जानिए गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के चुनाव की प्रकिया
हर साल 26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस (Republic Day) के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि इस दिन 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था, जिसकी बदौलत आज पूरे देश में हम अपने अधिकारों और नियमों में रहकर स्वतंत्रता से जीवनयापन कर रहे हैं। 26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर एक खास प्रोग्राम होता है जिसमें देश और विदेश दोनों जगह के लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, इसके अलावा इस दिन विदेशी प्रमुखों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है. ये परंपरा आज से नहीं, बल्कि सालों से चली आ रही है. इस दिन विदेश से आए अतिथियों को खास सम्मान और सत्कार भी दिया जाता है, साथ ही उन्हें खास ‘गॉर्ड ऑफ़ ऑनर’ भी दिया जाता है. लेकिन आपके मन में ये सवाल जरूर पैदा होता होगा कि इन मेहमानों का चुनाव कैसे किया जाता है और इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है इस बारे में इस पोस्ट के जरिए हम आपको विस्तार से बताएंगे।
कौन होगा इस साल का मुख्य अतिथि ?
मुख्य अतिथि का चुनाव कैसे होता इस बात पर चर्चा करने से पहले हम इस बार आने वाले मुख्य अतिथि के बारे में जान लें। कोरोना महामारी(corona pandemic) के चलते पिछले दो गणतंत्र दिवस बिना किसी मुख्य अतिथि के ही ये राष्ट्रीय पर्व मनाया गया है, लेकिन इस बार के चीफ गेस्ट मिस्त्र (Egypt) के राष्ट्रपति अब्देह फ़तेह अल सिसि (Abdeh Fateh Al Sisi) होंगे. उन्होंने नवंबर 2022 में गणतंत्र दिवस के निमंत्रण को स्वीकार किया है. चीफ गेस्ट के बारे में खास बात करें तो जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति होने से पहले अब्देह Egypt में बतौर रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख के रूप मे अपनी सेवा दे चुके हैं , इससे पहले उन्होंने 2013 में एक तख्तापलट के बाद लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मोहम्मद मोरसी से सत्ता संभाली थी। भारत और मिस्र के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के इस महत्वपूर्ण मौके पर जश्न मनाने के लिए मिस्र के राष्ट्रपति (President) को न्योता दिया गया है.
कैसे होता है मुख्य अतिथि का विचार
निमंत्रण देने से पहले विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) द्वारा हर तरह के विचारों को ध्यान में रखा जाता है। न्योता देने से पहले उस देश और भारत के सम्बन्ध कैसे हैं. इस न्योते का मुख्य उद्देश्य दोस्ती और पूरे विश्व को ये दिखाना होता है कि दोनों देशों के बीच के रिश्ते कितने मजबूत हैं। इसके अलावा मेहमान को निमंत्रण देने से भारत के राजनैतिक, व्यावसायिक ,सेना, और आर्थिक हितों पर क्या प्रभाव पड़ता है इस बात का भी खास ख्याल रखा जाता है. साथ ही में ये भी देखा जाता है कि कहीं इस अतिथि को बुलाने से किसी देश से हमारे देश के सम्बन्ध तो नहीं खराब हो रहे हैं.
एतिहासिक संबंधो का भी रखा जाता है खास ख्याल
अतिथि को देश में आमंत्रित करने से पहले एक और खास बात ध्यान रखा जाता है कि उस देश के साथ भारत के ऐतिहासिक सम्बन्ध कैसे थे, उदहारण के लिए आप भारत और आने वाले चीफ गेस्ट अब्देह के देश के संबंधो को देखें तो भारत के साथ मिस्र का सम्बन्ध बहुत ही ऐतिहासिक है क्योंकि 1950 और 1960 के बीच भारत जब औपनिवेशिक रहे देशों को शीत युद्ध की चपेट में आने बचाने के लिए आन्दोलन कर रहा था तब Egypt ने बढ़चढ़ का भारत का साथ दिया था .
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से लेनी होती है अनुमति
इन सभी प्रोसेस के बाद अब विदेश मंत्रालय देश के प्रधामंत्री और राष्ट्रपति से अनुमति लेता है, मंजूरी मिलने के बाद मंत्रालय अपनी आगे की प्रक्रिया को आगे बढाता है उस देश के भारतीय राजदूत इस बात की जानकारी निकलने में लग जाता है की क्या गणतंत्र दिवस के दिन उस देश के अतिथि/प्रतिनिधि मौजूद हो सकता है या नहीं? कई बार ऐसा होता है की अपने Busy schedule की वजह से यह अन्य कार्यक्रम में मिले निमंत्रण की वजह से निमंत्रण अस्वीकार कर दिया जाता है. इसीलिए विदेश मंत्रालय हमेशा से ही चीफ गेस्ट के एक से ज्यादा आप्शन रखते हैं। इसके बाद विदेश मंत्रालय द्वारा फिर से अतिथि के देश से बातचीत शुरू की जाती है.
उन्हें पूरा कार्यक्रम का ब्यौरा देते हुए आमंत्रण दिया जाता है. साथ ही उन्हें हर एक पल की डीटेल में जानकारी दी जाती है. एक बार आमंत्रण स्वीकार होने पर फिर आगे की तैयारियां की जाती हैं. कभी-कभी अतिथि के साथ उनके परिवार के सदस्य भी आते हैं, जिनके बारे में पहले से ही जानकारी दे दी जाती है.
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