दिल हूँ हूँ करे, घबराए
घन धम धम करे, गरजाए
एक बूँद कभी पानी की
मोरे अँखियों से बरसाए…
ये बेहतरीन गाना संगीतकार भूपेन हजारिका ने गाया है, जिन्हें इसी साल 8 अगस्त को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया. जिनका निधन 5 नवम्बर 2011 में हुआ था, जिसके बाद उनकी पुण्यतिथि हर साल इस दिन मनाई जाती है. भूपेन हजारिका एक गीतकार, संगीतकार और लेखक भी थे. भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों लोगो को छुआ है, इनके गाते आज भी लोगो के दिलों में राज करते है. उनकी मूल भाषा असमी है उसके आलावा उन्होंने हिंदी, बंगला जैसे कई भाषाओँ में गाने गए है. संगीतकार भूपेन हजारिका इतिहास के महान हस्तियों में से एक है.
दोस्तों, संगीतकार भूपेन हजारिका की इस पुण्यतिथि पर आज हम आपको उनके जीवन से जुडी कुछ खास बातें बताएंगे.
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- संगीतकार भूपेन हजारिका जा जन्म असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था. संगीतकार भूपेन हजारिका 10 भाई बहनों में सबसे लडके बच्चे थे.
- संगीतकार भूपेन हजारिका को उसकी माँ के कारण संगीत से लगाव हुआ, उन्होंने अपना पहला गाना 10 साल की उम्र में लिख कर खुद गाया था.
- संगीतकार भूपेन हजारिका ने 12 साल की उम्र में 1931 में आसमिया फिल्म में काम किया था.
- रही पढाई की बात संगीतकार भूपेन हजारिका ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया.
- हजारिका ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया करने के बाद न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी कि पढाई भी की थी.
- भूपेन हजारिका ने ज़ुधा कोन्थो कहे जाने वाले, रुदाली -1993, मिल गई मंजिल मुझे -1996, साज़ -1997-, दरमियान -1997-, गजगामिनी -1998-, दमन -2000 जैसी प्रसिद्ध फिल्मों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था.
- संगीतकार भूपेन हजारिका को मानवतावादी भी माना जाता है कि क्यों कि उन्होंने ज्यादा गाने मानवता के लिए गाए है.
- संगीतकार भूपेन हजारिका को असमिया में गाना गाने के लिए ब्रह्मपुत्र का बार्ड कहा जाता है. उन्हें ब्रह्मपुत्र का बार्ड की उपाधि मिली थी.
- भूपेन हजारिका ने स्टार टीवी पर प्रसारित टीवी सीरियल डॉन के 52 एपिसोड का निर्माण किया था, इससे अलग इन्होने 1947 से 1997 तक 18 भाग वाली ग्लिम्पसेज ऑफ द मिस्टी ईस्ट नाम की डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी.
- भूपेन हजारिका को क्षेत्रीय फिल्मों के लिए 1975 में राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था साथ ही उन्हें 2009 में असमी रत्न का संगीत में पुरष्कार भी मिला था.
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