शौचालय कितना जरुरी है इस मुद्दे पर एक फिल्म बनी थी “टॉयलेट एक प्रेम कथा” और इस फिल्म को देखने के बाद ऐसा लगता है कि सच में एक महिला के लिए शौचालय कितना जरुरी है. ऐसा ही एक शख्स थे बिंदेश्वर पाठक जिन्हें ‘भारत के टॉयलेट मैन’ कहा गया और 15 अगस्त को पाठक का ध्वजारोहण के तुरंत दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया और भारत के टॉयलेट मैन’ इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गये.
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जानिए कौन है बिंदेश्वर पाठक
भारत के टॉयलेट मैन’ कहे जाने वाले बिंदेश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बघेल गांव में हुआ था और कॉलेज और कुछ लीक से अलग नौकरियों को करने के बाद वह 1968 में बिहार गांधी शताब्दी समारोह समिति के मैला उठाने वालों की मुक्ति प्रकोष्ठ में शामिल हो गए. इस दौरान भारत के जगहों की यात्रा की और अपनी पीएचडी शोधपत्र के हिस्से के रूप में सिर पर मैला ढोने वालों के साथ रहे जहाँ से उन्हें एक नयी पहचान मिली.
सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना कर शुरू की नयी पहल
बिंदेश्वर पाठक ने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना कर नागरिकों को स्वच्छ शौचालय की सुविधा देने की पहल शुरू की और आज के समय में ये सुलभ देश भर के रेलवे स्टेशनों और शहरों में शौचालयों का संचालन और रख-रखाव का काम कर रहे हैं. भारत के 1,600 शहरों में 9,000 से अधिक सामुदायिक सार्वजनिक शौचालय हैं. जहाँ पर पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग स्थान बने हैं.
ससुर ने कहा था बेटी की ज़िन्दगी कर दी बर्बाद
भारत के टॉयलेट मैन बिंदेश्वर पाठक को कई मुश्किल का सामना करना पड़ा वहीं इनमे से एक मुश्किल उनके रिश्ते को लेकर भी पैदा हुई. एक रिपोर्ट के अनुसार, बिंदेश्वर पाठक ने बताया कि उनके ससुर ने उनसे कहा था कि उनकी बेटी (पत्नी) का जीवन बर्बाद हो गया है. चूंकि वो (ससुर) किसी को यह नहीं बता पाते थे कि उनके दामाद क्या काम करते हैं. वो ये भी कहते कि यदि हम ब्राह्मण नहीं होते तो अपनी लड़की की शादी दूसरी जगह कर देते. मैंने कहा कि मैं इतिहास का पन्ना पलटने चला हूं.
2003 में मिला पद्म भूषण
डॉ. पाठक को 2003 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. वहीँ पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित पाठक को एनर्जी ग्लोब अवार्ड, दुबई इंटरनेशनल अवार्ड, स्टॉकहोम वाटर प्राइज, पेरिस में फ्रांस के सीनेट से लीजेंड ऑफ प्लैनेट अवार्ड सहित अन्य पुरस्कार भी से भी सम्मान दिया गया.