तो आजकल आप भी उसी लिस्ट में आ गए होंगे न जिसने काफी महीनों से 2000 का नोट नहीं देखा ? और ये अपने नोटिस भी नहीं किया होगा. चलिए अंदाज़ा लगाइए आपने आखिरी बार 2000 रुपये का गुलाबी नोट आखिरी बार कब देखा था…कुछ अता पता? थोड़ा सा पास्ट में जाइये और सोचिए कि आखिरी बार आपने एटीएम से आखिरी बार पैसा निकलने के बाद छुट्टा कब करवाया था? जरा याद तो करिए कि एटीएम से 2000 रुपये के नोट निकलने के बाद इसे छुट्टा कराने के लिए आखिरी बार कब दुकान-दर-दुकान भटके थे.
शायद लंबा वक्त हो गया होगा, क्योंकि 2000 रुपये के गुलाबी नोटों का सर्कुलेशन इन दिनों कम हो गया है. हमारी करेंसी (Currency) के सबसे बड़े नोट को लेकर सरकार ने संसद में जानकारी भी दी थी. इसके अलावा अपनी वार्षिक रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी नोट के सर्कुलेशन में आई कमी की वजह बताई थी. लेकिन ये बात कहाँ तक सच्चाई लगती है? क्योंकि एक खास नोट और वो भी देश कि सबसे बड़ी नोट का अचानक दिखना बंद हो जाना हमेशा नोट सर्कुलेशन का पंगा नहीं होता. आज इस लेख से समझिये कि आखिर क्या है असल वजह और आप इस वजह से कितनी सहमती रखते हैं?
2000 के नोट गए कहां?
बात है बीते महीने की तारीख 23 मार्च की जब सांसद संतोष कुमार ने फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण से ये सवाल किया था कि आखिर 2000 के नोट कहाँ गए. क्या रिजर्ब बैंक ने बाकी बैको पर 2000 के नोट को अपने एटीएम से जारी करने पर प्रतिबन्ध लगाया है? अगर हना तो इसकी जानकारी हमे मिलनी चाहिए और साथ ही ये भी पुछा कि क्या रिजर्ब बैंक ने 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी है?
वित्त मंत्री ने जवाब में कही थी ये बात
इस सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ATM में 2000 रुपये के नोट भरने या न भरने के लिए बैंकों को किसी भी तरह का निर्देश नहीं दिया गया है. बैंक कैश वेंडिंग मशीनों को लोड करने के लिए अपनी पसंद खुद चुनते हैं. वो आवश्यकता का आकलन करते हैं. वित्त मंत्री ने कहा था कि RBI की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019-20 के बाद से 2000 रुपये के नोट की छपाई नहीं हुई है.
ALSO READ: इन देशों की करेंसी पर होते हैं हिन्दू-देवी देवताओं की तस्वीरे
दिसम्बर में भी संसद में उठा था मामला
इससे पहले दिसंबर 2022 में भारतीय जनता पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने भी पिछले साल दिसंबर में सर्कुलेशन से गायब हो रहे 2000 रुपये के नोटों को लेकर सवाल पूछा था. उन्होंने सरकार से पूछा था कि मार्केट में गुलाबी रंग के 2000 रुपये के नोटों का दर्शन दुर्लभ हो गया है. एटीएम से भी ये नहीं निकल रहा है. इस वजह से अफवाह है कि अब ये वैध नहीं है.
पहले से मौजूद नोटों का क्या
ये बात अलग है कि हमें ये नहीं पता कि 2000 के नोट अभी छापे जा रहे या नही लेकिन जो पहले से मार्केट में मौजूद हैं वो पूरी तरह से वैध हैं. ऐसे में अगर कोई आपका नोट लेने से मना करता है तो आप बैंक को इसकी शिकायत कर सकते हैं. इसको लेकर आरबीआई भी समय समय पर ग्राहकों को आगाह करता रहता है.
साल 2021 में भी एक सवाल के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने साफ कर दिया था कि साल 2020 के बाद से एक भी 2000 रुपए का नया नोट नहीं छपा है लेकिन जो नोट मार्केट में हैं वो पूरी तरह से वैध हैं.
ALSO READ: क्या है ई-रुपया और क्या है इसके फायदे
ये है असली सच?
आजकल आपने ख़बरों में देखा होगा और ख़बरों में सुना होगा कि कहीं इस नेता के यहां ईडी ने रेड मारी है तो कहीं इस व्यापारी के यहां ईडी ने रेड मारी है. लेकिन शायद ही आप कभी नोटिस करते हैं कि इसमें मिलने वाले ज्यादातर कैश 500 और 2000 के होते हैं. जो कि देश की सबसे बड़ी कर्रेंसी हैं, और दूसरी बात ये कि ज्यादातर गैर कानूनी काम के लिए ऑनलाइन के बजाय लोग कैश का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इन सबमे सबसे कॉमन बात क्या है कि ये 2000 और 500 यानि सबसे बड़ी करेंसी ही क्यों यूज़ करते हैं?
यहाँ आप ये समझने की कोशिश करिए कि अगर आपको कैश रखना है या कहीं ले जाना है तो आप एक लाख रुपये छुपा कर रखेंगे या किसी को देंगे तो आप 2000 के 50 नोट देना सही समझोगे, या 500 के 200 नोट या फिर 100 रुपये के 1000 नोट? आप 2000 के 50 नोट पसंद करेंगे क्योंकि वो इजी टू कैर्री होगा और शक की नज़रों में भी कम आएगा. ठीक यही टेकनिक ब्लैक मनी इकठ्ठा करने वाले लगाते हैं फिर चाहे वो नेता हों या आतंकी पैसे रखने में इनसे ज्यादा एक्सपर्ट कौन ही होगा. इनके पास जिस पैसे का हिसाब यानि कैश देने में समस्या होती है उसे वो सबसे बड़ी करेंसी में रखना ज्यादा बेहतर समझेंगे ताकि उसे आसानी से छिपाया जा सके.
फिर वो अमाउंट कितना भी बढ़ता जाएगा वो ज्यादातर सबसे बड़ी करेंसी इस्तेमाल करेंगे न कि 1, 2 10, 100 के चिल्लर. आप अपने बुद्धि को चलिए और इस बात पर विचार करिए कि क्या 2000 के करेंसी में कमी इर्रेगुलर सर्कुलेशन कि वजह से है या फिर कला धन इकठ्ठा करने के चक्कर में.