भारत को एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित किए जाने की मांग उठाई गई है। इस बार प्रयागराज के माघ मेले में धर्म संसद में संतों ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की गई। साथ ही साथ ये भी कहा गया कि सुभाष चंद्र बोस को देश का पहला प्रधानमंत्री घोषित किया जाए। साथ ही ये भी कहा गया कि धर्म परिवर्तन के लिए मौत की सजा दी जाए और इसे देशद्रोह के रूप में माना जाना चाहिए।
संतों ने कहा कि ‘देशभक्त’ मुसलमान परिवार का हिस्सा हैं। उनके ‘घर वापसी अभियान को तेज किया जाएगा। वहीं इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि, सुमेरु पीठाधीश्वर, जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार तो देश को हिंदू राष्ट्र नहीं घोषित कर सकती। लेकिन सभी हिंदुओं को लिखकर देश को हिंदू राष्ट्र करार कर देना चाहिए। इससे सरकार देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए मजबूर होगी।
जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि राष्ट्र का कोई पिता नहीं हो सकता। राष्ट्र का पुत्र हो सकता है, लेकिन राष्ट्रपिता नहीं। उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस थे। उनके नेतृत्व को स्वीकार किया जाना चाहिए। बोस को देश का पहला प्रधानमंत्री घोषित किया जाना चाहिए। वो आगे बोले कि इतिहासकारों ने देश के लोगों के सामने गलत तथ्य पेश किए, जिससे आज की पीढ़ी भ्रमित है। इस्लामिक जिहाद मानवता और दुनिया के लिए बड़ा खतरा है, जिसको कुचलने के लिए चीन की नीति अपनानी पड़ेगी। चीन की तरह प्रतिबंध लगाकर इसको रोका जा सकता है।
आगे उन्होंने ये भी मांग की कि हिंदू मठों और मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण को समाप्त करने की जरूरत है। सरकार अगर मठों और मंदिरों का अधिग्रहण कर रही है, तो मस्जिदों-चर्चों का भी अधिग्रहण किया जाना चाहिए।