यूपी में फरवरी-मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरु हो चुके हैं, दल-बदल का काम भी शुरु हो चुका है। राजनीतिक पार्टियां आगामी चुनाव के मद्देनजर नेताओं को साधने में जुटी है।
पिछले दिनों बीएसपी के पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह बबलू ने यूपी बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम लिया। स्वतंत्र देव ने सिर नवा कर पार्टी में उनका स्वागत किया। जितेंद्र सिंह बबलू के बीजेपी में शामिल होने को लेकर पार्टी के ही नेता कई तरह के सवाल उठा रहे हैं।
क्योंकि यह बाहुबली नेता बीजेपी नेता रीता बहुगुणा जोशी के घर जलाने वाले कांड में आरोपी है। उनके बीजेपी में शामिल होने पर रीता बहुगुणा जोशी ने भी सवाल उठाए थे। अब बीजेपी यूपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी इस पर सवाल उठा दिया है।
लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने दी प्रतिक्रिया
रीता बहुगुणा जोशी ने कहा था कि उन्हें पूरा भरोसा है कि बीजेपी में शामिल होने से पहले जरूर जितेन्द्र सिंह बबलू ने यह जानकारी छिपाई होगी। उन्होंने कहा था कि बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष को जरूर इस बारे मे जानकारी होनी चाहिए। रीता बहुगुणा ने कहा- मैं पार्टी के राज्य और राष्ट्रीय अध्यक्ष से यह अनुरोध करती हूं कि वह इसकी सदस्यता खत्म करें क्योंकि उसके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं और उसने मेरे घर में भी आग लगाई है।
आज शुक्रवार (6अगस्त) को यूपी बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी कहा कि रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने वाले को पार्टी में शामिल करना गलत है। एक प्राइवेट न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने यह बात कही। इस दौरान सपा के नेता ने योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी बताया।
जिस पर लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, बीजेपी के सामने जाति का कोई संकट नहीं है। बीजेपी ने सारे विकास कार्य जाति, धर्म से परे किए हैं। इसलिए जनता के सामने कोई सवाल भी नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग खुशी दुबे के नाम पर राजनीति कर रहे हैं उन्हें न्याय नहीं दिलाना चाहते। बीजेपी नेता ने आगे कहा कि बीजेपी ने कई प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण समाज से बनाए हैं।
ब्राह्मणों को साधने में जुटी है पार्टियां
बताते चले कि यूपी में राजनीतिक पार्टियां ब्राह्मण समाज को साधने में जुटी है। सभी ब्राह्मणों को यह समझाने में लगी हुई हैं कि यूपी सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है। समाजवादी पार्टी हो, कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी (AAP) सभी प्रदेश के ब्राह्मणों को पटाने में जुटी ही हुई हैं। मायावती की बीएसपी भी इस मामले में पीछे नहीं है। पिछले दिनों बीएसपी की ओर से अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 का मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। बीजेपी इस चुनाव में एनडीए गठबंधन के अपने कुछ छोटी सहयोगी पार्टियों के साथ चुनाव में उतरने वाली है। तो वहीं, कांग्रेस, सपा, बसपा अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। यूपी की सियासत में इस बात की चर्चा तेज है कि विपक्षियों पार्टियों के अलग-अलग चुनाव लड़ने का सीधा फायदा बीजेपी को होगा।