… नैतिकता के बिना शिक्षा का मूल्य शून्य है.
- इस दुनिया में स्वाभिमान से जीना सीखो. इस दुनिया में कुछ करके ही दिखाना है यह महत्वाकांक्षा हमेशा आपके अंदर होनी चाहिए. (याद रखना) जो लड़ने हैं वही आगे आते हैं.
- छात्रों को बस्ती बस्ती में जाकर लोगों की अज्ञानता और मूर्खतापूर्ण विश्वासों दूर करना चाहिए, तभी उनकी शिक्षा से लोगों को कुछ लाभ होगा. अपने ज्ञान का उपयोग केवल परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए करना पर्याप्त नहीं होगा. हमें अपने ज्ञान का उपयोग अपने भाइयों और बहनों के सुधार एवं प्रगति करने के लिए करना चाहिए; तभी भारत समृद्ध
- छात्र स्तर पर ही अपनी योग्यता बढ़ाएँ.
- अपने स्वयं के ज्ञान को धीरे-धीरे बढ़ाते रहना, इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है?
- ग्रंथ ही गुरू हैं. – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर
- पढ़ोगे तो बचोगे.
- मुझे लोगों के सहवास से ज्यादा किताबों का सहवास पसंद है.
- यदि कोई व्यक्ति जीवन भर सीखना चाहे तो भी वह ज्ञान सागर के पानी में घुटने जितना ही जा सकता है.
- शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो’. (Ambedkar Thoughts on Education in Hindi)
- शिक्षा एक पवित्र संस्था है. स्कूल में मन सुसंस्कृत होते हैं. सभ्य नागरिक बनाने के लिए स्कूल एक पवित्र क्षेत्र हैं
- शिक्षा का लक्ष्य लोगों को नैतिक और सामाजिक बनाना है.
- शिक्षा बााघिन का दूध है और जो उसे पिएगा वह बाघ की तरह गुर्राएगा जरूर.
- आप ही अपने जीवन के शिल्पकार हो.
- प्रत्येक छात्र को अपने चरित्र का निर्माण प्रज्ञा, शील, करुणा, विद्या और मैत्री इन पंचतत्वों के आधार पर करना चाहिए
- शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है. समय आने पर भूखे रहो लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाओ.
- शिक्षा वह है जो व्यक्ति को निडर बनाए, एकता का पाठ पढाए, लोगों को अधिकारों के प्रति सचेत करे, संघर्ष की सीख दे और आजादी के लिए लडना सिखाए.
- लोगों का जीवन-स्तर उठाने लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण अस्त्र है.
- असली शिक्षा हमें भयभीत करने की जगह तार्किक बनाएगी.
- जो आदमी को योग्य न बनाए, समानता और नैतिकता न सिखाए, वह सच्ची शिक्षा नहीं है. सच्ची शिक्षा तो समाज में मानवता की रक्षा करती है, आजीविका का सहारा बनती है, आदमी को ज्ञान और समानता का पाठ पढाती है. सच्ची शिक्षा समाज में जीवन का सृजन करती है.
- शिक्षा (Ambedkar Thoughts on Education in Hindi) ही जीवन में वास्तविक प्रगति की कुंजी है.
- जब विद्यार्थी सीख रहे हों तो उन्हें ‘सीखने’ का एक ही लक्ष्य अपने सामने रखना चाहिए.
- ज्ञान सभी मनुष्यों के लिए भोजन के समान है.
- मनुष्य इस दुनिया में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता जब तक कि शील और शिक्षा पास न हों.
- ज्ञान और विद्या केवल पुरुषों के लिए नहीं हैं; वे महिलाओं के लिए भी आवश्यक हैं
- शिक्षा के बिना हम महत्वपूर्ण स्थानों पर कब्जा नहीं कर पाएंगे.
- ‘निडर बनो और दुनिया का राज्य पाओ’, यही मैं युवा छात्रों से कहना चाहता हूं.
- अगर आपके पास दो रुपये हैं तो एक रुपये की रोटी और एक रुपये की किताब ले लीजिए. क्योंकि रोटी आपको जीने में मदद करेगी और किताब आपको जीना सिखाएगी.
- शिक्षा वह है जो व्यक्ति को उसके अस्तित्व, क्षमता और सामर्थ्य से अवगत कराती है.
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