भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने एक बात कही थी और ये बात थी कि जब हम बड़े पद पर हो और हमारे पास अधिकार भी हो तो हमें ज्यादा सतर्क रहना चाहिए. ये बात बाबा साहेब के बेटे यशवंतराव से जुडी हुई है. दरअसल, एक बार बाबा साहेब के बेटे यशवंतराव का ध्यान पैसे ने खीच लिया था लेकिन जहाँ बाबा साहेब के कही गई बातें समाज के लोगो को आगे बढ़ाने और देशहित में काम करने के लिए प्रेरित करती है तो वहीं बाबा साहबे की बड़े पद और अधिकार वाली बात यशवंतराव के काम भी आई और पैसे की तरफ आकर्षित होने और इस बदलने का काम बाबा साहेब के इसी बात ने किया. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको बाबा साहेब के बेटे जुड़े इसी किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं.
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1943 में हुई थी ये घटना
बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जहाँ पढ़ने में रूचि रखते हैं और पढ़ना कितना जरुरी है ये बात लोगों को बताकर प्रेरित करते थे तो वहीं पढ़ने की रूचि ने ही उन्हें इतना सक्षम बनाया कि उन्हें सविधान निर्माण का मौका दिया गया और वो 1943 वो साल था जब बाबा साहब वायसराय की काउंसिल में श्रम और पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री बने थे. और अपने कम के प्रति बहुत ही ईमानदार थे.
यशवंतराव को मिला पैसों का ऑफर
वहीं मंत्री रहते थे डॉ. अंबेडकर के बेटे यशवंतराव से एक बड़े ठेकेदार से मुलाकात हुई और इस ठेकेदार ने सरकर का कोई बड़ा काम को गलत तरीके से लाने के लिए यशवंतराव को पैसे ऑफर किया. यशवंतराव और ठेकेदार के बीच तय हुआ कि अगर को उन्हें कोई बड़ा निर्माण कार्य उस दिला दिया जायेगा तो वो उन्हें कमीशन देगा. वहीं पैसे को ऑफर पाकर जहाँ यसवंत खुश हो गए तो वहीं कभी न गुस्सा करने वाले डॉ. अंबेडकर ने ये बात सुनकर बहुत गुस्सा आया.
बाबा ने दी बेटे यशवंतराव अंबेडकर को सीख
कमीशन पाने की बात जब यशवंत ने अपनी पिता को बतायी और कहा कि , ‘आप ये काम इस ठेकेदार को दे दीजिए, इसके लिए हमें कमीशन मिल जाएगा। ये बात सुनकर बाबा साहब ने गुस्से में कहा मैं यहां राष्ट्र सेवा के लिए बैठा हूं, तुम जैसी संतान पालने के लिए नहीं। कर्तव्य सबसे महत्वपूर्ण है, इसके लिए परिवार के सदस्यों की आकांक्षाओं पर नियंत्रण होना चाहिए। अगर मैं तुम्हारी बात मानता हूं तो मैं बहुत बड़ा अपराध करूंगा। आज के बाद ऐसी बात खुद भी कभी मत करना और मेरे सामने भी मत लाना।
ये थे बाबा साहेब के विचार जो इतने बड़े पद पर रहने के बाद भी कभी नहीं बदले जहाँ दलित होने की वजह से देश में उनका अपमान हुआ उस देश के खिलाफ उन्होंने ईमानदारी दिखाई और यही वजह है कि आज बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है.