धर्मांतरित दलितों के लिए गठित हुआ आयोग
केंद्र सरकार (Central Government) ने धर्म परिवर्तन (Converts Scheduled Castes) करने वाले दलितों के लिए राष्ट्रीय आयोग (National Commission) की स्थापना को लेकर पैनल गठित करने की बात तो बहुत पहले कही थी, पर अब केंद्र सरकार ने पूर्व सीजेआई (CJI) के जी बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग नियुक्त कर दी है। ये आयोग उन मामले की जांच करेगा जिसमे कुछ लोग यह दावा करते है की वो पहले अनुसूचित जाती में आते थे पर उन्होंने किसी कारण वश अपना धर्म परिवर्तन करा लिया था। वो उस धर्म में चले गए थे जिन्हे राष्ट्रपति ने अपने आदेश में जगह नहीं दी थी।
के जी बालकृष्णन करेंगे इसकी अध्यक्षता
गुरुवार, 6 अक्टूबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Social Justice and Empowerment ministry) द्वारा जारी अधिसूचना में केंद्र ने तीन सदस्य टीम का गठन किया है। इस टीम में के जी बालकृष्णन के अलावा सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ रविंदर कुमार जैन और यूजीसी सदस्य प्रोफेसर सुषमा यादव भी शामिल हैं।
बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली यह आयोग संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत समय-समय पर जारी राष्ट्रपति के आदेशों के मुताबिक मामले की जांच करेगा। केंद्र सरकार ने खासकर अनुसूचित जातियों, या दलितों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का जायजा लेने के लिए इस राष्ट्रीय आयोग का गठन किया है, जो हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म के अलावा अन्य धर्मों में परिवर्तित हो गए हैं।
वर्तमान में बौद्ध और सिख धर्म में परिवर्तित दलितों को मिल रहा आरक्षण
वर्तमान में आरक्षण का लाभ सिर्फ बौद्ध और सिख धर्म में परिवर्तित दलितों को ही मिल रहा है। ईसाई या इस्लाम धर्म अपनाने वाले दलितों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पड़ी हुई हैं। 1956 और 1990 के संसोधन के बाद बौद्ध और सिख धर्म में परिवर्तित होने वाले दलितों के लिए आरक्षण की सुविधा रखी गई थी, पर ईसाई और इस्लाम धर्म में परिवर्तित दलितों को यह सुविधा नहीं दी गई थी। इस कारण कई याचिकाओं में यह मांग की गई है की ईसाई और इस्लाम धर्म में परिवर्तित दलितों को भी इस आरक्षण की सुविधा से जोड़ा जाना चाहिए।
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