AIIMS का सर्वर हैक होने के बाद मैन्युअल तरीके से हो रहा है काम
पिछले 6 दिन से दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) का सर्वर डाउन है और अभी सातवें दिन भी सर्वर के डाउन होने की ठप होने की खबर है. एम्स का सर्वर डाउन होने की वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अब सभी काम यहां पर मैन्युअल तरीके से हो रहा है. जहां इंडिया कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (सर्ट-इन), दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय इस मामले की जांच में लगे हुए हैं. वहीं इस बीच AIIMS का सर्वर डाउन होने की वजह का पता लग गया है.
जानिए क्या है AIIMS का सर्वर डाउन होने की वजह
AIIMS का सर्वर को हाईजैक किया गया है और हैकर्स ने क्रिप्टोकरेंसी में 200 करोड़ रुपए की मांग की है. वहीं हैकर्स ने यह मांग मेल के जरिए एम्स को भेजी है साथ ही धमकी दी है कि उनकी मांग को पूरा न करने पर वो सर्वर को ठीक नहीं करेंगे और सर्वर डाउन ही रहेगा. वहीं इस मेल के आने के बाद दिल्ली पुलिस मामले की तफ्तीश में जुट गई है. पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़कर हैकर्स के कॉलर तक पहुंचने में लगी है साथ ही पुलिस धमकी भरे मेल का आईपी एड्रेस भी ट्रैक करने की कोशिश कर रही है.
AIIMS सर्वर का क्रिप्टो से कनेक्शन
रिपोर्ट के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) के नेटवर्क को भी हैक कर करोड़ों रुपए का गबन किया गया है. वहीं इस वजह से क्रिप्टोकरेंसी के जरिए 200 करोड़ रुपए की मांग की है. जानकारी के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल करेंसी (virtual currency) को डिजिटल करेंसी (Digital currency) कहा जाता है, जिसे एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी की सहायता से जनरेट किया जाता है और उसके बाद रेगुलेट भी किया जाता है. इस तरह की करेंसी को दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक की ओर से मान्यता नहीं मिली हुई है ना ही यह किसी केंद्रीय बैंक (Central bank) की ओर से रेगुलेट होती है. इस तरह की करेंसी पर किसी भी देश की मुहर भी नहीं लगी होती है. जिसकी वजह से ये पैसा डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी की तरह काम करेगा. वहीं इस करेंसी को यूज करने वाला पूरी तरह से गुमनाम या फिर छिपा हुआ होता है. वहीं इसका दूसरा फायदा ये है कि बिटकॉइन और इसकी जैसी दूसरी करेंसी को वर्चुअल वॉलेट्स (virtual wallets) में रखा जा सकता है. जिसकी पहचान सिर्फ नंबर से ही होती है.
AIIMS का डाटा क्यों है कीमती
ई-हॉस्पिटल सर्वर डाउन (E- Hospital Server) होने के कारण ओपीडी (OPD) सहित कई सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं. वहीं इस हमले से करीब 2 से 3 करोड़ मरीजो को दिक्कत तो हो ही रही है साथ ही कई VVIP का डाटा भी दाव पर है जिसके लीक होने की संभावना है और इसका डाटा का इस्तेमाल गलत तरीके से किया जा सकता है.
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