
जोशीमठ की कहानी हर सनातनी हर हिन्दू और हर शख्स के लिए जरुरी है जोशीमठ टूट रहा है लोगों को अपना बसा-बसाया घर छोड़ना पड़ रहा है लोग पलायन करने पर मजबूर हैं और वजह है सरकार द्वारा किया जा रहा विकास. वहीं कहा जाता है कि जोशीमठ को लेकर एक भविष्यवाणी की गयी और आज जब जोशीमठ तबाह होने के कगार पर है तो ये भविष्यवाणी सच होती नजर आ रही है.
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उत्तराखंड के जोशीमठ को हजारों साल पहले शंकराचार्य ने बसाया था. ये तपो भूमि ज्योतिर्मठ थी लेकिन बाद में इसका नाम बदल कर जोशीमठ कर दिया गया. शंकराचार्य ने देश में जिन चार मठों को स्थापित किया था, उनमें से एक जोशीमठ भी है। इस मठ का निर्माण आदि शंकराचार्य के एक अनुयायी ने 8वीं शताब्दी में किया था। वहीं ये जगह नरसिंह मंदिर भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिम्हा को भी समर्पित है और सर्दियों के दौरान बद्रीनाथ मंदिर की मूर्ति नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु की मूर्ति की साथ रखी जाती है। इसके अलावा नरसिंह, नवदुर्गा और वासुदेव मंदिर भी है.
हिन्दू धर्म में जोशीमठ का महत्त्व गुरु शंकराचार्य के साथ-साथ भगवान् विष्णु के मंदिर को भी लेकर है. सर्दियों में जब बद्रीनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं, तब भगवान बद्री की प्रतिष्ठा इसी मंदिर में होती है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में बनी भगवान नरसिंह की मूर्ति का बायां हाथ लगातार पतला होता जाएगा और जब ये गिर जाएगा जो नर और नारायण नाम के दो पर्वत आपस में मिल जाएंगे. इस तरह बद्रीनाथ का रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जाएगा और भगवान बद्रीनाथ की पूजा भविष्य बद्री में हुआ करेगी.
वहीं इन सभी रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ को लेकर की गयी ये भविष्यवाणी अब सच होने वाली है. इसी के साथ ये भी कहा जा रहा है कि जोशीमठ को तबाह होने से कोई नहीं बचा सकता है.
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