ख़ालिस्तान को लेकर देश में काफ़ी पहले से ही चर्चा होती रही है. समय समय पर हमें कई तरह के आंदोलन भी देखने को मिले हैं और पंजाब को भारत से अलग करने की साज़िशों का भी खुलासा हुआ है. हालाँकि, भारत से पंजाब को अलग कर ख़ालिस्तान बनाने की साज़िश का आरंभ तो देश की आज़ादी के पश्चात ही हो गया था लेकिन पंजाब के 3 हिस्सों में टूटने और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की कम होती पकड़ ने इसे वृहद रूप दे दिया.
यही वह समय था जब जरनैल सिंह भिंडरावाले का उदय हुआ. शुरुआती दिनों में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और तत्कालीन पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष ज्ञानी ज़ैल सिंह ने शिरोमणि अकाली दल को तोड़ने या यूं कहें कि कमजोर करने के लिए भिंडरावाले का जमकर प्रयोग किया लेकिन समय के साथ ही उसका क़द बढ़ता गया और परिणाम ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue star) एवं इंदिरा गांधी की हत्या के रूप में देखने को मिला. उसके बाद से ख़ालिस्तान की माँग ने ज़ोर पकड़ना शुरू कर दिया, जो अभी तक जारी है. मौजूदा समय में अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) को भिंडरावाले 2.0 बताया जा रहा है.
और पढ़ें: आखिर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को बचा कौन रहा है?
खालिस्तान का पाकिस्तान कनेक्शन
ध्यान देने योग्य है कि खालिस्तानी संगठनों की ओर से हर कुछ महीने पर ख़ालिस्तान को लेकर विदेशों में जनमत संग्रह कराये जाते हैं और ख़ालिस्तान का नक़्शा भी जारी किया जाता है. लेकिन अगर आपने उनके नक़्शे पर गौर किया है तो आपको पता होगा कि खालिस्तानियों ने अभी तक जो भी नक़्शा जारी किया है, उसके सिर्फ़ भारत के ही राज्यों को शामिल किया गया है. यहाँ तक कि पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले पंजाब को भी खालिस्तानी अपना हिस्सा नहीं बताते हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसा क्यों? क्या खालिस्तानी, ननकाना साहिब को भी नहीं मानते, जो पाकिस्तान के पंजाब में स्थित है? क्योंकि ननकाना साहिब (Nankana Sahib) वही स्थान है जहां सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था और आज भी यह सिखों के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. ऐसे में जब खालिस्तानी, खालिस्तान बनाने की माँग करते हैं तो वो इस पवित्र स्थल को कैसे भूल जाते हैं. या किसी षड्यंत्र के तहत पाकिस्तान के हिस्से को खालिस्तानी अपने नक्शे में नहीं दिखाते हैं? (Khalistan Pakistan connection)
क्योंकि ऐसा कहा जाता रहा है कि खालिस्तानियों को ISI के द्वारा फंडिंग मिलती है और भारत को परेशान करने की साज़िश यही रची जाती है. ऐसे में अपने नक़्शों में खालिस्तानी, पाकिस्तान के किसी भी हिस्से को दर्शाने से बचते हैं. इसके अलावा पाकिस्तान, कश्मीर और भारत के उत्तरी पूर्वी इलाक़े पर क़ब्जा जमाने के सपने देखते रहता है और खालिस्तान अपने नक़्शे में प्रमुख तौर पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल को दिखाता है यानी ‘अगर खालिस्तानी इसे तोड़ने में कामयाब हो गये तो जम्मू कश्मीर और लद्दाख से भारत कट जाएगा. और अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान उस पर कब्जा जमा लेगा.’ लेकिन वे समझ नहीं रहे हैं कि भारत उनकी इस विकृत महत्वाकांक्षा के पूरा होने से पूर्व उन्हें ही समाप्त कर डालेगा.
पाकिस्तान की ब्लीड इंडिया नीति
ज्ञात हो कि जून 2022 में आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (Sikh for Justice) ने जिस खालिस्तानी नक्शे का अनावरण किया था, उसमें 1966 से पहले के पंजाब के इलाके दिखाए गए, जिसमें हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वो इलाके भी थे, जहां बड़ी संख्या में सिख रहते हैं. आतंकी गुरपतवन्त सिंह पन्नू ने पाकिस्तानी मीडिया से दावा किया था कि ‘शिमला भविष्य के सिखों के जन्मस्थल, खालिस्तान की राजधानी होगी.’ ध्यान देने योग्य है कि ये सब ऐसे समय पर हुआ था, जब ऑपरेशन ब्लूस्टार की 38वीं बरसी थी.
इस नक़्शे में ना तो पाकिस्तान (Pakistan) का कोई हिस्सा था और ना ही जम्मू कश्मीर का. यानी यह स्पष्ट है कि पूरे खालिस्तान के खेल को पाकिस्तान अपने हिसाब से चला रहा है. आपको बता दें कि पाकिस्तान की नीति ब्लीड इंडिया के तहत वो भारत के कई टुकड़े कर देना चाहता है. पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान के माध्यम से पहले भारत के पूर्वी हिस्से पर कब्जा करना चाहता था और किसी भी कीमत पर कश्मीर को कब्जाना चाहता था. आप खालिस्तान के प्रस्तावित नक्शे को देख सकते हैं जिसके अनुसार भारत का संपर्क कश्मीर से टूट जाएगा और पाकिस्तान से आसानी से कब्जा सकेगा. यही कारण है कि खालिस्तान अपने नक़्शे में पाकिस्तान के किसी भी क्षेत्र को शामिल नहीं करता.
और पढ़ें: आखिर क्या है सिख धर्म में नीली पगड़ी और पोशाक पहनने का इतिहास, जानिए कौन होते हैं ये सिख