संजू सैमसन अब तक के सबसे दुर्भाग्यशाली खिलाड़ी ?

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जानिए क्यों क्रिकेट में दुर्भाग्यशाली रहा संजू सैमसन का करियर 

2011 में केरल क्रिकेट टीम (Kerala cricket team) से अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाले संजू सैमसन (sanju samson) के साथ अभी तक नाकामियों का ऐसे सिलसिला चला है कि मानो जैसे इंडियन टीम क्रिकेट में उनका सिलेक्शन ही मात्र हर मैच में ड्रेसिंग रूम Share करने और मैदान में प्लेयर्स को Drink Serve करने के लिए किया गया हो। 

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भारतीय क्रिकेट में अब तक का सफर और आंकड़े 

19 जुलाई 2015 में भारतीय क्रिकेट टीम में अपना डेब्यू करने वाले सैमसन 28 साल के हो चुके हैं और प्रतिभा होने के बावजूद भी, टीम में सिलेक्शन होने के बाद भी अब उन्हें प्लेइंग XI में जगह बनाने के लिए लगता है कोई एग्जाम(Exam) देना पड़ेगा क्योंकि अभी सवाल सेलेक्टर्स (Selectors) पर टीम में सेलेक्ट न करने पर सवाल खड़ा करते थे और अब सवाल प्लेइंग XI में जगह देने के लिए। जिसके लिए लगातार टीम के कप्तान और मैनेजमेंट पर भेदवाव के आरोप लगते हैं और साथ ही सोशल मीडिया (Social Media) पर ट्रोलर्स (Trollers) का भी सामना करना पड़ता है। हाल ही में हुई श्रीलंका (ShriLanka) के खिलाफ टी 20 के पहले मैच में ही चोट के चलते सैमसन को सीरीज से बाहर होना पड़ा ऐसे में जब खेलने का मौका मिला तो चोट के चलते बाहर हुए और फैन्स आंकड़ों को लेकर बाकि खिलाड़ियों के उनकी तुलना करके उन्हें मौके देने की मांग में लग जाते हैं और उनके भी रिकॉर्ड (Records ) प्रभावशाली हैं: 16 T20 में 21 का औसत (Average) और 135 का स्ट्राइक रेट (Strike Rate) और 10 ODI पारियों में 66 का औसत और 104 का स्ट्राइक रेट। उनके आईपीएल (IPL) नंबर एक अनुभवी बैट्समैन की बात करते हैं: 3526 रन, 29 का औसत, 135 का स्ट्राइक रेट जिसमें 17 अर्द्धशतक(Half Century) और 3 शतक (Century)।

संजू सैमसन Vs ऋषभ पंत 


संजू सैमसन एक अच्छे विकेटकीपर बल्लेबाज हैं, जिनकी तकनीक बल्ले और स्टंप के पीछे से अच्छी है। उन्होंने विदर्भ के खिलाफ केरल के लिए 17 साल की उम्र में प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। सैमसन इंडिया के लिए बतौर विकेटकीपर-बैट्समैन खेलते हैं ऐसे में ODI में मौजूदा विकेटकीपर-बैट्समैन के तौर पर खेल रहे ऋषभ पंत के आंकड़े भी टेस्ट में ही अच्छे हैं लेकिन White ball में अभी भी उनका प्रदर्शन (Performance) कुछ खास नहीं रहा है लेकिन एक फॉर्मेट (Format) में अपनी जगह पक्की करने के बाद सेलक्टर्स (selectors) उनसे यही उम्मीद लगा रहे है कि  शायद White Ball में भी वो अच्छा करें जिसके चलते ऋषभ पंत (Rishabh Pant) को लगातार खराब प्रदर्शन के  बावजूद भी मौके पर मौके दिए जा रहे हैं। ऐसे में Sanju Samson का खेलना तभी संभव (Possible) है जब ऋषभ पंत सन्यास (Retirement) की घोषणा कर दें जो कि अभी के लिए मुश्किल (Impossible) है फिलहाल ऋषभ कार एक्सीडेंट(accident) के चलते साल भर के लिए टीम इंडिया में नहीं खेल पाएंगे ऐसे में सेलेक्टर्स Sanju Samson को लेकर क्या रुख अपनाते हैं ये आने वाली कुछ सीरीज में पता चल जायेगा। 

पहली बार नहीं जब विकेटकीपर्स हुए टीम से बाहर 

 

संजू सैमसन मात्र ऊपर बताए आंकड़ों (stats) के आधार पर ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक रूप (historical form) से भी दुर्भाग्यशाली हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आज भारतीय क्रिकेट में पिछले 18 साल विकेटकीपर्स (Wicket-keepers) के साथ यही होता नजर आ रहा है संजू सैमसन से पहले महेंद्र सिंह धोनी के टीम में आने से भी यही हुआ था भले ही टीम (Team) में entry नयी थी लेकिन शुरुआत के कुछ मैचों (Matches) में बल्ले (bat) और स्टंप्स (Stumps) के पीछे अच्छे प्रदर्शन से टीम में अपनी जगह पर मुहर लगा दी, ऐसे में उनसे  पहले पदार्पण (Debue) करने वाले दिनेश कार्तिक, पार्थिव पटेल, नमन ओझा और रिद्धिमान साहा को संजू सैमसन की तरह बाहर रहना पड़ा था। बेशक, धोनी की कोई भी गलती नहीं थी, जब  सब मौके मिले 10 -20 रन (Score) बनाकर आउट हो जाते थे. तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ऋषभ पंत ने साल 2017 में इंटरनेशनल पदार्पण  किया था जबकि संजू सैमसन ने धोनी की ही कप्तानी में 2015 में debue किया लेकिन आज तीनों फॉर्मेट(Format) ऋषभ पंत में दर्शकों और सेलेक्टर्स की पहली पसंद बन चुके हैं।   

सैमसन को लेकर क्या कहते हैं बाहरी टीमों के कोच और कमेंटेटर्स  


वैसे भी, कई गैर-भारतीय कोचों (Foreign- coaches) और कमेंटेटरों (Commentators) ने गंभीर निराशा जताई है जब उन्हें पता चला कि संजू सैमसन की प्रतिभा (Talent) और कौशल (Skills) होने के बावजूद एक बल्लेबाज (Batsman)  ने पिछले साल तक भारत के लिए केवल कुछ ही खेल खेले हैं, सैमसन जिन्होंने 2015 में भारत में पदार्पण (Debue) किया था, ने अब तक केवल 27 White-Ball मैच  के खेले हैं, जिनमें से 20मैच तो पिछले साल  2022 में आए हैं, जिसका अर्थ है कि पिछले साल तक, सैमसन लगातार रन-स्कोरर होने के बावजूद केवल 7 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले थे, आईपीएल और घरेलू क्रिकेट में।

अगर यह दुर्भाग्य(Bad Luck) नहीं है, तो मुझे नहीं पता कि क्या है! बाकी Selectors का Samson के लिए इस तरह का रवैया कितना सही और कितना गलत है हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।

Also Read- भारतीय टीम में बल्लेबाजी के साथ-साथ अब जिंदगी के पिच पर भी नयी पारी की शुरुआत करेंगे के एल राहुल.

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