जोशीमठ की तबाही पर NTPC ने दी सफाई
उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Joshimath) तबाह होने के कगार पर है. यहाँ की सड़कें फट रही है लोगों के घरों में दरारे (Joshimath Joshimath) आ रही है जिसकी वजह से यहाँ के लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ रहा है. वहीं इस आपदा की आशंका के बीच सरकारी स्वामित्व वाली बिजली निर्माता कंपनी एनटीपीसी (National Thermal Power Corporation) का इस आपदा पर एक बयान आया है. दरअसल, यहां पर बन रही सरकारी स्वामित्व वाली बिजली निर्माता कंपनी एनटीपीसी (National Thermal Power Corporation) टनल को इस आपदा को कारण बताया जा रहा है जिसके बाद एनटीपीसी (NTPC) ने इस मामले पर सफाई दी है.
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क्या है NTPC का प्रोजेक्ट
जानकारी के अनुसार, एनटीपीसी (National Thermal Power Corporation) का यह प्रोजेक्ट तपोवन से लेकर विष्णुगाड़ तक 12 किलोमीटर लंबी टनल (tunnel) का है. तपोवन एक सिरा है और विष्णुगाड़ दूसरा। बीच में ऊंची पहाड़ी के ढलान पर जोशीमठ बसा है। एनटीपीसी की योजना तपोवन में बह रही सहायक नदी धौलीगंगा के पानी से बिजली बनाने की है। ये पानी तपोवन से टनल के जरिये एनटीपीसी के पावर हाउस सेलंग तक आएगा। बिजली बनाने के बाद इस पानी को विष्णुगाड़ स्ट्रीम के रास्ते अलकनंदा नदी (Alaknanda River) में छोड़ दिया जाएगा।
वहीं एनटीपीसी की टनल वैज्ञानिक भाषा में ‘इन सीटू रॉक’ (in situ rock) को काटकर बनाई जा रही है। इन सीटू रॉक उस चट्टान को कहा जाता है जो सदियों से यथावत है। यह भूस्खलन के मलबे यानी पत्थरों, चट्टानों या मिट्टी से बना कोई पहाड़ नहीं जैसा कि जोशीमठ का है। मिश्रा कमेटी 1976 की अपनी रिपोर्ट में कह चुकी है कि जोशीमठ इन सीटू चट्टान पर नहीं बल्कि ये भूस्खलन के मलबे से बनी चट्टान पर बसा है।
NTPC ने दी सफाई
वहीं एनटीपीसी ने इस प्रोजेक्ट को लेकर सफाई देते हुए कहा है कि उसकी तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना की सुरंग (Tapovan Vishnugarh Hydroelectric Project Tunnel ) का जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन से कोई लेना-देना नहीं है. एनटीपीसी द्वारा बनाई गई सुरंग जोशीमठ कस्बे के नीचे से नहीं गुजर रही.’ वहीं कंपनी के मुताबिक इस सुरंग का निर्माण सुरंग बोरिंग मशीन (tunnel boring machine) से किया गया है और धौलीगंगा नदी पर बनाई जा रही इस परियोजना पर इस समय कंपनी कोई विस्फोट कार्य नहीं कर रही. बयान के अनुसार, ‘‘एनटीपीसी पूरी जिम्मेदारी के साथ सूचित करना चाहती है कि सुरंग का जोशीमठ कस्बे में हो रहे भूस्खलन (Landslides Joshimath ) से कोई लेना-देना नहीं है. इस तरह की विषम परिस्थिति में कंपनी जोशीमठ की जनता के साथ अपनी सहानुभूति और संवेदना प्रकट करती है.’’
एनटीपीसी ने नक्शा जारी करके दी जानकारी
एनटीपीसी ने नक्शा जारी कर इस बात की जानकारी दी है कि ये टनल जोशीमठ से बहुत दूर बन रही है। शहर की सबसे करीबी सीमा से भी नापे तो टनल शहर से कोई एक किमी. दूर है। जोशीमठ शहर का आधा हिस्सा भू-धंसाव की चपेट में है। और ये प्रभावित हिस्सा तो टनल से और दो-ढाई किमी दूर पड़ता है। इसी के साथ NTPC ने ये भी कहा है कि टनल को बनाने के साथ ही उसे मजबूत कंक्रीट से सुरक्षित किया जाता है ताकि एक बूंद पानी लीक न हो। वहीं एनटीपीसी ने ये भी कहा है कि इस परियोजना (Project) को शुरू हुए अभी बीस साल भी पूरे नहीं हुए जबकि जोशीमठ में भू धंसाव के संकेत एडविन टी एटकिंग ने अपने हिमालयन गजेटियर में 1886 ई. में ही दर्ज कर लिए थे।
परियोजना के खिलाफ लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन
वहीं जोशीमठ पर आई इस आपदा का कारण स्थानीय लोग एनटीपीसी की सुरंग (NTPC tunnel) को बता रहे हैं. जिसके खिलाफ जोशीमठ में कई विरोध प्रदर्शन (protest) हुए हैं. जोशीमठ शहर के पास ही तपोवन की ओर से आठ किलोमीटर लंबी सुरंग बोरिंग मशीनों से खोदी जा चुकी है.
बिजली परियोजना पर पिछले एक दशक से अधिक समय से काम चल रहा है. जोशीमठ में संकट के लिए सुरंग जिम्मेदार होने की बात से एनटीपीसी पूरी तरह से इनकार कर रहा है लेकिन स्थानीय लोग इससे सहमत नहीं हैं.
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