जनसंख्या देश और दुनिया की सबसे बड़ी संकट
जनसंख्या देश की ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा संकट बनता जा रहा है। खासकर भारत जैसे गरीब देश में यह किसी सुनामी से कम नहीं। भारत में इस संकट को लेकर अभी तक ना कोई कानून बना है ना ही इसे लेकर जनता में उतनी जागरूकता है। दूसरी तरफ यहां के राजनेता एक-दूसरे के धर्म पर उंगलिया उठाकर जनता को आपस में भड़काने में लगे रहते है। ठीक इसी तरह देश में एक बार फिर से जनसंख्या को लेकर बवाल शुरू हो गया है। इस बवाल की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बयान से हुई, जब उन्होंने दशहरे के मौके पर कहा था कि जनसंख्या को लेकर एक ऐसी नीति बनानी चाहिए, जो सभी पर एक समान लागू हो।
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वहीं दूसरी तरफ हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भागवत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुसलमानों की संख्या में अब कमी आ रही है। ओवैसी ने आगे कहा कि इन दिनों मुसलमानों में फर्टिलिटी रेट घट रही है। उन्होंने मुसलमानों में ज्यादा कंडोम इस्तेमाल करने का भी दावा किया। ओवैसी ने कहा कि दो बच्चों में अंतराल बनाए रखने के लिए कंडोम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल मुसलमान ही करते हैं।
10 में से एक पुरुष करता है कंडोम का इस्तेमाल
अगर आप इन नेताओं की बातों को थोड़ा नजरअंदाज करे तो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (#NationalFamilyHealthSurvey) की एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में आज भी 10 पुरुषों में से एक पुरुष ही कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अभी तक 97% पुरुष और 87% महिलाओं को कंडोम के बारे में पता है, फिर भी यहां के लोग काफी कम मात्रा में कंडोम इस्तेमाल करते हैं। NFHS-5 के आंकड़ों के मुताबिक कंडोम के इस्तेमाल में सबसे आगे सिख धर्म के लोग आते हैं। सिख धर्म में 21.5% से ज्यादा लोग कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। दूसरे नंबर पर 19.8% के साथ जैन समुदाय आता है। 10.8% मुसलमान और और अंत में 9.2% हिंदू कंडोम का इस्तेमाल करते हैं।
आबादी चाहे किसी भी धर्म की बढे़ खतरे में पूरा देश आएगा
वापस अगर इन दोनों व्यक्तियों (भागवत और ओवैसी) के बयानों पर आये तो ये एक दूसरे के धर्मो पर सिर्फ उंगलियां उठाते दिख रहे हैं पर कोई आंकड़ों की बात नहीं करते दीखता। अगर हम आंकड़ों पे ध्यान दें तो 2011 में भारत में आखिरी बार जनगणना हुई थी। उस समय के आंकड़े बताते हैं कि देश की आबादी 121 करोड़ से ज्यादा है, इनमें 96.63 करोड़ हिंदू और 17.22 करोड़ मुस्लिम हैं। इस हिसाब से कुल आबादी में 79.8% हिंदू और 14.2% मुस्लिम हैं। 2001 की तुलना में 2011 में मुसलमानों की आबादी करीब 25% तक बढ़ गई थी, जबकि 17% से भी कम हिंदू आबादी बढ़ी थी।
बढ़ती आबादी का मतलब है बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी …..
आबादी चाहे किसी भी समुदाय या धर्म की बढ़ रही हो पर इसका खामियाजा पुरे देश को भुगतना पड़ेगा। हाल ही में आई राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट यह भी संकेत देती है की भारत जैसे देश में पुरुष कंडोम से ‘नफरत’ करते हैं। भारत में सिर्फ 9.5% पुरुष ही कंडोम का इस्तेमाल करते हैं, यानी की 10 में से एक पुरुष ही ऐसा है जो सेक्स के समय कंडोम का इस्तेमाल करता है। अगर ऐसा चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भारत की आबादी दुनिया के बाकि देशों से काफी ज्यादा होगी। दूसरी तरफ भारत जैसे देश में बढ़ती आबादी का मतलब है बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी इत्यादि।
फैमली प्लानिंग की अधिकतर जिम्मेदारी महिलाओं पर है
हालांकि,इस रिपोर्ट के दूसरे पहलु को देखे तो पिछले सालों के मुताबिक 2019-21 में कंडोम का इस्तेमाल बढ़ा जरूर है, लेकिन जिस मात्रा में बढ़ना चाहिए उतना नहीं। वहीं, 25 सालों में दुनियाभर में कंडोम का इस्तेमाल करने वालों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है। अनचाही प्रेग्नेंसी रोकने के लिए दुनियाभर की 33% महिलाएं कंडोम और 26% गर्भनिरोधक गोलियों को पसंद करती हैं। दूसरी तरफ देश की महिलाएं अनचाही प्रेग्नेंसी रोकने के लिए महिला को नसबंदी सबसे प्रचलित और सही तरीका मानती है। सर्वे बताता है कि फैमिली प्लानिंग के तरीकों में महिला नसबंदी की हिस्सेदारी 37.9% है, जिससे आप यह अनुमान आसानी से लगा सकते हैं की देश में फैमली प्लानिंग की अधिकतर जिम्मेदारी महिलाओं पर ही है।
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के युवा बहुत कम तादाद में कंडोम का इस्तेमाल करना पसंद करते है, जबकि भारत में 27% युवाओं की आबादी है। दूसरी तरफ अगर शादी-शुदा लोगों की बात करे तो सिर्फ 5.7% कंडोम का इस्तेमाल किया था। जबकि, 45% गैर-शादीशुदा पुरुषों ने कंडोम का इस्तेमाल किया है। सर्वे केके मुताबिक गांवों में 7.6% और शहरों में 13.6% लोग फैमिली प्लानिंग का सबसे बेहतर तरीका कंडोम को मानते हैं।
विकसित राज्य ज्यादा करते हैं कंडोम का इस्तमाल
पढ़े-लिखे और विकसित राज्य कंडोम के इस्तमाल ज्यादा करते हैं। चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और गोवा ऐसे राज्य हैं, जहां फैमिली प्लानिंग में कंडोम 15% से ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। वहीँ बिहार जैसे गरीब राज्य में कंडोम का इस्तेमाल लोग कम करते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, 66.7% से ज्यादा लोग फैमिली प्लानिंग करते हैं, जबकि इनमें से 10% से ज्यादा ऐसे हैं जो फैमिली प्लानिंग के लिए पुराने तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। बाकि बचे हुए लोग गर्भनिरोधक गोलियां, कॉपर-टी, कंडोम का इस्तेमाल जैसे नए तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
कंडोम को लेकर लड़कों के अंदर झिझक तो शर्माती हैं लड़कियां
भारत युवाओं का देश कहा जाता है लेकिन फिर भी यहां के लोग सेक्स के दौरान कंदों के इस्तेमाल से झिझकते क्यों है। कंडोम अलायंस की ‘कंडोमोलॉजी रिपोर्ट 2021’ के अनुसार ज्यादातर पुरुषों यह सोचते हैं कि अगर वो सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करेंगे, तो उन्हें उस तरीके का शारीरिक सुख नहीं मिल पायेगा। जबकि पहली बार सेक्स करने लड़कों को लगता है कि कंडोम का इस्तेमाल उन्हें अपने पार्टनर के सामने ‘प्लेबॉय’ का लेबल दे सकता है। दूसरी तरफ लड़कियां सेक्स के समय अपने पार्टनर से कंडोम के इस्तेमाल करने लिए बोलने से शर्माती हैं।
गरीब नहीं खरीदते कंडोम
कॉन्डोम खरीदने आने वालों में ज्यादातर मिडिल क्लास के लोग ही होते हैं, जबकि गरीब पैसों की कमी के कारण या फिर समझ ना होने के कारण कंडोम का इस्तेमाल ना के बराबर ही करते हैं। अगर हर किसी को मुफ़्त में बढ़िया क्वालिटी के कॉन्डोम उपलब्ध कराएं और जागरूकता पैदा की जाये तो निश्चित तौर पर इसका इस्तेमाल बढ़ेगा।
क्यों है कंडोम जरुरी?
अगर आप कंडोम की सिर्फ फैमली प्लानिंग के नजरिये से देखते है तो ये महज बाकि सब तरीकों से यह सबसे सुरक्षित तरीका है। WHO के मुताबिक कंडोम के इस्तेमाल से सेक्सुअल ट्रांसमिशन से होने वाली बीमारी से भी बचा जा सकता है। इसमें HIV और HPV (ह्यूमन पैपिलोवायरस) जैसी बीमारियां शामिल हैं।
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