टीकाकरण से हुई मौत का सरकार ने दिया जवाब
कोरोना वायरस (corona virus) महामारी को खत्म करने के लिए देश में टीकाकरण (vaccination) किया गया लेकिन कई लोगों इस टीकाकरण की वजह मौत हो गयी. वहीं इस बीच इस टीकाकरण की वजह से हुई मौत को लेकर केंद्र सरकार (Central government) ने एक बड़ा बयान दिया है.
केंद्र सरकार ने किया जिम्मेदारी लेने से इनकार
दरअसल, टीकाकरण की वजह से हुई को लेकर केंद्र सरकार ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र ने कहा कि मृतकों व उनके परिजनों के प्रति उसकी पूरी हमदर्दी है, लेकिन टीके के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। केंद्र सरकार ने कोई जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है।
जानिए कब दायर हुआ था मामला
यह मामला पिछले साल दो युवतियों की कथित तौर पर कोरोना टीकाकरण से मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका डाली थी। वहीं केंद्र ने हलफनामे के साथ दायर जवाब में कहा कि जिन मामलों में टीके के कारण मौत हुई हो, उनमें सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर मुआवजा मांगा जा सकता है।
याचिका में की गयी थी ये मांग
याचिका में मांग की गई है कि कोविड वैक्सीन से मौत के मामलों की स्वतंत्र जांच कराई जाए और टीकाकरण के बाद किसी भी प्रतिकूल प्रभाव (AEFI) का समय रहते पता लगाकर उससे बचाव के उपाय करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सा बोर्ड बनाने का आग्रह किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने दिया जवाब
वहीं याचिका का जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Health and Family Welfare) ने पिछले सप्ताह दायर किया। इसमें कहा गया है कि टीकों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण बेहद कम मौतों व मुआवजे के लिए केंद्र को जिम्मेदार मानना कानूनी रूप से उचित नहीं होगा। दो युवतियों की मौत पर सांत्वना देते हुए केंद्र ने कहा कि सिर्फ एक मामले में एईएफआई की कमेटी ने इसकी वजह टीकाकरण का प्रतिकूल असर पाया है।
इन दो युवतियों की हुई थी मौत
पहली याचिकाकर्ता रचना गंगू की बेटी को पिछले साल 29 मई को कोविशील्ड की पहली खुराक दी गई थी और एक महीने के भीतर 19 जून को उसकी मौत हो गई। इसी तरह दूसरे याचिकाकर्ता वेणुगोपालन गोविंदन की बेटी एमएससी चौथे वर्ष की छात्रा थी। उसे पिछले साल 18 जून को कोविशील्ड की पहली खुराक दी गई थी और 10 जुलाई को उसकी मृत्यु हो गई थी।
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