सोमवार को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सांसद अफजाल अंसारी लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दी गयी जिसके बाद वो देश की संसद में नजर नहीं आएंगे. दरअसल, अफजाल अंसारी को उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने अपहरण एवं हत्या के एक मामले में दोषी करार दिया था और चार साल के कारावास की सजा सुनाई है जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने संसद की उनकी सदस्यता रद्द करने को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी है.
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जानिए किस मामले में हुई सजा
जानकारी के अनुसार, साल 2005 में तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानन्द राय समेत 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी. मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के बसनिया चट्टी पर इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. मामले में 2007 में गैंगेस्टर एक्ट के तहत अफजाल अंसारी, उनके भाई माफिया डॉन मुख्तार मुख्तार अंसारी और बहनोई एजाजुल हक पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. वहीँ इस मामले पर करवाई करते हुए गाजीपुर की विशेष सांसद-विधायक अदालत के अपर सत्र न्यायाधीश ने गैंगस्टर अधिनियम के एक मामले में 29 अप्रैल को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद अफजाल अंसारी को चार साल कैद की सजा सुनाई थी और उनपर एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया था साथ ही उनके भाई एवं पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के 14 साल पुराने एक मामले में 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी.
लोकसभा की सदस्यता हुई रद्द
लोकसभा सचिवालय द्वारा एक मई को उन्हें अयोग्य घोषित करने को लेकर जारी अधिसूचना के अनुसार, ‘उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एमपी-एमएलए अदालत द्वारा विशेष सुनवाई 980/2012 में दोषी ठहराए जाने और सजा देने के कारण उत्तर प्रदेश के गाजीपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अफजाल अंसारी को भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ई ) के प्रावधानों एवं जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 8 के तहत लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाता है.’ अधिसूचना के अनुसार, उन्हें (अफजाल) अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाने की तारीख यानी कि 29 अप्रैल 2023 से लोक सभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया है. वहीं अफजाल अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर उत्तर प्रदेश की गाजीपुर सीट से 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था. समझा जाता है कि अंसारी आगामी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे क्योंकि उन्हें अयोग्य ठहराये जाने की अवधि 10 वर्ष है.
ऐसा शुरू हुआ राजनीति करियर
अफजाल अंसारी (70) का जन्म 14 अगस्त 1953 में गाजीपुर जिले के युसुफपुर-मोहम्मदाबाद टाउन में हुआ था. उनके पिता सुभानुल्लाह अंसारी और दादा मुख्तार अहमद अंसारी, दोनों राजनीति के क्षेत्र में रहे थे अंसारी बंधुओं का परिवार (दादा और पिता) शुरुआत में कांग्रेस से जुड़ा था. लेकिन ये तीनों भाई पहले सीपीआई, समाजवादी पार्टी और बाद में बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़े और विधायक और सांसद बने.
पहली बार CPI के टिकट पर लड़ा चुनाव
अफजाल अंसारी ने पहली बार 1985 में CPI के टिकट पर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के अभय नारायण को हराकर विधायक बने थे. इसके बाद से वो लगातार 2002 तक मोहम्मदाबाद सीट से विधायक चुने गये. समाजवादी पार्टी से मतभेद के चलते अफजाल अंसारी ने बाद में SP छोड़, अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनायी और बाद में (2017) उसका विलय BSP में कर दिया. अफजाल के भाई मुख्तार और उनका बेटा अब्बास भी सांसद और विधायक रह चुके हैं.
97 संगीन धाराओं के तहत दर्ज है केस
वहीं 2004 में अफजाल समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने. उन्होंने उस वक्त बीजेपी नेता और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को हराया था. 2019 में भी अफजाल ने मनोज सिन्हा को हराया लेकिन इस बार BSP के टिकट पर चुनाव लड़ा था. वहीं अपनी राजनीती सफर के दौरान अंसारी परिवार पर करीब 97 संगीन धाराओं में केस दर्ज हैं, जिसके तहत FIR हुई है साथ ही मुख्तार पर हत्या के 8 मुकदमों सहित कुल 61 केस दर्ज हैं.
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