धारा 108 क्या है, इससे कैसे बचें – भारतीय दंड सहिंता (Indian Penal Code) के अंतर्गत अपराध और उससे जुड़े हर सजा के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी है. जिससे अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह का अपराध करता है या किसी अपराध का दोषी पाया जाता है तो उसे दंड सहिंता के अनुसार उचित दंड दिया जाएगा. इसी क्रम में भारतीय दंड संहिता की धारा 108 है.
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हालांकि धारा 107, धारा 108 और 108A से काफी हद तक मिलती जुलती ही है या यूं समझें की दोनों धाराएं एक दूसरे के पूरक हैं. लेकिन ये धारा कैसे, कब धारा 108 और 108A लगाई जाती हैं,आईए इसे हम इस लेख के माध्आयम से आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं. आईपीसी (IPC) की धारा 108 (Section 108) में दुष्प्रेरक, बहकानेवाले या उकसानेवाले के बारे में बताया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 108 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
कब लगायी जाती है धारा 108?
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 108 (Section 108) में दुष्प्रेरक, बहकानेवाले या उकसाने वाले व्यक्ति यानी दुष्प्रेरण करने वाले के बारे में कानूनी जानकारी दी गई है. IPC की धारा 108 के अनुसार, वह व्यक्ति अपराध का दुष्प्रेरण करता है, जो अपराध (offence) के किए जाने का दुष्प्रेरण (Abets) करता है या ऐसे कार्य के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है.
धारा 108 की अहम बातें
- किसी भी अपराध को करने में उकसाने वाले वुँक्ति का सबसे अहम् रोल होता है और अक्सर हम देखते है आज की ख़बरों में कि हत्या या कांड कोई और करता है जबकि उसके पीछे का असली गुनाहगार कोई और होता है. कई बार व्यक्ति किसी अपराध को नहीं करना चाहता लेकिन उकसाने वाला उसे इस तरह से Manipulate करता है कि झांसे में वो व्यक्ति आ जाता है सही गलत का फर्क भूल जाता है. इस धारा के तहत दुष्प्रेरण को अपराध माना गया है.
- भारतीय दंड संहिता की धारा 108 के अनुसार दुष्प्रेरण का अपराध पूरा होने के लिए अपराध का पूरा होना जरुरी नहीं है. अपराध हो या ना हो उकसाना ही अपराध है.
- दुष्प्रेरण के तहत ऐसा जरुरी नहीं है किसी के उकसाने पर अपराध हो ही गया हो, अगर उकसाने के बाद भी अपराध ना हो तो भी उसे अपराध ही माना जायेगा.
- इस धारा के अनुसार कुछ लोग स्वाभाविक अपराधी होते हैं जो जानबूझ कर अपराध करते हैं, लेकिन ऐसे लोग बहुत कम होते हैं.
- अधिकतर अपराध जो आम लोगों के द्वारा किया है वो किसी ना किसी कारण होता है. जिसका सबसे बड़ा कारण उकसाना.
क्या है सजा का प्रावधान?
अगर कोई भी व्यक्ति किसी को भारत में या किसी दूसरे देश में जाकर अपराध करने के लिए उकसाता है तो क्या उकसाने वाले को सजा मिलेगी? ये काफी जायज सवाल है कि धारा 108 के तहत अगर सजा होती है तो सजा क्या मिलेगी? इसका जवाब धारा 108 A में छुपा हुआ है. धारा 108 A कहता है कि अगर दुष्प्रेरक (उकसाने वाला) भारत में किसी को किसी अपराध के लिए दुष्प्रेरण (उकसाना) करता है. अगर दुष्प्रेरण के प्रभावित व्यक्ति विदेशों में जाकर उस अपराध को अंजाम देता है.
तो ऐसी हालत में भी दुष्प्रेरक दोषी माना जाएगा और उसे सजा मिलेगी. यानि कि अगर कोई व्यक्ति भारत में किसी व्यक्ति को दुसरे देश में जाकर किसी अपराध को करने के लिए उकसाता है तो ठीक उसी प्रकार से उकसाने वाला व्यक्ति भी उसके साथ दोषी माना जाएगा. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अपराध कहां हुआ है. अगर भारत के अंदर उकसाया गया है तो उकसाने वाला अपराधी होगा.
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