छठ पूजा का अर्ध्य के दिन गुजरात के मोरबी में हुआ बड़ा हादसा
“चुनाव के दिनों में गिरा ताकि लोगों को पता चल सके की आपने राज्य में कैसे सरकार चलाई है। भगवान ने इस ब्रिज के जरिये लोगों को सन्देश भेजा है की आज ये ब्रिज टुटा है कल इसी तरह पूरा राज्य खत्म हो जायेगा”। अगर आपको याद ना हो तो हम आपको याद दिलवा दे की कुछ इस तरह के शब्द थे हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जब पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले फ्लाईओवर गिरने का मामला सामने आया था। वहीं दूसरी तरफ रविवार शाम को जब छठ पूजा का अर्ध्य देने के लिए गुजरात (Gujarat) के मोरबी में लोग जब अपने घरों से निकले तभी ब्रिटिश कालीन पुल टूटने (Bridge Collapse) से कम से कम 141 लोगों की मृत्यु (Death) हो गई। हादसे के समय प्रधानमंत्री मोदी गुजरात दौरे पर ही थे लेकिन अभी तक हमारे प्रधानमंत्री के तरफ से कोई ऐसा बयान नहीं आया है जिस कारण गुजरात सियासत में हलचल मच जाये, गुजरात में अभी तो चुनाव का माहौल भी चल रहा है। वहीं प्रधानमंत्री की ये चुप्पी उनके विपक्षियों को इस चुनावी समय में एक अवसर दे रहा है जिसे वो साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव में बिलकुल भुनाना चाहेंगे।
भाजपा के लिए राज्य का ये विधानसभा चुनाव करो-या-मरो स्थिति में
क्या गुजरात के मोरबी में गिरने वाला पुल गुजरात चुनाव से पहले गुजरात की जनता के लिए भगवान की तरफ से मिली एक चेतावनी है ? अगर गुजरात की जनता इस सवाल के जवाब को हाँ के रूप में देखती है तब तो भाई भारतीय जनता पार्टी को अब सचेत हो जाना चाहिए। क्यूंकि एक तरफ दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने पहले से गुजरात मॉडल पे सवाल उठाकर भाजपा के लिए रास्ता मुश्किल कर रखा है और दूसरी तरफ भारतीय करेंसी पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर की मांग उठा कर अपना हिंदुत्व कार्ड भी फेंक दिया है। ऐसे में अगर गुजरात की जनता ने मोरबी पुल हादसे को भगवान की चेतवानी समझ लिया तो भाजपा के लिए राज्य का ये विधानसभा चुनाव करो-या-मरो जैसा हो जायेगा। वही जनता को अगर इस पुल हादसे में भगवान की चेतवानी नहीं दिखी तो भी राज्य सरकार और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के लिए गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा सर दर्द होगा।
गुजरात मोरबी हादसे में लगभग 150 लोगों की मृत्यु
अगर अधिकारियों की बात करे तो अधिकारीयों का कहना है कि कुछ समय पहले ही पुल में मरम्मत का काम हुआ था जिसके बाद जनता के लिए ये फिर से खोला गया था। पुल टूट गया क्योंकि उस समय उस पर कुछ ज्यादा लोग खड़े थे। यह उस पर खड़े लोगों का भार सहन नहीं कर सका। पुल टूटने के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए। बताया जा रहा है कि मृत लोगों में कई बच्चे भी शामिल हैं। देर रात तक 50 से ज्यादा लोगों का शव निकाला जा चूका हैं। लगातार शव निकल रहे हैं। 100 से ज्यादा लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। फिलहाल, सवाल उठ रहा है कि 7 महीनें पहले रिनोवेशन के लिए बंद हुए पुल को बगैर फिटनेस सर्टिफिकेट के क्यों खोला गया? हालांकि, खबर है कि कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई है।
गुजरात मोरबी पुल का इतिहास
अगर गुजरात के इस मोरबी पुल के इतिहास को देखे तो मोरबी में मच्छु नदी पर इस पुल का निर्माण वर्ष 1880 में अंग्रेजों द्वारा पूरा हुआ था. इसका उद्घाटन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। उस वक्त इसे बनाने में करीब 3.5 लाख रुपये खर्च हुए थे। अगर इस पुल की आयु देखे तो ये पुल तो वैसे भी अपने बुढ़ापे की जिंदगी जी रहा था तो ऐसे में 142 साल पुराने इस पुल से किसी भी तरह का उम्मीद करना बेवकूफी ही होगी। इसका मतलब अब आप देखे तो ये निकलता है की इस हादसे का पूरा श्रेय स्थानीय अधिकारीयों, पुल की मरम्मत करने वाली कंपनी और सरकार पर जाता है।
वारदात के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और जान बूझकर मौत का कारण बनने के आरोप में मामला दर्ज
दूसरी तरफ हर्ष संघवी जो गुजरात के गृह मंत्री है उन्होंने कहा कि इस वारदात के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और जान बूझकर मौत का कारण बनने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। संघवी ने जांच का आदेश देते हुए कहा कि जो भी इसके जिम्मेदार पाया जाता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। संघवी ने कहा, “पुल गिरने की जांच के लिए पांच सदस्यीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया है। राज्य सरकार ने हादसे में मरने वालों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने किया है। वर्तमान में प्रधानमंत्री बभी गुजरात दौरे पर ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पीड़ितों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री हुए भावुक
सरकार तो इस चुनावी समय में मुआवजा और जांच की बात करने में लग गई लेकिन पुल गिरने के इतने समय बाद भी अभी तक किसी की जवाबदेही तय ना कर सकी। दूसरी तरफ देश भर की विपक्षी पार्टियां और खासकर के दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और आम आदमी पार्टी, भाजपा पर हमलावर दिख रही है। अगर इंसानियत की बात करे तो किसी भी सरकार या विपक्ष को आपदा या फिर किसी भी तरह के हादसा पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, पर ये चीज राजनेताओं को कौन ही समझा सकता है। आज देश की अन्य पार्टियां मोरबी में मच्छु नदी पुल हादसे को लेकर भाजपा की सरकार को घेर रही है, वही ऐसे हादसों पर आरोप-प्रत्यारोप के खेल की नींव तो भाजपा ने ही कोलकत्ता फ्लाईओवर हादसे के दौरान रखा था। इस समय प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के ही एकता नगर से कहा है कि मैं एकता नगर में हूँ लेकिन मेरा मन मोरबी पीड़ितों के साथ है। प्रधानमंत्री का ये बयान गुजरात हादसे के दृष्टिकोण से तो भावुक है लेकिन राजनीति में तो वर्तमान से ज्यादा इतिहास के मायने होते है, ये चीज भी देश को भाजपा ने ही सिखाया है।
विपक्षियों का भाजपा पर हमला
एक तरफ जहा प्रधानमंत्री मोरबी पुल हादसे पर भावुक दिख रहे है वही उनके विपक्ष कोलकत्ता हादसे के समय प्रधानमंत्री द्वारा दिए भाषण को सोशल मीडिया और मीडिया पर वायरल करने में लगा है जिसमे प्रधानमंत्री मोदी कहते दिख रहे है की ये एक्ट ऑफ़ गॉड नहीं, एक्ट ऑफ़ फ्रॉड है। दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मोदी जी मोरबी के पुल की दुर्घटना एक्ट ऑफ गॉड है या एक्ट ऑफ फ्रॉड है? 6 महीने से पुल की मरम्मत की जा रही थी. इसमें कितना खर्च आया?
मोरबी पुल हादसा, भाजपा पर खड़ी कर रही सवालिया निशान
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मोरबी पुल हादसे पर भावुक दिख रहे है वही उनके विपक्ष कोलकत्ता हादसे के समय प्रधानमंत्री द्वारा दिए भाषण को सोशल मीडिया और मीडिया पर वायरल करने में लगे है। जिसमे प्रधानमंत्री मोदी कहते दिख रहे है की “ये एक्ट ऑफ़ गॉड नहीं, एक्ट ऑफ़ फ्रॉड है”। दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री से सवाल पूछते हुए लफ्जों में कहा कि, ‘मोदी जी मोरबी के पुल की दुर्घटना एक्ट ऑफ गॉड है या एक्ट ऑफ फ्रॉड है? 6 महीने से पुल की मरम्मत की जा रही थी। इसमें कितना खर्च आया? पांच दिनों में ही पुल गिर गया। गुजरात में 27 साल से बीजेपी की सरकार है, क्या यही है आपका विकास मॉडल? वहीँ कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने हादसे को ‘मानव निर्मित त्रासदी’ कहा है।
वही भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त राहुल गाँधी ने मोरबी की घटना पर दुःख जताते हुए कहा है कि, ” ऐसे मुश्किल समय में मैं सभी शोकाकुल परिवारों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।” उन्होंने आगे कहा कि सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की हर संभव सहायता करें और लापता लोगों की तलाश में मदद करें।
2 करोड़ की मरम्मत के बाद 4 दिन भी नहीं चला पुल
अब गुजरात चुनाव से पहले ये हादसा पार्टियों के बिच का मुद्दा तो बन ही गया है लेकिन ये छठ पूजा के दिन का पुल हादसा गुजरात में 27 साल से जीत रही भाजपा सरकार पर बहुत सारे सवालिया निशान भी छोड़ते दिखती है। क्यूंकि 4 दिन पहले तक ये पुल 6 महीने से बंद था कर इसके मरम्मत का काम हो रहा था। 2 करोड़ की लागत से पुल के मरमत्त का काम पूरा हुआ था जो इस पुल के बनाने की राशि से कई गुना है, लेकिन पुल केवल 4 दिन बाद ही टूट जाता है तो सरकार पर सवाल तो खड़े होंगे ही।
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