जोशीमठ के बाद ये जगह भी हैं तबाही के करीब
अपना घर बनते हुए देखना जितना सुकून देता है उतना ही दर्द उसके टूटने का होता है. आज घर टूटने की बात इसलिए क्योंकि जोशीमठ (Joshimath sinking) तबाह होने के कगार पर है दिन-प्रतिदिन यहां के हालात खराब हो रहे हैं. सड़के फट रही है घरों में बड़ी-बड़ी दरारे आ गयी है जिसकी वजह से लोगों को अब अपना बसा-बसाया घर छोड़ना होगा. वो घर जिसमें वो सालों से रहे और अपने खून-पसीने से इसे बनाया लेकिन अब घर टूटने वाला है. क्योंकि जोशीमठ टूट रहा है.
क्या तबाह होगा जोशीमठ?
कई दिनों से उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना की चर्चा जोरो पर है और इस घटना की वजह से यहां के लोगों में ही नहीं देश में भी हाहाकार मचा हुआ है. आलम ये हैं कि अब क्या है होगा? जगह-जगह जमीन फट रही है, घरों-होटलों में बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं जिसके बाद मंजर ये है कि यहाँ के लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ेगा. जहां जोशीमठ तबाह होने वाला है वहीं ऐसे हालात कर्णप्रयाग (Karnprayag), रुद्रप्रयाग (Rudraprayag), नैनीताल (Nainital), चमोली (Chamoli), उत्तरकाशी (Uttarkashi) में भी हो गए हैं. अभी तक ऐसा लग रहा था कि जमीन धंसने की शुरुआत जोशीमठ से हुई है लेकिन अब दावा किया जा रहा है कि भू-धंसाव की घटनाओं की शुरुआत महीनों से पहले कहीं और से हुई थी.
जोशीमठ से पहले यहाँ पर हुई थी जमीन धंसने की शुरुआत
जोशीमठ से करीब 8 किमी. ऊपर जाने पर 7000 फुट की ऊंचाई पर सुनील नाम (sunil village) का गांव है. सबसे पहले इसी गांव में जमीन धंसने की शुरुआत हुई थी. जोशीमठ की घटनाओं से महीनों पहले यहां के घरों की दीवारों में दरारें देखी गई थीं और पिछले 8 दिनों में ये दरारें इतनी बड़ी हो गईं कि घर के घर टूट रहे हैं. पहाड़ की ढलान पर बसा यह गांव खत्म होने के कगार पर है. वहीं इसके बाद जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं के चलते अब तक 723 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं.
नैनीताल और उत्तरकाशी पर भी बना है खतरा
वहीं अब ऐसी ही घटना नैनीताल (Nainital) और उत्तरकाशी (Uttarkashi) में भी हो सकती है. नैनीताल के जमीन में समाने के खतरे के पीछे भी कंस्ट्रक्शन वर्क को जिम्मेदार माना गया स्टडी के मुताबिक नैनीताल के साथ-साथ उत्तरकाशी और चंपावत (Champawat) में भी हालात तेजी से खराब हो रहे हैं.
भूकंप की वजह से भी आ सकती है तबाही
इसी के साथ भूकंप की गंभीरता के आधार पर रुद्रप्रयाग (Rudraprayag), बागेश्वर(Bageshwar), पिथौरागढ़ (Pithoragarh), चमोली और उत्तरकाशी जैसे जगहों पर भी खतरा बना हुआ है. इसी के साथ कर्णप्रयाग (karnaprayag) जो जोशीमठ से दूर है लेकिन जोशीमठ जाने के रास्ते में ही पड़ता है, लेकिन कर्णप्रयाग में भी ये समस्या दिखाई दे रही है। पूरा का पूरा उत्तराखंड ही जमीन के धंसने-दरकने की आशंकाओं के बीच बना-बसा है, अगर ध्यान न दिया जाए. तो इसका परिणाम कुछ जोशीमठ जैसा हो सकता है.
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