मुजफ्फरनगर गोली कांड का दर्द नहीं भूले उत्तराखंड के आंदोलनकारी, मुलायम बन गये थे खलनायक

By Reeta Tiwari | Posted on 11th Oct 2022 | देश
Mulayam singh yadav

मुजफ्फरनगर गोली कांड : जब मुलायम सरकार में उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों चली थी अंधाधुंध गोलियां

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार 8 अक्टूबर को निधन हो गया. मुलायम सिंह यादव ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली और उसके अगले दिन राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गयी. वैसे तो मुलायम सिंह यादव की जिंदगी से जुड़े कई सारे किस्से हैं जो उन्हें महान बनाते हैं लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा किस्सा है जिसकी वजह से उत्तराखंड के लोगों के दिलों में मुलायम सिंह यादव की छवि एक खलनायक की है.

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जानिए क्या था मुजफ्फरनगर गोली कांड

02 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर गोली कांड हुआ था और इस गोली कांड में उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों पर  अंधाधुंध गोलियां चलाईं गईं थी और इस गोलीकांड में कई आंदोलनकारियों की मौत हो गयी थी । दरअसल, उत्तराखंड के लोग यूपी से अलग होकरनए राज्य की मांग कर रहा था और इसके पक्ष में मुलायम नहीं थे।


उत्तराखंड के आंदोलनकारी जा रहे थे दिल्ली

नए राज्य की स्थापना के लिए उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों ने दिल्ली जाने का फैसला किया. जिसके बाद पर्वतीय क्षेत्र की अलग-अलग जगहों से 24 बसों में सवार होकर 1 अक्टूबर को सभी आंदोलनकारी दिल्ली के लिए रवाना हुए. देहरादून से आंदोलनकारियों के रवाना होते ही इनको रोकने की कोशिश की जाने लगी. इस दौरान पुलिस ने रुड़की के गुरुकुल नारसन बॉर्डर पर नाकाबंदी की, लेकिन आंदोलनकारियों की जिद के आगे प्रशासन ने घुटने टेकने पड़े और फिर आंदोलनकारियों दिल्ली की और बढे.

आंदोलनकारियों पर हुआ लाठीचार्ज 


दिल्ली की और बढ़ते हुए मुजफ्फरनगर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रामपुर तिराहे पर रोकने की योजना बनाई और पूरे इलाके को सील कर दिया और उस दौरन आंदोलनकारियों को रोक दिया गया जिसके बाद पुलिस और राज्य आंदोलनकारियों ने सड़क पर नारेबाजी शुरू कर दी तो अचानक यहां पथराव शुरू हो गया और पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया और लगभग ढाई सौ से ज्यादा राज्य आंदोलनकारियों को हिरासत में भी ले लिया गया.

आंदोलनकारियों पर चली गोली और महिलाओं का हुआ बलात्कार

रिपोर्ट के अनुसार,  इस लाठीचार्ज के दौरान कई आंदोलनकारी मौके से भाग गये. वहीं इस आंदोलन करने गईं कई महिलाओं से इस दौरान बलात्कार जैसी घटनाएं भी हुईं. इसी बीच रात को पुलिस को सूचना मिली की 42 बसों में सवार होकर राज्य आंदोलनकारी दिल्ली की ओर फिर रवाना होने की तैयारी में हैं. जिसके बाद रामपुर तिराहे पर एक बार फिर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया. जब 42 बसों में सवार होकर राज्य आंदोलनकारी रामपुर तिराहे पर पहुंचे तो पुलिस और राज्य आंदोलनकारियों के बीच झड़प शुरू हो गई. इस दौरान आंदोलकारियों को रोकने के लिए यूपी पुलिस ने 24 राउंड फायरिंग की, जिसमें सात आंदोलनकारियों की जान चली गई और 17 ज्यादा आंदोलनकारी बुरी तरह घायल हो गए.


मुजफ्फरनगर कांड के बाद आन्दोलन ने पकड़ा जोर

मुजफ्फरनगर कांड के बाद उत्तर प्रदेश से अलग राज्य की मांग की आग तेज हो गयी. मुजफ्फरनगर कांड के बाद राज्य आंदोलनकारियों और प्रदेश के लोगों में गुस्सा था जिसके बाद राज्य की मांग को लेकर प्रदेश भर में धरना और विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. वहीँ इस कांड के बाद तेजी से भड़क रही आंदोलन की आग को देखते हुए करीब 6 साल तक आंदोलनकारियों के संघर्ष का ही नतीजा रहा कि सरकारों को इस मामले में गंभीरता से विचार करना पड़ा और 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से अलग हो गया है और नए राज्य की स्थापना हुई.

मुलायम बन गये खलनायक

वहीँ जब ये कांड हुआ तब मुलायम की सरकार थी और इसी मुजफ्फरनगर कांड के बाद सत्ता को पलट कर रख दिया और मुलायम उत्तराखंड के लोगों के लिए खलनायक बन गए। इसके बाद समाजवादी पार्टी कभी भी पहाड़ में अपनी सरकार नहीं बना पायी. वहीं 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का गठन हुआ लेकिन राज्य आंदोलन का जख्म अभी भी जिंदा है.

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Reeta Tiwari
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रीटा एक समर्पित लेखक है जो किसी भी विषय पर लिखना पसंद करती है। रीटा पॉलिटिक्स, एंटरटेनमेंट, हेल्थ, विदेश, राज्य की खबरों पर एक समान पकड़ रखती हैं। रीटा नेड्रिक न्यूज में बतौर लेखक काम करती है।

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