कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद अब उन्हें 12 तुगलक लेन (12 Tughlaq Lane) का बंगला खाली कराए जाने नोटिस मिला है जिसके बाद अब उन्हें सरकार की तरफ से दिया गया बंगला खाली करना होगा. दरअसल, 2004 में अमेठी से सांसद चुने जाने के बाद राहुल गांधी को मनमोहन सरकार ने 12 तुगलक लेन का बंगला आवंटित किया था लेकिन हाल ही में उन्हें मानहानि केस में 2 साल की सजा सुनाई गयी है और इस वजह से उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गयी. जिसके बाद राहुल को मिला बंगला उनसे छीन लिया जाएगा और इस वजह से लुटियंस दिल्ली का सरकारी बंगला इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि ये पहली बार नहीं है जब किसी नेता से लुटियंस दिल्ली का सरकारी बंगला खाली करवाया गया हो इससे पहले भी कई नेताओं का बंगला उनसे छीन लिया गया.
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पूर्व पीएम को सड़क पर रखना पड़ा था सामान
सबसे पहले कार्यवाहक प्रधानमंत्री का जिम्मा संभाल चुके गुलजारी लाल नंदा (Prime Minister Gulzari Lal Nanda) से उनका बंगला छीना गया था और इस वजह से उन्हें अपना सामान सड़क पर रखना पड़ा. दरअसल, 1977 में कांग्रेस पार्टी ने गुलजारी लाल नंदा को टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने 1978 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद नंदा दिल्ली में ही एक किराए के घर में रहने लगे. एक वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन शर्मा की रिपोर्ट के अनुसार, मनमोहन शर्मा को खबर मिली कि एक नेता को मकान मालिक ने किराया नहीं देने पर घर से निकाल दिया है, जिसके बाद वे सामान के साथ सड़क पर ही डेरा जमाए हुए हैं. जिसके बाद वो दक्षिणी दिल्ली के उस कॉलोनी में गये तो देखा कि नंदा साहब सड़क पर बैठकर चाय पी रहे थे. वहीं जब ये खबर देश समेत कई बड़े अंग्रेजी अखबारों में छापी तब आनन-फानन में नरसिम्हा राव की सरकार ने उन्हें एक आवासीय परिसर में रहने का ऑफर दिया, लेकिन गुलजारी लाल नंदा ने इनकार कर दिया और इस घटना के बाद गुलजारी लाल नंदा दिल्ली छोड़कर अपनी बेटी के पास चले गए.
किराए के घर में रहने को मजबूर हुई थीं कृपलानी
इसी के साथ उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और लोकसभा की सांसद रहीं सुचेता कृपलानी (Sucheta Kripalani) का भी किराए के घर का सहारा लेना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1971 के चुनाव में सुचेता और उनके पति जेपी कृपलानी दोनों चुनाव हार गए. इसके बाद ग्रीन पार्क में दोनों एक किराए के घर में रहने लगे.
पासवान के परिवार को भी खाली करना पड़ा बंगला
बंगला छीन जाने का मामला रामविलास पासवान () के परिवार के साथ भी हुआ. रामविलास पासवान को 1990 में लुटियंस दिल्ली का 12 जनपथ बंगला अलॉट किया गया था. पासवान उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे. इसके बाद 2022 तक हर सरकार में उनके नाम पर यह बंगला अलॉट रहा. यह बंगला टाइप-8 का था, जो काफी बड़ा माना जाता है. 2009 में जब पासवान लोकसभा का चुनाव हार गए तो बंगला खाली करने की अटकलें शुरू हो गई, लेकिन लालू यादव ने अपने कोटे से उन्हें राज्यसभा भेज दिया और बंगला बच गया. हालांकि, 2020 में उनके निधन के बाद केंद्र ने बंगला खाली करने का नोटिस दे दिया और मार्च 2022 में पासवान परिवार को यह बंगला खाली करना पड़ा.
शरद यादव को भी खाली करना पड़ा था बंगला
इसी के साथ राज्यसभा की सदस्यता जाने के बाद जून 2022 में समाजवादी नेता शरद यादव (Sharad yadav) को भी दिल्ली स्थित 7 तुगलक लेन का बंगला खाली करना पड़ा था. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में शरद यादव को 7 तुगलक लेन वाला बंगला आवंटित हुआ था. शरद यादव करीब 6 बार लोकसभा के सांसद और एक बार राज्यसभा के सांसद रहे लेकिन 2017 में जेडीयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए शरद यादव की सदस्यता रद्द करवा दी थी. इसके बाद हाईकोर्ट में उनका केस चलता रहा और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बंगला खाली करने का निर्देश दिया था. वहीं बंगला खाली करते वक्त शरद यादव ने कहा था कि यह आवास देश के कई आंदोलन का केंद्र रहा है.
प्रियंका से भी खाली करवाया गया था 35 लोधी एस्टेट
इसी बीच साल 2020 में प्रियंका गांधी (priyanka gandhi) को लुटियंस दिल्ली के 35 लोधी एस्टेट वाला बंगला खाली करना पड़ा था. प्रियंका गांधी को 21 फरवरी 1997 में लोधी एस्टेट स्थित बंगला अलॉट हुआ था. उस वक्त उन्हें एसपीजी सुरक्षा मुहैया कराई गई थी. प्रियंका बंगला खाली करने के बाद एक निजी आवास में अभी रह रही हैं.
सरकारी बंगले को लेकर मोदी सरकार ने बनाया है नियम
वहीं जब आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के बंगले को लेकर विवाद बढ़ा तो गृह-मंत्रालय ने सुरक्षा का हवाला दिया था. मंत्रालय का कहना था सुरक्षा कारणों से उनका बंगला नहीं खाली कराया गया है. इसका मतलब है कि केंद्र सरकार किसी को भी बंगला आवंटित कर सकती. इसी बीच साल 2019 में मोदी सरकार (Modi Goverment ) ने बंगला खाली कराने को लेकर एक सख्त नियम लागू किया था और इस कानून के तहत नोटिस मिलने के बाद अगर 8 महीने तक कोई नेता बंगला खाली नहीं करते हैं, तो उनसे 10 लाख रुपए का जुर्माना लिया जा सकता है.