जानिए क्या है पॉलीग्राफ टेस्ट और क्यों इसे नार्को टेस्ट से पहले करवाया जाता है

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जानिए नार्को टेस्ट से पहले क्यों करवाया जाता है पॉलीग्राफ टेस्ट ?

कातिल या अपराधी से अपराध को लेकर सच बुलवाने के लिए या अपराध कबूल करने के बाद उसे इनकार करने के मामले में नार्को टेस्ट (Narco Test) करवाया जाता है. लेकिन इस नार्को टेस्ट (Narco Test) से पहले पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाता है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि पॉलीग्राफ टेस्ट (polygraph test) क्या होता है और नार्को टेस्ट से पहले क्यों इस टेस्ट को करवाया जाता है. 

Also Read- श्रद्धा हत्याकांड : कोर्ट के कहने पर होगा आफताब का नार्को टेस्ट, पूछे जाएंगे ये सवाल.

क्या है पॉलीग्राफ टेस्ट?

नार्को टेस्ट होने से पहले होने वाले इस पॉलीग्राफ टेस्ट को लाई डिटेक्टर टेस्ट (lie detector test) कह सकते हैं. इस टेस्ट में मशीन के जरिये शख्स का फिजिकल और मेंटल एक्टिविटी (activity) को मापा जाता है. इस टेस्ट में अपराधी से उस घटना से जुड़े कुछ सवाल पूछे जाते हैं । वहीँ इन सवालों के जवाबों में के दौरान साइकोलॉजिस्ट (psychologist) उसकी पल्स रेट, हार्ट बीट, ब्लड प्रेशर आदि का ग्राफ की मदद से आकलन करते हैं। अगर कोई शख्स झूठ बोलता है तो साइकोलॉजिस्ट उन ग्राफों के जरिए इसे आसानी से समझ लेते हैं। 

कैसे होता है पॉलीग्राफ टेस्ट?

  • पहले आरोपी के सीने पर एक बेल्ट बांधी जाती है, जिसे न्यूमोग्राफ ट्यूब (Pneumograph Tube) कहते हैं। इससे उसकी हार्ट बीट (heart beat) मापी जाती है। 
  • इसके बाद शरीर के अलग-अलग अंगों में तार जोड़े जाते हैं, जिन्हें मशीन से कनेक्ट किया जाता है। 
  • इसी के साथ उंगलियों पर लोमब्रोसो ग्लव्स (Lombroso Gloves) बांधे जाते हैं। साथ ही बाजु पर पल्स कफ (Pulse Cuff) बांधते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर मॉनिटर किया जाता है। 
  •  इसके बाद आरोपी से जो भी सवाल पूछा जाता है उसके जवाब देते समय   हार्ट बीट, पल्स रेट, उंगलियों की मूवमेंट आदि को स्क्रीन के जरिए मॉनिटरिंग किया जाता है. 

इस वजह से नार्को टेस्ट से पहले किया जाता है पॉलीग्राफ टेस्ट?

नार्को टेस्ट थोड़ा रिस्की होता है। इस टेस्ट में इंसान को इंजेक्शन के जरिए जो दवाई दी जाती है और जिसके कारण  इंसान लंबी बेहोशी में चला जाता है। ऐसे में नार्को से पहले पॉलीग्राफ टेस्ट ज्यादा सुरक्षित है। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नार्को टेस्ट से पहले आरोपी की फिजिकल, इमोशनल और साइकोलॉजिकल कंडीशन जानने के लिए भी पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जाता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट का आविष्कार?

पॉलीग्राफ टेस्ट को 1921 में बनाया गया। इसका आविष्कार अमेरिका के पुलिस कर्मचारी और फिजियोलॉरिस्ट जॉन ऑगस्टस लार्सन ने की थी। 1924 से पुलिस पूछताछ में लगातार इसका इस्तेमाल होता आ रहा है। 

इन केसों में हुआ है पॉलीग्राफ टेस्ट?

2008 में हुए आरुषि हत्याकांड में तलवार दंपति का पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ था। इसके अलावा चंडीगढ़ के नेशनल शूटर सिप्पी मर्डर केस में भी कल्याणी का पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया था। सुशांत सिंह राजपूत केस में भी रिया चक्रवर्ती का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए कहा गया था। वहीं अब दिल्ली के श्रद्धा मर्डर केस में आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट से पहले पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जाएगा। 

आपको बता दें, श्रद्धा हत्याकांड का मुख्य आरोपी आफताब अमीन पूनावाला ने अपनी प्रेमिका के 35 टुकड़े कर दिए और इसके बाद उसके शव के टुकड़ों को  जंगल में फेक दिया. पूछताछ के दौरान कई बार अपने बयान बदले हैं जिसके बाद आफताब नार्को टेस्ट किया जाएगा। वहीं नार्को टेस्ट से पहले पुलिस ने आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए कोर्ट से इजाजत मांगी है। 

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