अरे! इसकी नसों में तो खून बह रहा है…, दया, कुछ तो गड़बड़ है …! इन लाइन्स को सुनकर आपके मन जिस इंसान का नाम आयेगा वो 110 % CID शो के ACP प्रद्युम्न का होगा. क्योंकि ये डायलाग उनसे बेहतर तो कोई डिलीवर ही नहीं कर सकता. और भाई आए भी क्यों न जिस इंसान न अपनी जिन्दगी के 21 साल इस शो को दिए हों उसका नाम याद करने में या जुबान पर लाने में क्या ही परहेज? वैसे तो सारे कलाकार तमाम फ़िल्में और शोज करते हैं लेकिन उन्हें अगर कोई पॉपुलर बनाता है तो वो कोई एक फिल्म कोई एक किरदार जो फैन्स के दिलों में एक सुनहरी याद की तरह बस जाती है.
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ठीक वैसे ही शिवाजी सटम ने भी कई सारी फिल्मों में किरदार निभाया है लेकिन ये किरदार तो जैसे जीवन की पहचान ही बन गया. टीवी पर सख्त सीआईडी ऑफिसर दिखने वाले शिवाजी असल में बेहद नर्मदिल इंसान हैं. उनकी लव स्टोरी सुन आप भी चौंक जाएंगे कि उस जमाने में ऐसा भी होता था. शायद किसी ने सोचा होगा इतने गंभीर दिखने वाले एक्टर इतने लवेबल भी हो सकते हैं. शिवाजी आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनकी खूबसूरत पत्नी अरुणा साटम को गुजरे 23 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी वो उन्हें बेहद याद करते हैं.
कबड्डी में छत्रपति शिवाजी अवार्डी थी पत्नी
शिवाजी और उनकी पत्नी के लव स्टोरी बाकि फिल्मी सितारों से काफी अलग थी. एक नज़र से आप अगर देखेंगे तो आपको लगेगा कि ये ये दोनों लव बर्ड्स थे जिन्होंने बाद में लव मैरिज की. लेकिन ये उनकी लव मैरिज नहीं बल्कि पारंपरिक और सांस्कृतिक अरेंज मैरिज थी. उनकी पत्नी 70 के दशक में आगे की सोचं रखने वालों में से थी. वहीँ शिवाजी खुद एक पारंपरिक मराठी फैमिली से ताल्लुक रखते थे. ऐसे में तो आप कह ही नहीं सकते थे कि इनकी शादी एक अरेंज मैरिज है.
इसके बारे में बात करते हुए शिवाजी खुद कहते हैं कि ये रिश्ता आखिर जुड़ा कैसे? शिवाजी जी बताते हैं कि, उनके पिता एक जिमनास्ट थे, जो हेड ऑफ़ फैमिली यानि घर के मुखिया थे. वो रोज अखाड़े में जाकर कुश्ती किया करते थे मेरी बड़ी कजिन बहन वो एक अवार्डी एथलीट थीं. पिता एक प्रोग्रेसिव सोच वाले इंसान थे वो खुद मेरी बहन को अखाड़े ले जाया करते थे. उनका रिश्ता एक कमान फ्रेंड के जरिए आया. मैं उनको अच्छा लगा वो मझे अच्छी लगी.
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उनके बारे में बताते हुए शिवाजी कहते हैं कि– वो एक कबड्डी एथलीट थी कबड्डी टीम की कैप्टेन. उन्हें छत्रपति शिवाजी अवार्ड भी मिल चुका था. वो अपनी ल्फिए में सब कुछ कर रही थीं. लम्बा न सही 24 साल का तो साथ रहा हमारा.
इलाज के वक्त नाना पाटेकर और अरुणा इरानी ने संभाला
शिवाजी बताते हैं कि उनकी पत्नी का इलाज 7 साल तक चला. लेकिन इस इलाज के दौरान कई सारे फिल्मी सितारों ने भी मेरा पूरा साथ दिया था. उनके बारे में बताते हुए कहते हैं बहुत मुश्किल होता है लेकिन मुझे लगता है आपके अन्दर अचानक ही हिम्मत आ जाती है सब से लड़ने की. पहले हमारी जॉइंट फैमिली हुआ करती थी लेकिन उस वक्त मेरी बहन, भाई-भाभी, मेरी मां, हम सब अगल-बगल के फ्लैट्स में ही रहा करते थे. जरूरत होती थी तो आवाज लगा दिया करते थे. वो वक्त कैसे गुजरा मैं भी नहीं जानता. बच्चे बड़े हो रहे थे.
लेकिन उन्हें सिर्फ बड़ा नहीं करना था, उनकी परवरिश करनी थी, परिवार ने साथ दिया. मैं तो अपनी पत्नी, फिल्म और थियेटर में लगा होता था. जब मेरी पत्नी के साथ ये सब हादसा हुआ तब मैं गुलाम-ए-मुस्तफा की शूटिंग कर रहा था. इस फिल्म में नाना पाटेकर, अरुणा इरानी जी थे साथ में. ये लोग फैमिली नहीं थे, लेकिन उससे कम भी नहीं थे. उन तीन महीनों में इन लोगों ने मुझे बहुत संभाला.
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एक्टिंग के साथ डायरेक्ट और प्रोदुचे करते हैं फिल्में
वर्कफ्रंट की बात करें तो, अपने एक्टिंग करियर के दौरान शिवाजी साटम ‘नायक’, ‘वास्तव’, ‘गुलाम-ए-मुस्तफा’, ‘चाइना गेट’, ‘यशवंत’, ‘जिस देश में गंगा रहता है’, ‘हू तू तू’ और ‘सूर्यवंशम’ जैसी फिल्मों में नजर आ चुके हैं. इसके बाद साल 1998 में शिवाजी साटम सीआईडी से जुड़े और अपने दमदार अभिनय के दम पर दर्शकों को खूब एंटरटेन किया. एक्टिंग के अलावा शिवाजी फिल्में डायरेक्ट और प्रोड्यूस भी करते हैं.