कोर्ट में जजों के सामने हुआ 'आइटम डांस', दिल्ली हाई कोर्ट ने लिया एक्शन

कोर्ट में जजों के सामने हुआ 'आइटम डांस',  दिल्ली हाई कोर्ट ने लिया एक्शन

पटियाला हाउस कोर्ट में होली के मौके पर हुआ आइटम डांस 

कोर्ट को न्याय का मंदिर कहा जाता है क्योंकि इस मंदिर में हर किसी को न्याय मिलता है लेकिन इस न्याय के मंदिर में आइटम डांस का कार्यक्रम हुआ हैं जिसके बाद से दिल्ली का पटियाला हाउस कोर्ट (Delhi Patiala House Court) इस समय चर्चा का विषय बना है.  दरअसल, होली के मौके पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court Delhi) परिसर के अंदर आइटम डांस (Item Dance) का कार्यक्रम रखा गया था और इस आइटम डांस कार्यक्रम 6 मार्च को आयोजित किया गया था और कई सारे विडियो सामने आये हैं.

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होली मिलन समारोह के दौरन हुआ ये आयोजन 

 6 मार्च को हुआ यह कार्यक्रम पटियाला हाउस कोर्ट के परिसर के अंदर होली मिलन समारोह (Holi get together) के दौरान हुआ था और अश्लीलता समेत फूहड़ता प्रदर्शन किया गया था. इसके कार्यक्रम के कई सारे वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे और कार्यक्रम की निंदा की गई थी जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने इस आइटम डांस पर एक्शन लिया है साथ ही हाई कोर्ट ने इस मामले की निंदा की है.

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दिल्ली हाई कोर्ट ने लिए एक्शन 

वहीं दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi high court) ने इस मुद्दे पर आयोजकों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है साथ ही एक बयान भी दिया है.हीं हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करने के साथ ही यह भी कहा है कि जब तक इस मुद्दे पर अंतिम रूप से फैसला नहीं हो जाता तब तक नई दिल्ली बार एसोसिएशन के वर्तमान कार्यकारी द्वारा किसी भी कार्यक्रम के लिए अदालत परिसर का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे साथ ही इस मामले में हाई कोर्ट ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, नई दिल्ली जिला, पटियाला हाउस अदालतों को तीन दिनों में दिल्ली बार एसोसिएशन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और इसके जवाब के आधार पर तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट तैयार करने का भी निर्देश दिया है.

हाई कोर्ट ने करी निंदा  

हाई कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के अमर्यादित कार्यक्रम न्यायिक संस्थानों की शान को गिराते हैं और पेशे के लिहाज से यह बेहद ही अनैतिक घटना है. रिपोर्ट्स के अनुसार कई वकीलों ने भी इस होली मिलन समारोह पर आपत्ति जाहिर करते हुए एनडीबीए को पत्र लिखा था और कार्रवाई की मांग की थी. हाई कोर्ट ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि यह कानूनी पेशे के लिहाज से उच्च नैतिक मानकों के आधार पर कतई सही नहीं है. 

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