दूरदर्शन ने रामानंद सागर की रामायण को किया था 4 बार रिजेक्ट? जानिए क्या थी वजह

Ramanand Sagar Ramayana rejected 4 times
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रामानंद सागर की धारावाहिक ‘रामायण’ (Ramayan) जो आज भी लोगों के  दिलों दिमाग में बसी हुई है. इस रामयाण को लेकर लोगों के बीच एक ऐसी आस्था है कि लोग इस धारावाहिक में काम करने वाले अरुण गोविल ने राम, दीपिका चिखलिया ने सीता, सुनील लहरी ने लक्ष्मण के रूप में भगवान की तरह पूजते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इस रामानंद सागर की धारावाहिक ‘रामायण’ (Ramayan) को भी रिजेक्शन झेलना पड़ा था.

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रामानंद ने 2 साल तक लगाए सरकारी दफ्तरों के चक्कर 

रामानंद सागर की ‘रामायण’ 1987 से 1988 के बीच डीडी नेशनल पर प्रसारित हुई थी जहाँ ‘रामायण’ सीरियल को बनाने के लिए रामानंद सागर को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ी तो वहीं ‘रामायण’ को दूरदर्शन पर प्रसारित करने में भी परेशानी आई.

रिपोर्ट के अनुसार, रामानंद सागर की इच्छा थी कि वे टीवी के माध्यम से सभी लोग भगवान कृष्ण, भगवान राम और मां दुर्गा की कहानियों के बारे में पता चल पाए और इसके लोइए उन्होंने सबसे पहले ‘विक्रम और बेताल’ बनाई, ताकि वे पौराणिक कथाओं को लेकर जनमानस के रुख को समझ सकें. जिसके बाद उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट रामायण पर काम शुरू किया लेकिन तत्कालीन सरकार और दूरदर्शन ‘रामायण’ पर टीवी शो बनाने के आइडिया से खुश नहीं थे लेकिन रामानंद सागर ने ‘रामायण’ के प्रसारण की अनुमति पाने के लिए करीब दो साल तक सरकारी अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटते रहे.

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 रामायण को झेलना पड़ा था रिजेक्शन 

रामानंद ने ‘रामायण’ के प्रसारण की अनुमति पाने के लिए सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ‘रामायण’ के तीन एपिसोड बनाए, लेकिन दूरदर्शन ने पहला पायलट एपिसोड यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि इससे विवाद खड़ा हो जाएगा. वहीं इसके बाद दूरदर्शन के सुझावों को मानते हुए दूसरी और तीसरी बार भी पायलेट एपिसोड बनाए, पर इन रिजेक्ट कर दिया गया. लेकिन रामानंद सागर ने हार नहीं मानी.

रामायण के पायलेट एपिसोड के लिए जहाँ रामानंद सागर का पैसा खर्च हुआ तो वहीं वो मंडी हाउस में सरकारी अधिकारियों से मिलने के लिए घंटों इंतजार में खडे़ रहते थे. वहीं इस दौरान रामानंद को कई बार जलील भी होने पड़ा लेकिन इसके बाद भी रामानंद डाटे रहे और कई साए काफी प्रयासों के बाद दूरदर्शन से उन्हें अप्रूवल मिल गया  इस बीच सरकार ने अनुमति नहीं दी लेकिन जब सूचना व प्रसारण मंत्री के पद पर जब अजित कुमार पांजा बैठे, तब ‘रामायण’ को प्रसारित करने की अनुमति मिली और रामायण दूरदर्शन के जरिए घर-घर पहुंची और इस शो में कम करने वाले किरदार अमर हो गए.

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