Hit Premanand ji Pravachan – वासना जिसका अर्थ है किसी को पाने की इच्छा आजकल के समय जहाँ लोग आए दिन हर कोई नया शख्स पसंद कर लेते हैं और इस प्यार का नाम देते हैं तो ये प्यार नहीं है ये वासना है. हर दिन प्यार होना मतलब उस शख्स को सिर्फ शरीरों से प्यार हैं. वहीं इस वासना को लेकर प्रेमानंद जी ने एक प्रेरणादायक सन्देश दिया है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इसी सन्देश के बारे में बताने जा रहे हैं.
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वासना और शरीरों से प्यार करने वाले हैं अभागी
वासना और शरीरों से प्यार करने वालो को लेकर प्रेमानंद जी कहते हैं कि ये शरीर को लेकर वासना जो प्यार है वहाँ मल और मूत्र है जो सबसे गन्दा है. मल मूत्र के द्वार को संसार का सबसे बड़ा सुख माना जाता है लेकिन जो सिर्फ इसी चीज कि कमाना करता है वो संसार से सुख नहीं देख पाता है. इसी के साथ प्रेमानंद जी ये भी कहते हैं अगर आप शरीर के इन मल और मूत्र वाली जगहों से खेल रहे हैं तो आप उस कीड़े के बराबर है जो मल में पड़ा रहता है. वासना और शरीरों से प्यार को अगर आप सुख समझ रहे हैं तो आप अभागी हैं
इंसान भोग रहे हैं नर्क
वहीं प्रेमानंद जी (Hit Premanand ji Pravachan) ये भी कहते हैं जिन आगों को छूने के बाद आप हाथों को शुद्ध करते हैं उन अंगों को आप सुख समझ लेते हैं ये प्रकार का नर्क है जिसे तुम भोग रहे हो. इसी के साथ प्रेमानंद जी ये भी कहते हैं कि वासना को छोड़कर इन शरीरों का मोह छोड़कर सिर्फ प्रभु कि भक्ति करो. इस धरे पर जन्म लिया है ये कर्म भूमि है यहाँ कर्म करो.
प्रेमानंद जी देते हैं प्रेरणादायक ज्ञान
आपको बता दें, महाराज प्रेमानंद जी वृंदावन में रहते है और खुद को राधा रानी का भक्त बताते हैं. उन्होंने अपना जीवन राधा रानी की भक्ति सेवा के लिए समर्पित कर दिया. वृंदावन वाले श्री प्रेमानंद महाराज जी (Premanand Maharaj ke Satsang) जो पीले वस्त्र धारण करते हैं और श्री प्रेमानंद महाराज जी सत्संग करते हैं और अपने सत्संग के जरिए लोगों को ज़िन्दगी जीने के खास सन्देश देते हैं. प्रेमानंद महाराज जी कि दोनों किडनी खराब है लेकिन वो भगवान का स्मरण करना नहीं भूलते हैं. वो सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा उसके बाद संकीर्तन राधा वल्लब और बांके बिहारी जी के दर्शन और परिक्रमा जरुर करते हैं. साथ ही वो सत्संग भी करते हैं.
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