आवारा कुत्तों के मामले में भारत ने हासिल किया नया मुकाम

By Pradeep Bandooni | Posted on 17th Mar 2023 | देश
street dog

आजकल के समय में ज्यादातर घरों में कोई न कोई एनिमल (animal lover) जरुर देखने को मिलेंगे और इन एनिमल में ज्यादातर डॉग्स और बिल्लियां होती है क्योंकि किसी न किसी घर में एक शख्स एनीमल लवर मिल जायेगा लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया भर के देशों में 6.2 करोड़ स्ट्रे डॉग्स (stray dogs) और 91 लाख आवारा बिल्लियां () हैं और इस बात की जानकारी एक रिपोर्ट के जरिए मिली है. 

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आवारा कुत्तों की लिस्ट में दूसरे नंबर है भारत  

दरअसल, स्टेट ऑफ पेट होमलेसनेस इंडेक्स (State of Pet Homelessness Index) ने एक डेटा जारी किया है और डेटा बताता है कि देश में लगभग 6.2 करोड़ स्ट्रे डॉग्स और 91 लाख आवारा बिल्लियां हैं. इनके अलावा 88 लाख स्ट्रीट डॉग्स ऐसे भी हैं, जो शेल्टर होम में रह रहे हैं. वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World health organization) के अनुसार, दुनिया में लगभग 200 मिलियन ऐसे कुत्ते हैं, जो बेघर हैं और स्टेट ऑफ पेट होमलेसनेस इंडेक्स के मुताबिक, स्ट्रे डॉग्स के मामले में चीन (china) पहले नंबर पर है यहाँ पर 7 करोड़ स्ट्रे डॉग्स हैं चीन के बाद भारत (India) का नंबर आता है यहाँ पर सवा 6 करोड़ स्ट्रे डॉग्स हैं. इसके बाद तीसरा नंबर अमेरिका (America) का है जहाँ पर 4.8 करोड़ और उसके बाद है मैक्सिको जहाँ में 74 लाख आवारा कुत्ते हैं. वहीं ब्रिटेन (Britain) में 11 हजार स्ट्रे डॉग्स दिखेंगे. जहाँ भारत, चीन और अमेरिका में सबसे ज्यादा स्ट्रीट डॉग है तो वहीं नीदरलैंड (Netherlands) सड़क पर कोई भी स्ट्रे डॉग नहीं हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एक समय था जब पूरे नीदरलैंड में बड़ी संख्या में कुत्ते थे यहाँ पर हर गलियों में कुत्ते नजर आते थे जिसके बाद एक कदम उठाया गया आज इस देश में एक भी स्ट्रे डॉग नहीं है और इस पीछे के लम्बी कहानी है. 

नीदरलैंड में नहीं स्ट्रीट डॉग 

ये कहानी है साल 1846 की इस समय पर यहाँ पर अपने अनुसार आपने आप को आमिर दिखाने के लिए कई नस्ल के कुत्ते पालते थे तो वहीं गरीब लोग  काम के लिए कुत्ते रखते थे. इस दौरान के समय ऐसा आया तब यहाँ पर कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा हो गयी और इस वजह से रेबीज फैल गया जिसके कारण यहाँ पर हर कुछ सालों में लाखों लोगों की मौत हो जाती. इसका असर व्यापर पर भी पड़ा. रेबीज फैलने की वजह से आसपास व्यापार के लिए आने वाले विदेशियों की भी मौत हो गयी और व्यापारी नीदरलैंड समेत उन देशों में कामकाज करने से बचने लगे जहाँ से रेबीज की वजह से मौत हो रही थी और रेबीज की वजह से कुत्तों को सड़कों पर छोड़ दिए गए थे. इस मुसीबत से निपटने के लिए देश में एक नियम लागू हुआ. 

डॉग टैक्स हुआ लागू 

यहाँ पर डॉग टैक्स (Dog tax) लागू किया गया ताकि पैसे खर्चकर कुत्तों की शुरू करें और  लेकिन लोगों ने कुत्तों हुआ इसका उल्टा. पैसे देने से बचने के लिए लोग कुत्तों को सड़कों पर छोड़ने लगे. इसके बाद साल 1864 में पहली एनिमल प्रोटेक्शन एजेंसी बनी, जिसका मुख्य काम डॉग्स की सही देखरेख को पक्का करना था.  द डच सोसायटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ एनिमल्स के बनने के बाद से बहुत कुछ बदलने लगा. ये संस्था लोगों को एनिमल राइट्स पर बताने लगी. साथ ही कुत्तों या किसी भी पशु से गलत व्यवहार पर मोटा जुर्माना लगने लगा.  

स्ट्रे डॉग्स को गोद लेने पर माफ हो जाता था माफ़ 

इसके लिए वहां पर एक प्रोग्राम लॉन्च हुआ, जिसका नाम था- CNVR यानी कलेक्ट, न्यूटर, वैक्सिनेट एंड रिटर्न. आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी और वैक्सिनेशन होने लगा और फिर उन्हें छोड़ दिया जाता. वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन एजेंसी का भी मानना है कि आवारा पशुओं की आबादी पर काबू पाने का यही सबसे सही और कारगर तरीका है लेकिन सड़क पर आवारा कुत्ते को खत्म करने के लिए म्युनिसिपेलिटी उन लोगों से भारी टैक्स लेने लगी जो दुकानों से कुत्ते खरीदते, जबकि स्ट्रे डॉग्स को गोद लेने पर टैक्स माफ हो जाता.ऐसे में लोग सड़कों से कुत्ते अडॉप्ट करने लगे और धीरे-धीरे मामला कंट्रोल में आ गया. साथ ही एक पुलिस फोर्स भी बनी, जो पूरे देश में न केवल कुत्तों, बल्कि हर तरह के पशु-पक्षियों के खिलाफ हिंसा पर नजर रखती है. ऐसा करने वालों के लिए सजा और जुर्माने दोनों का नियम है और इसी फैसले से यहाँ पर जहाँ आवारा कुत्ते खत्म हो गए तो वहीं इसका फायदा यहाँ की सरकार को भी हुआ. 

Pradeep Bandooni
Pradeep Bandooni
प्रदीप एक समर्पित लेखक हैं, जो किसी भी विषय पर लिखना पसंद करते हैं। प्रदीप पॉलिटिक्स, हेल्थ, एंटरटेनमेंट, विदेश, राज्य की खबरों, पर एक समान पकड़ रखते हैं। यह नेड्रिक न्यूज में बतौर लेखक काम करते हैं।

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