Population Dividend China – अगर कोई कहे कि चीन अब बर्बाद होने के कगार पर है, उसकी हालत डांवाडोल होने वाली है, चीन डूबने वाला है, चीन बूढ़ा हो चुका है तो आप सामने वाले को ‘पागल’ समझेंगे. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चीन की स्थिति ऐसी ही हो चली है. कोरोना के बाद से ही चीन की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है. दुनिया के तमाम देश उसका बॉयकॉट कर चुके हैं. यहां तक कि दुनिया के कई देशों में चल रहे उसके प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चले गए हैं. चीन की अर्थव्यवस्था की स्थिति भी निचले स्तर पर है. उसकी डेब्ट ट्रैप नीति का भी भंडाफोड़ चुका है और इसी का नतीजा है कि अफ्रीकी देशों ने उसे टाटा बाय बाय कर दिया और अब एशियाई देश भी उससे झुटकारा पाने में लगे हैं.
वैश्विक मंचों पर भारत लगातार चीन को निशाने पर लेते रहा है और पाकिस्तान (Pakistan) के साथ-साथ चीन की पोल भी खोलते रहा है. कई बार चीन ने भारत के प्रति अपनी कुंठा भी प्रदर्शित की है. बॉर्डर इलाके में भारतीय सैनिकों के साथ उनकी झड़प भी चीन की कुंठा का ही परिणाम है. इसी बीच अब भारत चीन को तमाचा जड़ते हुए जनसंख्या के मामले में उससे आगे निकल गया है. वो अलग बात है कि भारत लगातार बढ़ रही जनसंख्या को अपनी उपलब्धि नहीं मानता लेकिन भारत जैसे ही इस क्षेत्र में आगे बढ़ा, चीन की सुलग गई.
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आय हाय! इतनी कुंठा?
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र (UN) की रिपोर्ट के अनुसार 19 अप्रैल को 142.86 करोड़ की आबादी के साथ भारत अब चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश हो गया है. चीन अब 142.57 करोड़ की जनसंख्या के साथ दूसरे नंबर है. लेकिन जब चीन के विदेश मंत्रालय से इसे लेकर सवाल पूछा गया तो चीन भड़क गया. चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से बिना भारत का नाम लिए कहा गया कि आबादी का फायदा सिर्फ जनसंख्या बढ़ाने से ही नहीं मिलता है बल्कि इसके लिए उस आबादी में क्वालिटी भी होनी चाहिए. चीन ने कहा कि अभी उसके पास 900 मिलियन यानी कि 90 करोड़ लोगों का वर्कफोर्स है जो चीनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में सक्षम है.
Population Dividend China – चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन (Wang Wenbin) ने कहा, “मैं आपको बताना चाहता हूं कि जनसंख्या से होने वाला फायदा क्वांटिटी पर ही नहीं बल्कि गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है, उन्होंने कहा कि जनसंख्या तो अहम है लेकिन इसके साथ टैलेंट भी होना बहुत जरूरी है.” उन्होंने कहा कि चीन की आबादी 1.4 बिलियन से अधिक है. कामकाजी उम्र के लोग 900 मिलियन के करीब हैं. इसके अलावा चीन अपनी बुजुर्ग हो रही जनसंख्या से पैदा होने वाली समस्या से निपटने के लिए भी कोशिशें कर रहा है.
Population Dividend China
आपको बता दें कि चीन की जनसंख्या वर्षों तक सबसे ऊपर रही है और यही कारण है कि चीन सालों तक पॉपुलेशन डिविडेंड का फायदा लेता रहा. अधिक लोगों की संख्या होने के कारण चीन को कभी भी मजदूर, हाईटेक लेबर, इंजीनियर, डॉक्टर आदि की कमी नहीं हुई और कम कीमत पर उसे क्वालिटी लेबर मिलते रहे. दूसरी ओऱ लगातार बढ़ रही जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए चीन वन चाइल्ड पॉलिसी (China’s one child policy result) लेकर आया.
नतीजा यह हुआ कि चीन की आबादी पहले कुछ सालों तक तो स्थिर रही लेकिन अब घटने लगी है. चीन की इस नीति के कारण उसे मिलने वाले पॉपुलेशन डिविडेंड (Population Dividend China) खत्म होने का भी डर सता रहा है. वहीं, चीन बूढ़ा होने की राह पर भी बढ़ चुका है. अभी चीन की मीडियन एज 39 साल है. अगले 27 सालों में यानी 2050 तक उसकी (Median age China) मीडियन एज 51 हो जाएगी. इसी के साथ वर्क फोर्स को लेकर चीन की समस्या शुरू होगी. यह ऐसी चीज है जो भविष्य में चीन की चरमरा रही अर्थव्यवस्था को नेस्तनाबूत कर सकती है.
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भारत के लिए यह बुरा भी नहीं है
अगर हम भारत की बात करें तो (Median age India) भारत में मीडियन एज 29 साल है यानी हमारी आबादी का लगभग आधा हिस्सा 29 साल से कम उम्र का है. भारत के 68 फीसदी लोग 15 से 64 साल के बीच के हैं और यही वो आबादी है जिसे कामकाजी माना जाता है. ऐसे में भारत को सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश का गौरव प्राप्त होना कहीं से भी गलत प्रतीत नहीं होता. हां, इससे कई फायदें हैं और अगर मोदी सरकार देश की युवा आबादी के सामर्थ्य को सही जगह यूज करे तो वो दिन दूर नहीं, जब विश्व पटल पर हर ओर भारत ही दिखेगा. हालांकि, युवा आबादी को संवारने हेतु मोदी सरकार पहले से ही कई योजनाएं चला रही है और अन्य कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है, जो आने वाले समय में देश के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.