
चीन की कुटिल नीतियों और
उसकी विकृत महत्वाकांक्षा से पूरी दुनिया परिचित है. कोरोना महामारी के बाद से ही
दुनिया के तमाम देश अब चीन (China) को देखना तक पसंद नहीं करते हैं. चीन को लेकर वैश्विक
महाशक्तियां एकजुट भी हैं. चीन की डेब्ट ट्रैप पॉलिसी (Debt trap Policy) भी छोटे देशों के जी का
जंजाल बनी हुई है. श्रीलंका, पाकिस्तान के साथ-साथ अफ्रीका के कई छोटे देश इसके
प्रत्यक्ष उदाहरण हैं कि कैसे चीन ने अपनी महत्वाकांक्षा के चक्कर में उन्हें
बर्बाद कर दिया.
इसके अलावा बॉर्डर पर
भारत के साथ नोक-झोंक हो या फिर अन्य देशों के शीर्ष नेता या अधिकारियों की
जासूसी, चीन हर मामले में टॉप पर है. लेकिन इन सब के बावजूद कांग्रेस पार्टी या
यूं कहें कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का चीन प्रेम खत्म होने का नाम ही नहीं लेता. उन्हें जब
भी मौका मिलता है, चीन के प्रति अपनी ‘वफादारी’ साबित करने में जुट जाते हैं! लेकिन इस बार तो मामला कुछ ऐसा हो गया है कि राहुल गांधी चीन को लेकर स्वयं
के बयानों में ही फंसते हुए नजर आ रहे हैं.
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दरअसल, राहुल गांधी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Rahul Gandhi in Cambridge University) में हाल ही में चीन की जमकर तारीफ की थी और उसे शांति का पक्षधर बताया था. उन्होंने कहा था कि चीन शांति का पक्षकार है. साथ ही उन्होंने चीन की रणनीति का जिक्र करते हुए उसके द्वारा किए गए विकास की बात की थी. राहुल गांधी ने चीन की तारीफ करते हुए कहा था कि चीन का इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे, एयरपोर्ट ये सबकुछ प्रकृति से जुड़ा हुआ है, चीन प्रकृति के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है. वहीं, अमेरिका खुद को प्रकृति से बड़ा मानता है. यही बताने के लिए काफी है कि चीन शांति में कितना ज्यादा दिलचस्पी रखता है.
राहुल गांधी ने कहा था कि चीन में सरकार एक कॉरपोरेशन की तरह काम करती है, वहां हर जानकारी पर सरकार पकड़ रखती है. इसी वजह से चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के मामले में इतना आगे
बढ़ गया है, जबकि भारत और अमेरिका में ऐसी स्थिति नहीं है.
ये तो रहा राहुल गांधी का 2 दिन पहले का बयान, लेकिन अब उनका हालिया बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कथित ‘शांति प्रिय’ चीन के भारत में घुसपैठ की बात कही है. लंदन के हाउंस्लो में रविवार को 1500 प्रवासी भारतीयों के बीच राहुल गांधी ने कहा, इंडिया को चीन से सतर्क रहने की जरूरत है. वह बॉर्डर पर बहुत ज्यादा एक्टिव और एग्रेसिव है. उन्होंने मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि विपक्ष को संसद में चीनी सैनिकों की भारत में घुसपैठ का मुद्दा उठाने की इजाजत नहीं है.
आपको यह थोड़ा अजीब नहीं लग रहा है? अजीब लग ही रहा होगा, क्योंकि जो नेता 2 दिन पहले ही चीन की जमकर तारीफ कर रहा था, उसे शांति प्रिय देश बता रहा था- 2 दिन बाद ही अपना चोगा बदलते हुए ‘चीनी घुसपैठ’ तक पहुंच गया. अब राहुल गांधी का एकाएक ऐसा हृदय परिवर्तन क्यों हुआ और कैसे हुआ, यह तो केवल राहुल गांधी ही बता सकते हैं लेकिन चीन को लेकर उनकी दोहरी या तिहरी (आप जो कहे) मानसिकता अब लोगों के सामने आ गई है. लोग तो सोशल मीडिया पर 'राजीव गांधी फाउंडेशन में चीनी डोनेशन' की बातें भी करने लगे हैं. हालांकि, सच्चाई यही है कि चीन किसी का सगा नहीं है. चीन से अधिक खतरनाक, चीन से अधिक कुटिल, चीन से अधिक महत्वाकांक्षी, मौजूदा समय में कोई भी देश नहीं है. चीन अपने लाभ के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और कई बार उसने ऐसा कर भी दिखाया है. इसके बावजूद भारतीय नेताओं के मुंह से चीन के प्रति जो ‘रस’ टपकता है, वह चीन से भी अधिक खतरनाक है!
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