लखनऊ गेस्ट हाउस कांड के बाद मुलायम सरकार हुई बर्खास्त, CM बनी मायावती
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का निधन हो गया है। 82 साल के मुलायम सिंह कई दिनों से गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे और रविवार से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। जिसके बाद 8 अक्टूबर को उन्होंने सुबह 8.16 पर आखिरी सांस ली। वहीं उनके निधन के बीच उनसे जुड़े कई सारे किस्से सामने आए हैं वहीं इनमे एक किस्सा लखनऊ गेस्ट हाउस का भी है जिसकी वजह से मायावती कीपार्टी बीएसपी और समाजवादी पार्टी की दोस्ती दुश्मनी में बदल गयी.
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चुनाव के दौरन हुई सपा और बसपा में हुई दोस्ती
ये किस्सा है साल 1992 का जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई और इसके अगले साल बीजेपी को हराने के लिए बहुजन समाज पार्टी के साथ जुडी. वहीं सपा और बसपा ने 256 और 164 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ा। सपा अपने खाते में से 109 सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि 67 सीट मायावती ने जीती. जिसके बाद लगा ये राजनीती साझेदारी कई चुनाव में देखने को मिलेगी .
क्या था गेस्ट हाउस कांड
साल 1993 में सपा-बसपा गठबंधन की हुई जीत के बाद मुलायम सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने लेकिन जून 1995 में तालमेल सही न बैठ पाने पर बसपा ने गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी। जिसके बाद मुलायम सिंह को अपनी सरकार जाने का डर पैदा हो गया
गेस्ट हाउस में रुकी थी मायावती
2 जून 1995 को लखनऊ के मीराबाई गेस्ट हाउस कमरा नंबर एक में मायावती रुकी हुई थीं। दरअसल, खबर आई थी कि बसपा सपा से रिश्ता तोड़ बीजेपी को समर्थन दे सकती है और इसके लिए मायावती लखनऊ स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर ही है। वहीं जब इस बात की खबर सपा कार्यकर्ताओं को मिली तब सपा कार्यकर्ताओं ने जिस कमरे में मायावती रुकी थी उस कमरे को घेर लिया और हथियारों से लैस लोगों ने मायावती को गंदी गालियों समेत जाति सूचक शब्द कहे। इतना ही नहीं बसपा के कार्यकर्ताओं सहित विधायकों पर भी हमला किया गया और देखते ही देखते सपा और बसपा के लोगों के बीच मारपीट शुरू हो गई। वहीं जब मायावती को लगा कि हालात काबू से बाहर हो गये हैं तो उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर दिया. उस वक्त उनके साथ दो और लोग भी कमरे में थे जिसमें से एक सिकंद रिजवी थे। सपा दरवाजा खुलवाने के लिए पूरी जोर लगा रहे थे। वहीं कमरे के भीतर मौजूद लोगों ने दरवाजे को सोफे और मेज से जाम कर दिया जिससे चटकनी टूटने के बावजूद भी दरवाजा न खुल सके।
एसपी और डीएम ने बचाई मायावती की जान
वहीं इस दौरान एसपी और डीएम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और उन लोगों की मदद से मायावती की जान बचाई गयी. मायावती को बचाने वाले अधिकारियों विजय भूषण सुभाष सिंह बघेल और तत्कालीन एसपी राजीव रंजन भी थे. वहीं कहा जाता है कि बीजेपी के ब्रह्मदत्त द्विवेदी और लालजी टंडन ने भी मायावती को बचाने में भूमिका निभाई थी। गेस्ट हाउस कांड के समय लखनऊ के तत्काली एसपी और वर्तमान डीजीपी ओपी सिंह को कांड के दो दिन बाद ही निलंबित भी कर दिया गया था। वहीँ बसपा ने सपा पर आरोप लगाया कि उन्होंने मायावती को धक्का दिया और उन्होंने जान से मारना चाहते थे।
गेस्ट हाउस कांड के बाद सीएम बनी मायावती
वहीं इस कांड के बीएसपी ने एसपी से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया और मुलायम सरकार बर्खास्त हो गई। इसके बाद बीजेपी ने मायावती को समर्थन का ऐलान किया और गेस्ट हाउस कांड के अगले ही दिन (3 जून 1995) मायावती ने यूपी के सीएम पद की शपथ ली।
आपको बता दें, यह घटना यूपी की राजनीति के लिए एक कलंक साबित हुई और इस कांड की वजह से मुलायम सिंह यादव आगामी विधानसभा चुनाव भी हार गए.
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