Dheerendra Shastri Motivation – देश-विदेश में अपनी कथा और दरबार के लिए प्रसिद्ध बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री के करोड़ों भक्त हैं. जहाँ बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री दरबार में आए लोगों के दुखों को दूर करने का तरीका बताते हैं तो वहीं बागेश्वर धाम के महाराज कथा भी करते हैं और कथा के जरिए कई सारी ज्ञान की बातें भी बताते हैं. वहीं इस बीच बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने एक खास बात बताई है.
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महाराज ने कहा आंखों पर रखें काबू
बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी कथा के दौरान बताया कि आंखे सबसे ज्यादा खतरनाक हैं ये वो सब देख लेती है जो देखा नहीं जाता इसलिए इन्द्रियों में सबसे खतरनाक आंखें हैं. इसी के साथ बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने ये भी बताया कि आंखों पर काबू रखना चाहिए.
इसी के साथ इन आंखों पर काबू पाने को लेकर उन्होंने बताया कि हमें हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऊपर वाला सब देख रहा है हम लोग अगल-बगल में देख लेते हैं लेकिन ऊपर नहीं देखते हैं कि ऊपर वाला भी देख रहा है. वहीं बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि आँखों पर काबू रखों सब अच्छा होगा और गलत देखोगे तो गलत भोगना पड़ेगा.
महाराज जी ने बताया क्यों सुने बार-बार कथा
इससे पहले महाराज ने बताया था कि कथा को बार-बार क्यों सुनना चाहिए. बागेश्वर धाम (Dheerendra Shastri Motivation) के महाराज ने कहा कि कथा को सुनने से श्याम हमारे चित यानी कि मन में अन्दर बस जायेंगे और एक बार श्याम हमारे चित में बस गये तो फिर बाहर कभी नहीं आयेंगे इसलिए बार-बार कथा को सुनना चाहिए. वहीं महाराज जी ने ये भी बताया कि कथा सुनने से जो मन के अन्दर की भक्ति बुझ जाती है वो जाग उठती है. महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने ये भी कहा कि कई लोग कहते हैं कि कथा सुनने में मन नहीं लगता हैं. वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि कथा सुनों मन अपने आप लग जायेगा.
दुखों का निवारण करते हैं बागेश्वर धाम के महाराज
आपको बता दें, बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री कथा सुनाते हैं और इसके साथ एक बड़ा दरबार भी लगाते हैं. वहीं बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री अपने दरबार में आए लोगों की परेशानी किसी के बिना बताए ही कागज के एक पर्चे पर लिख देते हैं और इस समस्या का निवारण भी बताते हैं. इसी के साथ पंडित शास्त्री कस्बों-शहरों और विदेश जाकर ही श्रीराम कथा करते हैं.
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