राधा रानी के परम भक्त और उनके नाम से ही सत्संग करने वाले स्वामी प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में रहते हैं. स्वामी प्रेमानंद जी महाराज जहाँ सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा करते हैं साथ ही बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन, परिक्रमा और सत्संग करते है तो वहीं इसी सत्संग के जरिए स्वामी प्रेमानंद जी महाराज लाखों लोगों को ज़िन्दगी जीने के खास सन्देश भी देते हैं. वहीं इस बीच स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने अपने सत्संग के दौरान जीवन की कुछ चमत्कारिक अनुभूतियाँ के बारे में बताया है.
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महाराज ने बताई अपनी चमत्कारिक अनुभूतियाँ
स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने अपनी चमत्कारिक अनुभूतियाँ के बारे में बताते हुए कहा कि जब वो दिन में 2 बजे के समय गंगा किनारे थे तभी उन्हें अचानक से एक अलग तरह की दिव्य सुगंध आई और आज तक वैसी सुगंध का आभास उन्हें नहीं हुआ है जैसे-जैसे ये सुगंध अंदर उनके शरीर में प्रवेश करी वैसे नशा-सा हो गया और उसके बाद उन्हें लेटे-लेटे गंगा दर्शन हुए और इस दौरान उन्होंने देखा कि दिन में स्वेत वस्त्र धारण करके और स्वेत जटा धारी एक चीज उनके पास आई और मेरे मस्तक पर हाथ लगाया ये उनका जीवन में पहला दिव्य अनुभूति थी.
इसी के साथ स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने ये भी बताया कि जब आप उस सीमा को पार कर जाएंगे जहाँ किसी से कोई अपनापन नहीं हो तभी इसी तरह की अनुभूतियाँ प्राप्त होती है और जब तक अपनापन है अपने शरीर से भी है तब तक दिव्यता का अनुभव प्राप्त नहीं हो सकता है.
महाराज ने बताया इस तरह होगी श्री कृष्ण की प्राप्ति
वहीं प्रेमानंद जी महाराज ने भी बताया कि जिस दिन श्री कृष्ण बन जाओगे उस दिन श्री कृषण की प्राप्ति हो जाएगी और तभी श्री कृष्ण से साक्षात्कार होगा. प्रेमानंद जी महाराज ने ये भी कहा कि वृन्द्वान तो चमत्कार का समंदर है फिर यहां किसी को समझने की जरूरत नहीं पड़ती है फिर तो उसे प्रभु के नाम का ही नशा हो जाता है.
किडनी की समस्या से ग्रस्त हैं प्रेमानंद जी महाराज
श्री प्रेमानंद महाराज जी को जहाँ किडनी की समस्या है तो वहीं इस समस्या के बाद भी वो सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा करते हैं साथ ही बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन और परिक्रमा और सत्संग भी करते है साथ ही अपने सत्संग के जरिए लोगों को खास सन्देश देते हैं. वहीं जब श्री प्रेमानंद जी महाराज जी जब सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा करते हैं तब हजारों की संख्या में भक्त उनके दर्शन करने के लिए सड़कों पर खड़े रहते हैं.