सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को एक बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने योगी सरकार (yogi government) को एक बड़ी राहत दी है और ये राहत ओबीसी सूची (OBC list) को लेकर है। दरअसल, हाई कोर्ट ने पिछले साल 27 दिसंबर को राज्य सरकार द्वारा जारी की गई ओबीसी सूची को खारिज कर दिया था। वहीं अब हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी गई है।
जानिए क्या है ये ओबीसी सूची
जानकारी के अनुसार, 27 दिसंबर साल 2022 को हाई कोर्ट ने योगी सरकार को बड़ा झटका दिया था। तब कोर्ट ने राज्य सरकार की उस ओबीसी सूची को खारिज कर दिया था जिसके दम पर निकाय चुनाव करवाने की तैयारी थी। हाई कोर्ट (High court ) ने फैसला देते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन नहीं किया और उसके बिना ही चुनाव की घोषणा की गई। तब कोर्ट ने सरकार को ये भी कहा था कि वो बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवा सकती है।
आरक्षण का मुद्दा था राजनीतिक
वहीं उस समय आरक्षण (Reservation) का मुद्दा राजनीतिक था और विपक्ष ने भी इसे तुरंत बड़ा मुद्दा बनाया, सरकार ने साफ कर दिया कि बिना आरक्षण के चुनाव नहीं करवाए जाएंगे। तब सीएम योगी ने एक पांच सदस्यों की टीम का गठन किया इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में मामले को चुनौती दी गई थी। वहीं मांग की गयी कि हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर लगाई रोक
वहीं बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने जिन निकायों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनके कामकाज के लिए विशेष समिति बनाने की बात भी कही है। वहीं इस पर कोर्ट ने दो टूक कहा है कि तीन महीने का समय बहुत लंबा है क्या इसको और पहले नहीं पूरा किया जा सकता है? यूपी सरकार ने कहा कि कमीशन के अध्यक्ष नियुक्त किए गए जज साहब से पूछकर बताना होगा कि कम से कम कितने समय में इसको पूरा किया जा सकता है? मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में इस तरह की प्रक्रिया अपनाई गई है। हालांकि SG ने जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि तीन महीनों के लिए 3 सदस्यों की कमेटी बना कर एडमिन के अलावा काम को जारी रखा जा सकता है।
ओबीसी वर्ग के जरिये जीत करी हासिल
आपको बता दें, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में ये ओबीसी वर्ग बड़ी संख्या में है। ओबीसी के जरिये ही यहाँ पर पार्टी ने जीत हासिल करी थी। इसी के साथ ये आरक्षण मुद्दा बहुत अहम था। जिसकी वजह से योगी सरकार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गयी और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में योगी सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है।