सिविल केस क्या है -अगर आप आपके साथ कोई घटना हुई है और आप इस मामले को लेकर मुकदमा या केस दायर करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कोर्ट का रुख करना पड़ेगा लेकिन हर केस के अनुसार कोर्ट बनाई गयी है और जो भी मामला ही उसकी सुनवाई इन्ही कोर्ट में होती है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात कि जानकारी देने जा रहे हैं कि सिविल मुकदमा दायर कहां कर सकते हैं.
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सिविल केस क्या है
सिविल केस वो होते हैं जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति या संस्था पर मुकदमा करता है यानि कि आप दूसरे पक्ष को सजा नहीं दिलवाकर उसे हर्जाना (Compensation) लेने कि मांग करते हैं और इसके लिए आप कोर्ट के पास जाकर केस दर्ज करते हो. इस मुक़दमे में दो पक्ष वादी और प्रतिवादी हैं. वादी अदालत से हर्जाना देने के लिए कह सकता है
इस मामलों में दर्ज होता है सिविल केस
संपत्ति पर कब्जा करने और उसे वापस लेने के मामले में साथ ही पति द्वारा खर्च नहीं देने के मामले में, मानहानि के मामले, चेक बाउंस, कॉपीराइट उल्लंघन से संबंधित मामले में, किराएदार और मकान मालिक के बीच विवाद की स्थिति, आपसी समझौते में विवाद की स्थिति, सार्वजनिक स्थल भूमि विवाद में कोर्ट में सिविल केस दर्ज किया जाता है.वहीं कोर्ट में केस दायर करने से पहले आप वकील की भी ले सकते हैं और वकील आपको बताएगा की आपका जो भी मामला है वो किस कोर्ट में दायर होगा और किस न्यायालय में इस केस की सुनवाई होगी.
इन आधारों पर तय होता है मुकदमा
वहीँ सबसे पहले मामला निचली अदालत में दाखिल होगा और इस मामले को दाखिल करने के बाद जो भी कोर्ट फीस होगी उसका भुगतान करना होगा और इसके बाद कोर्ट में आपके मामले पर करवाई शुरू होगी. वहीं कोर्ट में मामले की सुनवाई होने के बाद इस मामले पर फैसला लिया जायेगा और इस फैसले आप सुनिचित नहीं है तो आप ऊपरी अदालत में इस दोबारा इस मामले को डी\लेकर याचिका दायर कर सकते हो.
इस कोर्ट में दायर होगा सिविल केस
सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 15 से धारा 20 के अनुसार, अदालतों का क्षेत्राधिकार का गठन तय किया जाता है प्रत्येक न्यायालय का एक आर्थिक और क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार होता है और सीपीसी की धारा 15 के अनुसार मुकदमा चलाने के लिए सबसे निचले दर्जे के सक्षम न्यायालय में मुकदमा दायर किया जाना चाहिए. वहीं मामला दर्ज होने के बाद आपको कोर्ट फीस देनी होगी और इसके बाद मामले की सुनवाई होगी.
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