Drink and Drive Laws in India – जब भी कही किसी जगह शराब की पार्टी होती है तो उनमें से एक शख्स ऐसा होता है जो शराब पीकर कहता है कि गाड़ी आज वो चलाएगा लेकिन उसे गाड़ी चलाने को नहीं दी जाती फिर उसके बाद गाड़ी उस शख्स को चलाने को मिलती है जो होश में हो लेकिन क्या आपको पता है शराब पीकर गाड़ी चलाने पर अगर आप पकड़े गए तो आपके ऊपर ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बन सकता है और इसके लिए आपको भारी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकरी देने जा रहे हैं कि शराब पीकर गाड़ी चलाने पर आपको कितनी सजा हो सकती है और कैसे इस मामले से बच सकते हैं?
शराब पीकर ड्राइविंग करना है दंडनीय अपराध
शराब पीकर ड्राइविंग करना एक दंडनीय अपराध है मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 शराब पीकर ड्राइविंग करने को प्रतिबंधित करती है और इस नियम का उल्लंघन करने पर मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 शराब पीकर ड्राइविंग करने को प्रतिबंधित करती है और इस कृत्य को एक दंडनीय अपराध बनाती है. इसलिए शराब पीकर गाड़ी चलाने से बचना चाहिए.
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Drink and Drive Laws in India
वहीं, अगर आपको शराब पीकर ड्राइविंग करते हैं और पकड़े जाते हैं तो पुलिस द्वारा ड्राइव करने वाले शख्स की सांसों की जांच की जाती है. यदि इस जांच में पॉजिटिव आता है तब उस व्यक्ति पर मुकदमा बन जाता है. जानकरी के लिए बता दें, पुलिस के पास एक मशीन होती है जो व्यक्ति के मुंह में डाली जाती है और उसकी सांसों को कैप्चर किया जाता है. यदि उस मशीन में पॉजिटिव का संकेत मिलता है तब व्यक्ति मोटर व्हीकल अधिनियम की धारा 188 के अंतर्गत आरोपी बना दिया जाता है.
जानिए कितना देना होगा जुर्माना
वहीं, आरोपी बनने के बाद कई बार ऐसा होता है कि पुलिसकर्मी आरोपी का चालान काट दे लेकिन ऐसा नहीं होता है मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 मौके पर ही पुलिस कर्मियों को यह अधिकार नहीं है कि वह शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में किसी भी व्यक्ति का चालान कटें बल्कि पुलिस ऐसे व्यक्ति को कोर्ट में जज के समाने पेश करती है.
वहीं कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान जज आरोपी के समाने यह आप्शन रखते हैं कि जो जुर्माना शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले में तय किया गया है उस जुर्माने को भर दे. जो की 10,000 है.
अगर इस मामले में उसे झूठा फंसाया गया है तब वो इस कोर्ट में अपील कर सकता है. केस चलने के दौरान मशीन द्वारा बताई गई जांच पर विचार होता है और कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी होता है तो उसके बयान लिए जाते हैं. गवाहों के प्रतिपरीक्षण किए जाते हैं, फिर न्यायालय द्वारा मामले में अपना निर्णय दिया जाता है. विचारण की कार्रवाई के लिए आरोपी को अपनी जमानत लेना होती है, एक जमानतदार न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है जो उसकी ओर से आरोपी की जमानत लेता है.
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नहीं मिलती सजा (Drink and Drive Laws in India)
इस मामले में विचारण की कार्रवाई के बाद भी किसी प्रकार का कोई जेल की सजा नहीं है नहीं हालांकि धारा 188 के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान तो है लेकिन यह इतना बड़ा अपराध नहीं है कि इस पर कारावास दिया जाए. अगर आरोपी पर अपराध साबित हो भी जाता है तब भी न्यायालय उसे जहां तक हो सके जुर्माना करने का प्रयास ही करता है. इसलिए विचारण की कार्रवाई से घबराना नहीं चाहिए और निर्दोष होने पर अपने मामले को न्यायालय के सामने रखना चाहिए.