मामला 2013 के गुरुग्राम का है यहां Video को तोड़मरोड़ कर नाबालिग का MMS बनाकर झूठी खबर दिखा कर आशाराम बापू, नाबालिग बच्ची व उन के परिवार को बदनाम करने के मामले में पोक्सो एक्ट के अधीन 8 पत्रकारों के खिलाफ अदालत द्वारा सम्मन जारी हुए है.
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गौरतलब है कि इन सभी के खिलाफ 2015 में गुरुग्राम पालम पुर थाने में एफआईआर नम्बर 147/2015 पोक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act.2012) के अंतर्गत धारा 469 471 180 120B भारतीय दंड सहिता के तहत 67 B आईटी एक्ट 13 पोक्सो एक्ट के अधीन दर्ज की गई थी. एक बार इस मामले ने टोल पकड़ ली है क्योंकि इसमें शामिल एक पत्रकार सय्यद सुहैल अभी तक कोर्ट में पेश तक नहीं हुए हैं.
इन पत्रकारों को भेजा गया समन
दीपक चौरसिया न्यूज़ नेशन चैनल एडिटर, चित्रा त्रिपाठी सीनियर एंकर आज तक चैनल, अजित अंजुम स्वंत्रत पत्रकार (youtube, पहले न्यूज़ 24 में एडिटर), राशिद, इंडिया न्यूज सीनियर एंकर, सैयद सोहेल, रिपब्लिक भारत चैनल, अभिनव राज प्रोड्यूसर, ललित सिंह सीनियर रिपोर्टर, राजस्थान जोधपुर, सुनील दत्त, राजस्थान चैनल के खिलाफ एक मामले में पुलिस द्वारा पेश आरोप पत्र को संज्ञान लेकर पॉक्सो कोर्ट ने ये सम्मान जारी किया गया था.
बहाने बताकर पेशी से बचते रहे एंकर्स
इस मामले में 8 में से 6 आरोपी अजीत अंजुम,सैयद सोहेल, अभिनव राज,राशिद,सुनील दत, ललित सिंह त्रिपाठी,अदालत में पेश हुए. लेकिन आरोपी दीपक चौरसिया ने बीमारी का हवाला देकर तथा चित्रा त्रिपाठी ने विदेश यात्रा का हवाला देकर न्यायालय में पेश नही हुए. केस की पैरवी कर रहे जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त दोनों आरोपी के न्यायालय में पेश नही होने पर पीड़िता पक्ष के वकील श्री धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने पूर जोर विरोध जताया और कहा की आरोपी जानबूझकर पेशी से बचने के लिए बहाने बना रहे जो स्वीकार नही किया जाना चाहिए.
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चित्रा त्रिपाठी जो निजी मामले को लेकर कोर्ट को बिना कारण बताए विदेश गई और न्यायालय को अवगत कराना भी उचित नही समझा इसलिए पेशी से छूट नही दिए जाने का आग्रह किया. जिसपर न्यायालय ने आरोपी दीपक चौरसिया के वकील की तरफ से मेडिकल दस्तावेज के आधार पर इस बार न्यायालय ने हाजिरी से छूट दी,वहीं चित्रा त्रिपाठी को भी पेशी से छूट दी गई . लेकिन उनके वकील को सख्त हिदायत देकर कहा की अपने निजी मामलो को लेकर भविष्य में देश से बाहर जाने पर न्यायालय को अवगत कराना और परमिशन लेना अनिवार्य होगा.
क्या था पूरा मामला?
पालम विहार थाना क्षेत्र में रहने वाले सतीश कुमार (बदला हुआ नाम) के घर पर वर्ष 2013 की 2 जुलाई को आसाराम आए थे. इस दौरान उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों के साथ उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था. इस दौरान सतीश के घर हुए इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की गई थी.
आसाराम को बदनाम करने के लिए कई टीवी चैनलों और पत्रकारों ने इसी वीडियो को तोड़मरोड़ कर पेश किया, वीडियो एडिट कर ऐसे दिखाई गई कि आसाराम बच्ची लड़की से अश्लील हरकत कर रहे है. वीडियो में यह दिखाने की कोशिश की गई कि बच्ची के परिवार के घर अश्लीलता का अड्डा है. जो कि बाद में पुलिस जांच में साबित हुआ कि टीवी चैनलों पर दिखाई गई वीडियो फर्जी व फेक थी.
पीड़ित परिजनों का आरोप
मामले को लेकर परिजनों का आरोप था कि उनकी और पूरे परिवार की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मीडिया ने वीडियो को तोड़ मरोड़ कर अभद्र व अश्लील तरीके से प्रसारित किया. इससे परिवार और मासूम बच्ची को सामाजिक व मानसिक कष्ट झेलना पड़ा. इसी के बाद परिजनों ने पालम विहार थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करने में कतरा रही थी.
जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर का क्या कहना?
पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयासों में जुटे जन- जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार व अन्य हिन्दू संगठनों का कहना है कि इस केस में कोई उम्मीद की किरण नही दिख रही थी, क्योंकि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के उद्देश्य से दो बार केस को बंद कर अनट्रेस रिपोर्ट फाइल कर दी थी. बाद में जब इस मामले को चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में ले जाया गया तो उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कोर्ट की निगरानी के चलते पुलिस को कार्यवाही करने के लिए बाध्य होना पड़ा.
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