कोई पहुंचा राज्यसभा तो कोई बना राज्यपाल… कहाँ हैं राम मंदिर मामले में फैसला सुनाने वाले पांचो जज?

कोई पहुंचा राज्यसभा तो कोई बना राज्यपाल… कहाँ हैं राम मंदिर मामले में फैसला सुनाने वाले पांचो जज?

राम मंदिर का मुद्दा और राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कौन ही भूल सकता है . लेकिन जरा रुकिए! आप को शायद ही ये जानकारी होगी की अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रही 5 जजों की जो टीम थी वो अभी कहां हैं? जस्टिस नजीर सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए देश के कई अहम मुद्दों पर फैसले सुना चुके हैं. जिसमे इनके कार्यकाल का सबसे एतिहासिक 2019 पर राम मंदिर का फैसला था. इस मामले की सुनवाई भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने किया था. बेंच में जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर शामिल थे. आज हम इन्हें जजों के बारे में जानेगे की ये अभी कहाँ है और क्या कर रहे हैं ?

मौजूदा नियुक्ति पर विपक्ष का निशाना

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अब्दुल नजीर को भारत सरकार ने आँध्रप्रदेश का राज्यपाल घोषित किया है जिसको लेकर कांग्रेस समेत देश की अन्य विपक्षी पार्टियां जमकर मोदी सरकार पर निशाना साध रही हैं. और यहां तक की नियुक्ति की आलोचना करते हुए सरकार के इस फैसले को ‘न्यायपालिका के लिए खतरा’ भी बताया है.

 चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

“स्वतंत्र पत्रकार और कभी-कभी शोर मचाने वाले न्यायाधीश’ लोकतंत्र की रक्षा की पहली पंक्ति होनी चाहिए. और कानून की व्याख्या में अधिक गतिशील बनने के लिए न्यायपालिका को “फ्रंटफुट पर अधिक” और “अदूषित” होने की आवश्यकता है” की मानसिकता वाले रंजन गोगोई देश के 46वें चीफ जस्टिस थे. जो 17 नवम्बर 2019 को अपने पद से रिटायर हुए थे. लेकिन रिटायरमेंट के ठीक 4 महीने बाद ही राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा के सांसद के तौर पर मनोनीत किया था.

वे राज्यसभा पहुंचने वाले तीसरे जज थे, हालांकि, राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत पहले जज थे. उनसे पहले देश के 21वें चीफ जस्टिस रंगनाथ मिश्रा (1990 से 1991) को कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था. वे 1998 से 2004 तक उच्चसदन में रहे. इससे पहले जस्टिस बहरुल इस्लाम को कांग्रेस ने 1983 में उनके रिटायरमेंट के 5 महीने बाद राज्यसभा भेजा था.

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 जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के मौजूदा चीफ जस्टिस हैं साल 2022 में इन्होने ने देश के 50वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली थी. चंद्रचूड सबसे लम्बे समय तक सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रहने वाले जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अपने फैसले पर अडिग रहने वाले जजों में से एक हैं.

जस्टिस अब्दुल नजीर  

जस्टिस अब्दुल नजीर सुप्रीम कोर्ट से जनवरी 2023 में रिटायर हुए. एक महीने बाद उन्हें आंध्रप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है. वे अयोध्या मामले में फैसला सुनाने वाले 5 जजों में से एकमात्र मुस्लिम थे. इतना ही नहीं अब्दुल नजीर नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाने वाले जजों की बेंच में भी शामिल थे.

जस्टिस अशोक भूषण

जस्टिस अशोक भूषण जुलाई 2021 को रिटायर हुए थे. चार महीने बाद नवंबर में उन्हें नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रीब्यूनल (NCLAT) का चेयरपर्सन बनाया गया. उनका कार्यकाल चार साल के लिए है. उनसे पहले यह पद 20 महीने तक खाली रहा था. कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी ने अक्टूबर 2021 में उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी थी.

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जस्टिस शरद अरविन्द बोबड़े

जस्टिस शरद अरविंद बोबडे 23 अप्रैल 2021 को सीजेआई पद से रिटायर हुए थे. उन्होंने रंजन गोगोई की जगह ली थी. जस्टिस बोबडे 8 साल सुप्रीम कोर्ट में जज रहे. हालांकि, रिटायरमेंट के बाद जस्टिस बोबडे ने कोई आधिकारिक सार्वजनिक पद नहीं संभाला. वे महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी नागपुर के चांसलर हैं.

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