हर शख्स धनवान और सुखी रहना चाहते हैं और इसके लिए वो काफी मेहनत मेहनत भी करता है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि काफी मेहनत करने के बाद न वो धनवान बन पाता है और न ही उसे सुख मिलता है. लेकिन इस परेशानी का हल संत श्री प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज ने बताया है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इसी बात की जानकारी देने जा रहे हैं.
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प्रेमानंद महाराज ने सुखी रहने का उपाय
दरअसल, संत श्री प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी राधा रानी को अपनी ईष्ट मानते हैं और सत्संग करते हैं. वहीं महाराज जी के सत्संग का एक विडियो वायरल हो रहा है कि जिसमें एक भक्त उनसे पूछ रहा है सुखी और धनलान होने के लिए क्या करना चाहिए. वहीं इस विडियो में प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी ने इस बात का उत्तर भी दिया है. प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज ने बताया कि महासुखी रहने के लिए प्रभु का आश्रय और भगवान का नाम जाप नहीं करोगे तो आपको सुखी नहीं रह सकते और नहीं आपको शांति मिलेगी. अपने गुरुदेव के द्वारा ईष्ट नाम और उनके चरणावृंद में प्रीति नहीं हुई तो आप जितने भी जतन कर लें. आपको शांति की प्राप्ति नहीं हो सकती है. लेकिन अगर ये उपाय कर लिए तो आप महासुखी हो जाएंगे.
इस उपाय को करने से होंगे महासुखी
महाराज जी ने बताया कि ये जो सुख- दुख हैं ये हमारे पाप और पुण्य कर्मों का फल है. अगर हमारे कर्म सही है तो आप कहीं भी चले जाएं, आपको सब जगह आदर की प्राप्ति होगी. वहीं अगर आपक कर्म बिगड़ गए तो आपका कोई आदर नहीं करेगा. इसलिए कुछ भी कर लो अगर आप प्रभु का नाम नहीं लोगे आपको कहीं शांति नहीं मिलेगी. इसलिए नाम जप करो.
वहीं महाराज जी ने आगे कहा कि संत भगवान का ज्वलंत तेज होता है. जिसके सामने आने से व्यक्ति की सारी बुराईयां मिट जाती हैं. इसलिए हर संकट से बचने के लिए हरि का प्रवचन करें और संतों के निकट जाने से भगवान की प्राप्ति होती है. इसलिए किसी व्यक्ति का बुरा मत करो. इसलिए तुम्हारा बुरा नहीं होगा.
जानिए कौन हैं संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज
आपको बता दें, संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज कानपुर के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम शंभू पांडेय है, माता का नाम राम देवी हैं. वहीं महाराज जी के गुरु जी का नाम श्री गौरंगी शरण जी महाराज है. महाराज जी को बचपन से ही आध्यात्म के प्रति लगाव था साथ ही उन्होंने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया था और वाराणसी चले गए थे और यहाँ से वो वृंदावन आ गए.